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भरतपुर: 10वीं में दो बार फेल हुआ आकाश आज जिले के क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए बना प्रेरणा स्रोत - क्रिकेट

भरतपुर के मामूली से परिवार में रहने वाले आकाश आज सबके आदर्श बन चुके है. जी हां ये वहीं आकाश है जो बुधवार को अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल में भारत की ओर से खेल रहे है. आकाश टीम इंडिया में एक तेज गेंदबाज खिलाडी है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

Secretary Shatrughan Tiwari, गेंदबाज आकाश सिंह
भारत के लिए खेल रहे भरतपुर के आकाश
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Published : Feb 6, 2020, 3:18 AM IST

भरतपुर. जिला संभाग मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर नगर कस्बा के पास स्थित गांव नगला राम रतन निवासी बाएं हाथ का तेज गेंदबाज आकाश सिंह बुधवार को भारत की ओर से अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल रहा है. बहुत ही सामान्य परिवार का आकाश आज जिले के प्रत्येक क्रिकेट खिलाड़ी के लिए आदर्श बन गया है.

भारत के लिए खेल रहे भरतपुर के आकाश

सालों पहले गांव से सिर्फ आकाश सिंह ही एकमात्र ऐसा खिलाड़ी था जो गांव से बाहर जाकर क्रिकेट खेलता था. लेकिन आज उसी आकाश की वजह से ना केवल गांव के करीब 15 लड़के क्रिकेट की प्रेक्टिस करते हैं बल्कि उनके घरवाले भी उन्हें पूरा सपोर्ट कर रहे हैं. आज ना केवल नगला रामरतन के लड़के बल्कि जिले के क्रिकेट खेलने वाले प्रत्येक लड़के की जुबान पर आकाश सिंह बनने की इच्छा है.

पढ़ें- शादी का न्योता देने गए चाचा-भतीजा लापता, पुलिस कर रही तलाश

ईटीवी भारत की टीम ने आकाश सिंह के गांव पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाकात की. साथ ही आकाश सिंह जिस एकेडमी में प्रैक्टिस करता था वहां भी उसके साथ खेले हुए लड़कों से मिलकर उनकी इच्छा जानी.

यूं तय किया गांव से विश्व कप तक का सफर

नगर कस्बा के पास स्थित नगला रामरतन निवासी आकाश सिंह के बड़े भाई लाखन सिंह ने बताया कि बचपन में आकाश उनके साथ क्रिकेट खेलने जाया करता था. गांव में होने वाली क्रिकेट ट्रॉफी के मैच में आकाश उनके साथ ही खेलता था और धीरे-धीरे क्रिकेट उसका जुनून बन गया. आकाश का पढ़ाई में मन बहुत कम लगता था. ऐसे में क्रिकेट में उसका इंटरेस्ट देखकर उसका प्रवेश बीकानेर के सार्दुल स्पोर्ट्स स्कूल में करा दिया. जहां पढ़ाई के साथ ही उसने क्रिकेट की प्रैक्टिस भी की.

उसके बाद भरतपुर और फिर जयपुर में क्रिकेट एकेडमी में उसकी प्रैक्टिस कराई. अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेल रहे तेज गेंदबाज आकाश सिंह के भाई ने कहा कि उसे आकाश का भाई होने पर गर्व है. आकाश सिंह के विश्व कप में खेलने से घर, गांव और साथी खिलाड़ियों में खुशी का माहौल है. आकाश के पिता किसान और माता ग्रहणी है. परिवार में बड़े भाई के साथ ही दो बहने भी हैं.

मैं आज आकाश की वजह से ही क्रिकेट खेल पा रहा हूं

नगर कस्बा निवासी राहुल ने बताया कि पहले नगला रामरतन से सिर्फ आकाश ही गांव से बाहर जाकर क्रिकेट खेलता था. लेकिन आज आकाश के कीर्तिमान को देखते हुए उनके परिजनों ने भी उन्हें क्रिकेट खेलने की छूट दे दी है. राहुल ने बताया कि उसी की तरह नगला राम रतन से आज की तारीख में करीब 15 लड़के जयपुर और भरतपुर में क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं. राहुल ने बताया कि वह भी आकाश सिंह की तरह देश के लिए खेलना चाहता है.

