अलवर. बारिश के मौसम में वन्यजीवों की मॉनिटरिंग में परेशानी हो रही है. बारिश के चलते वन्यजीव के पगमार्क (Footmark) नहीं मिलते हैं. साथ ही अलवर के सरिस्का (Sariska) के जंगल क्षेत्र में अभी बड़ी संख्या में गांव बसे हुए हैं. ग्रामीणों के कारण आए दिन शिकार की शिकायतें मिलती है.
साथ ही मानव दखल के कारण वन्यजीवों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन सरिस्का (Sariska) प्रशासन की तरफ से लगातार गांवों को विस्थापित किया जा रहा है. इसका फायदा अब वन्यजीवों को होने लगा है. दूसरी तरफ बारिश ने वन विभाग के अधिकारियों की परेशानी बढ़ा रखी है.
बता दें, अलवर के सरिस्का (Sariska) में इस समय 23 बाघ, बाघिन और उनके शावक हैं. 24 घंटे वनकर्मी इनकी मॉनिटरिंग करते हैं. मॉनिटरिंग टीम में एक वनकर्मी, एक फॉरेस्ट गार्ड और एक स्थानीय ग्रामीण युवा रहता है. बारिश के समय में वन्यजीवों के पगमार्क (Footmark) नहीं मिल पाते हैं, ऐसे में मॉनिटरिंग में काफी दिक्कत आती है क्योंकि मॉनिटरिंग पग मार्ग और कैमरे के हिसाब से की जाती है.
बारिश के समय बाघों की मॉनिटरिंग (Monitoring of Tigers) वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. बीते कुछ दिनों से बाघिन ST10 का शावक भी नहीं मिल रहा है. बारिश के कारण पगमार्क (Footmark) नहीं मिलने के कारण उसकी तलाश करने में दिक्कत हो रही है. साथ ही गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया भी सरिस्का (Sariska) प्रशासन की तरफ से की जा रही है.
सरिस्का (Sariska) के जंगल एरिया में कुल 29 गांव बसे हुए हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि डाबरी और पानीढाल गांव के करीब 83 परिवारों को तिजारा और अन्य जगहों पर विस्थापित किया गया. अभी सरिस्का (Sariska) प्रशासन की तरफ से सुकोला, हरिपुरा और क्रासका गांव के लोगों को विस्थापित करने का काम चल रहा है. इसको लेकर लगातार सरिस्का (Sariska) के अधिकारी ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं.
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सरिस्का (Sariska) के अधिकारियों ने कहा कि गांव को अन्य जगह विस्थापित करने से सरिस्का में रहने वाले वन्यजीवों को बड़ी राहत मिलेगी. बाघ और अन्य वन्यजीवों को वितरण करने के लिए खुला स्थान मिल सकेगा. साथ ही बाघों का कुनबा भी बढ़ सकेगा. अधिकारियों का कहना है कि लगातार सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है.