भरतपुर. कोरोना संक्रमण की पहली लहर से निराश्रित लोगों को सुरक्षित रखने के बाद अब अपना घर आश्रम ने दूसरी लहर से मुकाबला करने के लिए भी पुख्ता बंदोबस्त कर लिए हैं. अपना घर आश्रम ने कोरोना के संदिग्ध मरीजों के उपचार के लिए 375 बेड की क्षमता वाले 11 वार्ड तैयार किए हैं. इनमें से पॉजिटिव मरीजों के लिए अलग से आइसोलेशन की व्यवस्था की गई है.
ऐसे की है वार्डों की व्यवस्था
आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि बाहर से आने वाले कोरोना संदिग्ध 'प्रभु जी' या निराश्रितों और आश्रम के पॉजिटिव मरीजों के लिए कुल 11 वार्ड तैयार किए हैं. इनमें से दो वार्ड 65-65 बेड की क्षमता वाले, दो 34-34 बेड के, दो 12-12 बेड के, एक वार्ड 39 बेड, एक वार्ड 26 बेड का आइसोलेशन वार्ड समेत कुल 11 वार्ड तैयार किए हैं. कुल मिलाकर इनमें एक साथ 375 मरीजों को भर्ती किया जा सकता है.
इनमें से ऑक्सीजन सिस्टम के साथ 6-6 बेड हैं जबकि 12-12 बेड के दो अन्य वार्डों में भी ऑक्सीजन की अतिरिक्त व्यवस्था की है. ऑक्सीजन की व्यवस्था लीलावती हॉस्पिटल की तरफ से की जा रही है.
ढाई माह में ऐसे तैयार किए वार्ड
अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. भारद्वाज ने बताया कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर हमने देखी थी. इसलिए हमें अंदाजा था की दूसरी लहर का भी सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में पहले से ही संदिग्ध और संक्रमित मरीजों के लिए वार्ड तैयार करने की योजना तैयार कर ली थी. इसके लिए हमने सवा करोड़ रुपए का कर्जा लेकर ढाई माह में 11 वार्ड तैयार कर लिए. हालांकि अब इन वार्डों के निर्माण का खर्च जोधपुर और शुक्रताल आश्रमों ने वहन कर लिया है.
गत वर्ष के सभी संक्रमित ठीक
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम में कोरोना संक्रमण की पहली लहर में 104 प्रभुजी पॉजिटिव पाए गए थे. बेहतर देखभाल और उपचार व्यवस्थाओं के चलते इनमें से 103 संक्रमित अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं. जबकि एक एचआईवी पॉजिटिव महिला अभी भी कोरोना पॉजिटिव है.
आश्रम में ऐसे दिया जा रहा प्रवेश
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि सबसे पहले बाहर से आने वाले निराश्रितों का गेट पर ही एंटीजन टेस्ट हो जाता है. उसके बाद सभी को केयर वार्ड में भर्ती कर दिया जाता है. अगले दिन परिसर स्थित राजकीय स्वास्थ्य केंद्र में rtpcr टेस्ट कराया जाता है. यदि कोई पॉजिटिव मिलता है तो उसे अलग वार्ड में भर्ती किया जाता है. जांच के बाद नेगेटिव पाए जाने वाले अन्य निराश्रितों को 5 दिन तक अलग रखने के बाद आश्रम में प्रवेश दिया जाता है. खांसी-जुकाम वाले मरीजों को आयुर्वेदिक काढ़ा, होम्योपैथी की दवाएं आदि भी दी जाती हैं.
फिलहाल आश्रम में करीब 3400 प्रभु जी निवासरत हैं. इनकी देखरेख के लिए 240 सेवासाथी कार्यरत हैं. जिन सेवासाथी को वैक्सीन लग चुकी है सिर्फ उन्हीं को आश्रम में प्रवेश व देखरेख का जिम्मा दिया जा रहा है. डॉक्टर भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में देश भर से निराश्रित और असहाय लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है. हर दिन आश्रम में करीब 18 मरीज पहुंच रहे हैं.