जहीर खान की तरह बॉलर बनने की जताई थी इच्छा

भरतपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव और क्रिकेट एकेडमी संचालित करने वाले शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि आकाश सिंह का भाई उसे एकेडमी लेकर आया था. तब आकाश से पूछा था कि वह क्या बनना चाहता है तो उसने उस समय कहा था कि वह जहीर खान की तरह बाएं हाथ के तेज गेंदबाज बनना चाहते है. भरतपुर में करीब डेढ़ साल की प्रैक्टिस के बाद उसे जयपुर प्रैक्टिस करने के लिए भेज दिया गया. जहां से उसके खेल में निरंतर और निखार होता गया. आज अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेल कर जिले के साथ ही देश का नाम भी रोशन कर रहा है.

पढ़ें- भरतपुरः आपसी रंजिश के कारण युवक की हत्या, खेत में फेंका शव

दसवीं कक्षा में दो बार फेल हो चुका था आकाश

सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि आकाश ने क्रिकेट को अपना जुनून बना लिया. यही वजह थी कि होली, दीपावली किसी भी त्यौहार पर वह अपने घर नहीं जाता था. इतना ही नहीं एकेडमी में आकाश सिंह एकमात्र ऐसा खिलाड़ी था जो कि रविवार को भी प्रैक्टिस करता था. सचिव तिवारी ने बताया कि आकाश सिंह बोलता था कि उसका पढ़ने में मन नहीं लगता और वह दसवीं कक्षा में दो बार फेल हो चुका है. इसलिए अब क्रिकेट ही उसका सब कुछ है.

भरतपुर. जिला संभाग मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर नगर कस्बा के पास स्थित गांव नगला राम रतन निवासी बाएं हाथ का तेज गेंदबाज आकाश सिंह बुधवार को भारत की ओर से अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल रहा है. बहुत ही सामान्य परिवार का आकाश आज जिले के प्रत्येक क्रिकेट खिलाड़ी के लिए आदर्श बन गया है.

भारत के लिए खेल रहे भरतपुर के आकाश

सालों पहले गांव से सिर्फ आकाश सिंह ही एकमात्र ऐसा खिलाड़ी था जो गांव से बाहर जाकर क्रिकेट खेलता था. लेकिन आज उसी आकाश की वजह से ना केवल गांव के करीब 15 लड़के क्रिकेट की प्रेक्टिस करते हैं बल्कि उनके घरवाले भी उन्हें पूरा सपोर्ट कर रहे हैं. आज ना केवल नगला रामरतन के लड़के बल्कि जिले के क्रिकेट खेलने वाले प्रत्येक लड़के की जुबान पर आकाश सिंह बनने की इच्छा है.

पढ़ें- शादी का न्योता देने गए चाचा-भतीजा लापता, पुलिस कर रही तलाश

ईटीवी भारत की टीम ने आकाश सिंह के गांव पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाकात की. साथ ही आकाश सिंह जिस एकेडमी में प्रैक्टिस करता था वहां भी उसके साथ खेले हुए लड़कों से मिलकर उनकी इच्छा जानी.

यूं तय किया गांव से विश्व कप तक का सफर

नगर कस्बा के पास स्थित नगला रामरतन निवासी आकाश सिंह के बड़े भाई लाखन सिंह ने बताया कि बचपन में आकाश उनके साथ क्रिकेट खेलने जाया करता था. गांव में होने वाली क्रिकेट ट्रॉफी के मैच में आकाश उनके साथ ही खेलता था और धीरे-धीरे क्रिकेट उसका जुनून बन गया. आकाश का पढ़ाई में मन बहुत कम लगता था. ऐसे में क्रिकेट में उसका इंटरेस्ट देखकर उसका प्रवेश बीकानेर के सार्दुल स्पोर्ट्स स्कूल में करा दिया. जहां पढ़ाई के साथ ही उसने क्रिकेट की प्रैक्टिस भी की.

