भरतपुर. जिले के बयाना कस्बा का बमनपुरा मोहल्ला आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहा है. यहां करीब 800 लोगों की बस्ती है, जो करीब तीन दशक से पेयजल संकट से जूझ रही है. यहां की महिलाएं, बच्चों को जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन पार कर श्मशान घाट से पानी भर लाते रोजाना ही देखा जा सकता है. कई बार महिलाएं हादसे का शिकार भी हो चुकी हैं. ऐसा नहीं कि बस्ती के लोगों ने कभी पानी की समस्या नहीं उठाई है, लेकिन हुकमरानों ने कभी उनकी जरूरतों को तवज्जों नहीं दी. चुनावों में जल समस्या के समाधान के भी वादे किए गए लेकिन वह सब हवावहाई ही रहे.
बस्ती में रहने वाली महिला विमला ने बताया कि बीते करीब 30 साल से मोहल्ले में पानी की समस्या बनी हुई है. विभाग की ओर से खारा और फ्लोराइड युक्त पानी सप्लाई किया जाता है जो न तो पीने योग्य होता है न खाना पकाने में ही इस्तेमाल किया जा पा रहा है.
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स्थानीय निवासी नीरज चौबे ने बताया कि कॉलोनी में सप्लाई होने वाला पानी इतना खारा और फ्लोराइड युक्त है कि यदि उससे स्नान कर लें तो शरीर में खुजली होने लगती है और बाल भी झड़ते हैं. इस समस्या को लेकर कई बार विभाग के अधिकारियों को शिकायत दी लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.
बस्ती की महिला विमला ने बताया कि कॉलोनी में मीठा पानी उपलब्ध नहीं होने की वजह से जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करके एक किलोमीटर दूर एक श्मशान घाट में लगे हुए दो नलकूपों से मीठा पानी लेकर आते हैं. शारदा ने बताया कि रेल पटरी पार करते वक्त दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है. पहले भी पानी लाते वक्त ट्रेन से दुर्घटना होने पर दो महिलाओं की मौत हो चुकी है.
महिलाओं ने बताया कि रेलवे लाइन के पास अंडर ब्रिज भी बनाया गया है लेकिन बरसात के मौसम में उसमें पानी भर जाता है, जिसकी वजह से मजबूरी में उन्हें रेलवे लाइन पार करके पानी लाने जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस संबंध में कई बार जलदाय विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक कॉलोनी में मीठे पानी की सप्लाई सुनिश्चित नहीं की गई है. इस वजह से मजबूरी में दूरदराज से पानी भरकर लाना पड़ता है.