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बयाना कस्बेवासियों की अजब कहानी, 800 लोगों को 30 साल से नहीं मिल रहा पानी...दूर नलकूपों से भरकर लाना पड़ता है पेयजल

प्रदेश में तेजी से विकास हो रहा है लेकिन आज भी कई ऐसे इलाके हैं जहां लोग मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहे हैं. भरतपुर के बयाना कस्बे में 800 लोगों की बस्ती के लोग आज भी खारा पानी पीने को मजबूर हैं. महिलाओं को दूर रेलवे क्रॉसिंग पार करके नलकूपों से मीठा पानी भरकर लाना पड़ रहा है.

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बयाना में पेयजल संकट
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Published : Jul 10, 2021, 4:34 PM IST

Updated : Jul 21, 2021, 4:00 PM IST

भरतपुर. जिले के बयाना कस्बा का बमनपुरा मोहल्ला आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहा है. यहां करीब 800 लोगों की बस्ती है, जो करीब तीन दशक से पेयजल संकट से जूझ रही है. यहां की महिलाएं, बच्चों को जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन पार कर श्मशान घाट से पानी भर लाते रोजाना ही देखा जा सकता है. कई बार महिलाएं हादसे का शिकार भी हो चुकी हैं. ऐसा नहीं कि बस्ती के लोगों ने कभी पानी की समस्या नहीं उठाई है, लेकिन हुकमरानों ने कभी उनकी जरूरतों को तवज्जों नहीं दी. चुनावों में जल समस्या के समाधान के भी वादे किए गए लेकिन वह सब हवावहाई ही रहे.

बस्ती में रहने वाली महिला विमला ने बताया कि बीते करीब 30 साल से मोहल्ले में पानी की समस्या बनी हुई है. विभाग की ओर से खारा और फ्लोराइड युक्त पानी सप्लाई किया जाता है जो न तो पीने योग्य होता है न खाना पकाने में ही इस्तेमाल किया जा पा रहा है.

बयाना में पेयजल संकट

पढ़ें: अजमेर: पानी की किल्लत की मिल रही थी शिकायत, PHED इंजीनियर के दफ्तर पहुंची विधायक भदेल

स्थानीय निवासी नीरज चौबे ने बताया कि कॉलोनी में सप्लाई होने वाला पानी इतना खारा और फ्लोराइड युक्त है कि यदि उससे स्नान कर लें तो शरीर में खुजली होने लगती है और बाल भी झड़ते हैं. इस समस्या को लेकर कई बार विभाग के अधिकारियों को शिकायत दी लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

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दूर हैंडपंपों से लाते हैं पीने का पानी

पढ़ें: पहली बार पहुंचा सरहदी गांवों में नर्मदा नहर का मीठा पानी, राजस्व मंत्री ने किया नर्मदा प्रोजेक्ट का अवलोकन

बस्ती की महिला विमला ने बताया कि कॉलोनी में मीठा पानी उपलब्ध नहीं होने की वजह से जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करके एक किलोमीटर दूर एक श्मशान घाट में लगे हुए दो नलकूपों से मीठा पानी लेकर आते हैं. शारदा ने बताया कि रेल पटरी पार करते वक्त दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है. पहले भी पानी लाते वक्त ट्रेन से दुर्घटना होने पर दो महिलाओं की मौत हो चुकी है.

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रेल पटरी पार कर लाना पड़ता है पानी

महिलाओं ने बताया कि रेलवे लाइन के पास अंडर ब्रिज भी बनाया गया है लेकिन बरसात के मौसम में उसमें पानी भर जाता है, जिसकी वजह से मजबूरी में उन्हें रेलवे लाइन पार करके पानी लाने जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस संबंध में कई बार जलदाय विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक कॉलोनी में मीठे पानी की सप्लाई सुनिश्चित नहीं की गई है. इस वजह से मजबूरी में दूरदराज से पानी भरकर लाना पड़ता है.

भरतपुर. जिले के बयाना कस्बा का बमनपुरा मोहल्ला आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहा है. यहां करीब 800 लोगों की बस्ती है, जो करीब तीन दशक से पेयजल संकट से जूझ रही है. यहां की महिलाएं, बच्चों को जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन पार कर श्मशान घाट से पानी भर लाते रोजाना ही देखा जा सकता है. कई बार महिलाएं हादसे का शिकार भी हो चुकी हैं. ऐसा नहीं कि बस्ती के लोगों ने कभी पानी की समस्या नहीं उठाई है, लेकिन हुकमरानों ने कभी उनकी जरूरतों को तवज्जों नहीं दी. चुनावों में जल समस्या के समाधान के भी वादे किए गए लेकिन वह सब हवावहाई ही रहे.

बस्ती में रहने वाली महिला विमला ने बताया कि बीते करीब 30 साल से मोहल्ले में पानी की समस्या बनी हुई है. विभाग की ओर से खारा और फ्लोराइड युक्त पानी सप्लाई किया जाता है जो न तो पीने योग्य होता है न खाना पकाने में ही इस्तेमाल किया जा पा रहा है.

बयाना में पेयजल संकट

पढ़ें: अजमेर: पानी की किल्लत की मिल रही थी शिकायत, PHED इंजीनियर के दफ्तर पहुंची विधायक भदेल

स्थानीय निवासी नीरज चौबे ने बताया कि कॉलोनी में सप्लाई होने वाला पानी इतना खारा और फ्लोराइड युक्त है कि यदि उससे स्नान कर लें तो शरीर में खुजली होने लगती है और बाल भी झड़ते हैं. इस समस्या को लेकर कई बार विभाग के अधिकारियों को शिकायत दी लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

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दूर हैंडपंपों से लाते हैं पीने का पानी

पढ़ें: पहली बार पहुंचा सरहदी गांवों में नर्मदा नहर का मीठा पानी, राजस्व मंत्री ने किया नर्मदा प्रोजेक्ट का अवलोकन

बस्ती की महिला विमला ने बताया कि कॉलोनी में मीठा पानी उपलब्ध नहीं होने की वजह से जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करके एक किलोमीटर दूर एक श्मशान घाट में लगे हुए दो नलकूपों से मीठा पानी लेकर आते हैं. शारदा ने बताया कि रेल पटरी पार करते वक्त दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है. पहले भी पानी लाते वक्त ट्रेन से दुर्घटना होने पर दो महिलाओं की मौत हो चुकी है.

बयाना कस्बा में जलसंकट,  800 लोगों की बस्ती , पेयजल संकट , भरतपुर में जलसंकट, Water crisis in Bayana town , 800 people town , drinking water crisis , water crisis in bharatpur
रेल पटरी पार कर लाना पड़ता है पानी

महिलाओं ने बताया कि रेलवे लाइन के पास अंडर ब्रिज भी बनाया गया है लेकिन बरसात के मौसम में उसमें पानी भर जाता है, जिसकी वजह से मजबूरी में उन्हें रेलवे लाइन पार करके पानी लाने जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस संबंध में कई बार जलदाय विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक कॉलोनी में मीठे पानी की सप्लाई सुनिश्चित नहीं की गई है. इस वजह से मजबूरी में दूरदराज से पानी भरकर लाना पड़ता है.

Last Updated : Jul 21, 2021, 4:00 PM IST
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