उसके बाद भरतपुर और फिर जयपुर में क्रिकेट एकेडमी में उसकी प्रैक्टिस कराई. अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेल रहे तेज गेंदबाज आकाश सिंह के भाई ने कहा कि उसे आकाश का भाई होने पर गर्व है. आकाश सिंह के विश्व कप में खेलने से घर, गांव और साथी खिलाड़ियों में खुशी का माहौल है. आकाश के पिता किसान और माता ग्रहणी है. परिवार में बड़े भाई के साथ ही दो बहने भी हैं.

मैं आज आकाश की वजह से ही क्रिकेट खेल पा रहा हूं

नगर कस्बा निवासी राहुल ने बताया कि पहले नगला रामरतन से सिर्फ आकाश ही गांव से बाहर जाकर क्रिकेट खेलता था. लेकिन आज आकाश के कीर्तिमान को देखते हुए उनके परिजनों ने भी उन्हें क्रिकेट खेलने की छूट दे दी है. राहुल ने बताया कि उसी की तरह नगला राम रतन से आज की तारीख में करीब 15 लड़के जयपुर और भरतपुर में क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं. राहुल ने बताया कि वह भी आकाश सिंह की तरह देश के लिए खेलना चाहता है.

जहीर खान की तरह बॉलर बनने की जताई थी इच्छा

भरतपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव और क्रिकेट एकेडमी संचालित करने वाले शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि आकाश सिंह का भाई उसे एकेडमी लेकर आया था. तब आकाश से पूछा था कि वह क्या बनना चाहता है तो उसने उस समय कहा था कि वह जहीर खान की तरह बाएं हाथ के तेज गेंदबाज बनना चाहते है. भरतपुर में करीब डेढ़ साल की प्रैक्टिस के बाद उसे जयपुर प्रैक्टिस करने के लिए भेज दिया गया. जहां से उसके खेल में निरंतर और निखार होता गया. आज अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेल कर जिले के साथ ही देश का नाम भी रोशन कर रहा है.

पढ़ें- भरतपुरः आपसी रंजिश के कारण युवक की हत्या, खेत में फेंका शव

दसवीं कक्षा में दो बार फेल हो चुका था आकाश

सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि आकाश ने क्रिकेट को अपना जुनून बना लिया. यही वजह थी कि होली, दीपावली किसी भी त्यौहार पर वह अपने घर नहीं जाता था. इतना ही नहीं एकेडमी में आकाश सिंह एकमात्र ऐसा खिलाड़ी था जो कि रविवार को भी प्रैक्टिस करता था. सचिव तिवारी ने बताया कि आकाश सिंह बोलता था कि उसका पढ़ने में मन नहीं लगता और वह दसवीं कक्षा में दो बार फेल हो चुका है. इसलिए अब क्रिकेट ही उसका सब कुछ है.

Intro:भरतपुर.
भरतपुर संभाग मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर नगर कस्बा के पास स्थित गांव नगला राम रतन निवासी बाएं हाथ का तेज गेंदबाज आकाश सिंह आज भारत की ओर से अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल रहा है। बहुत ही सामान्य परिवार का आकाश आज जिले के प्रत्येक क्रिकेट खिलाड़ी के लिए आदर्श बन गया है। वर्षों पहले गांव से सिर्फ आकाश सिंह ही एकमात्र ऐसा खिलाड़ी था जो गांव से बाहर जाकर क्रिकेट खेलता था। लेकिन आज उसी आकाश की वजह से ना केवल गांव के करीब 15 लड़के क्रिकेट की प्रेक्टिस करते हैं बल्कि उनके घरवाले भी उन्हें पूरा सपोर्ट कर रहे हैं। आज ना केवल नगला रामरतन के लड़के बल्कि जिले के क्रिकेट खेलने वाले प्रत्येक लड़के की जुबान पर आकाश सिंह बनने की इच्छा है। ईटीवी भारत की टीम ने आकाश सिंह के गांव पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाकात की। साथ ही आकाश सिंह जिस एकेडमी में प्रैक्टिस करता था वहां भी उसके साथ खेले हुए लड़कों से मिलकर उनकी इच्छा जानी।


Body:यूं तय किया गांव से विश्व कप तक का सफर
नगर कस्बा के पास स्थित नगला रामरतन निवासी आकाश सिंह के बड़े भाई लाखन सिंह ने बताया कि बचपन में आकाश उनके साथ क्रिकेट खेलने जाया करता था। गांव में होने वाली क्रिकेट ट्रॉफी के मैच में आकाश उनके साथ ही खेलता और धीरे-धीरे क्रिकेट उसका जुनून बन गया। आकाश का पढ़ाई में मन बहुत कम लगता था। ऐसे में क्रिकेट में उसका इंटरेस्ट देखकर उसका प्रवेश बीकानेर के सार्दुल स्पोर्ट्स स्कूल में करा दिया। जहां पढ़ाई के साथ ही उसने क्रिकेट की प्रैक्टिस भी की। उसके बाद भरतपुर और फिर जयपुर में क्रिकेट एकेडमी में उसकी प्रैक्टिस कराई। अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेल रहे तेज गेंदबाज आकाश सिंह के भाई ने कहा कि उसे आकाश का भाई होने पर गर्व है। आकाश सिंह के विश्व कप में खेलने से घर, गांव और साथी खिलाड़ियों में खुशी का माहौल है। आकाश के पिता किसान और माता ग्रहणी है। परिवार में बड़े भाई के साथ ही दो बहने भी हैं।

मैं आज आकाश की वजह से ही क्रिकेट खेल पा रहा हूं
नगर कस्बा निवासी राहुल ने बताया कि पहले नगला रामरतन से सिर्फ आकाश ही गांव से बाहर जाकर क्रिकेट खेलता था। लेकिन आज आकाश के कीर्तिमान को देखते हुए उनके परिजनों ने भी उन्हें क्रिकेट खेलने की छूट दे दी है। राहुल ने बताया कि उसी की तरह नगला राम रतन से आज की तारीख में करीब 15 लड़के जयपुर और भरतपुर में क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं। राहुल ने बताया कि वह भी आकाश सिंह की तरह देश के लिए खेलना चाहता है।

जहीर खान की तरह बॉलर बनने की जताई थी इच्छा
भरतपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव और क्रिकेट एकेडमी संचालित करने वाले शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि आकाश सिंह का भाई उसे एकेडमी लेकर आया था। तब आकाश से पूछा था कि वह क्या बनना चाहता है तो उसने उस समय कहा था कि वह जहीर खान की तरह बाएं हाथ के तेज गेंदबाज बनना चाहता है। भरतपुर में करीब डेढ़ साल की प्रैक्टिस के बाद उसे जयपुर प्रैक्टिस करने के लिए भेज दिया गया। जहां से उसके खेल में निरंतर और निखार होता गया। आज अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेल कर जिले के साथ ही देश का नाम भी रोशन कर रहा है।




Conclusion:दसवीं कक्षा में दो बार फेल हो चुका था आकाश
सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि आकाश ने क्रिकेट को अपना जुनून बना लिया। यही वजह थी कि होली दीपावली किसी भी त्योहार पर वह अपने घर नहीं जाता था। इतना ही नहीं एकेडमी में आकाश सिंह एकमात्र ऐसा खिलाड़ी था जो कि रविवार को भी प्रैक्टिस करता था। सचिव तिवारी ने बताया कि आकाश सिंह बोलता था कि उसका पढ़ने में मन नहीं लगता और वह दसवीं कक्षा में दो बार फेल हो चुका है। इसलिए अब क्रिकेट ही उसका सब कुछ है।

बाईट 1 - राहुल, खिलाड़ी ( आकाश के गांव से)

बाईट2- शत्रुघ्न तिवारी, सचिव, जिला क्रिकेट संघ, भरतपुर ( स्पोर्ट चश्मे में)

बाईट3- मयन वर्मा, खिलाड़ी( हैलमेट में)

नोट- आकाश के बड़े भाई लाखन सिंह की बाइट और अन्य वीडियो न्यूज़ रेप से भेजे जा रहे हैं।
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