अलवर. रणथंभौर, सरिस्का, भरतपुर और मथुरा तक पैदल पहुंचने वाला और कई लोगों पर हमले करने वाला बाघ st 6 इन दिनों बीमार हो गया है. बाघ की हालत खराब होने पर डॉक्टरों द्वारा बाघ को ट्रेंकुलाइज करके एंक्लोजर में छोड़ा गया है. वहां डॉक्टरों की टीम उसका का इलाज कर रही है. सरिस्का बाघ परियोजना में जख्मी बाघ st 6 को ट्रेंकुलाइज करके उसका इलाज शुरू कर दिया गया है. बाघ की पूछ के ऊपर जख्म है, जिस में कीड़े पड़ गए थे. अब इसको एंक्लोजर में बंद करके इलाज किया जा रहा है.
सवाई माधोपुर के वेटरनरी डॉक्टर राजीव गर्ग और सरिस्का के डॉक्टर दीनदयाल मीणा ने बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के बाद उसके जख्म में लगे कीड़ो को साफ किया है और दवा लगाई है. इलाज के बाद बाघ को एंक्लोजर में बंद करके डॉक्टर और वन विभाग की टीम लगातार उसकी मॉनिटरिंग कर रही हैं. इससे पहले बाघ के इलाज के लिए जयपुर से डॉक्टर अरविंद माथुर आए थे. इलाज के बाद बाघ का जख्म ठीक हो गया था, लेकिन फिर से जख्म में कीड़े पड़ने की जानकारी मिली थी. यह बाघ सरिस्का की सदर रेंज में विचरण करता है.
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सरिस्का के सभी बाघों में st 6 को फूंका और हमलावर माना गया है. दरअसल यह बाघ रणथंबोर में रहता था. वहां उसने एक वन कर्मी पर हमला किया. उसके बाद पैदल ही भरतपुर पहुंचा. भरतपुर से मथुरा पहुंचा. इस दौरान भी उसने कई लोगों पर हमले किए. बाद में इसे ट्रेंकुलाइज करके सरिस्का छोड़ा गया. सरिस्का में भी आने के बाद बाघ st 6 के अन्य बाघों से संघर्ष हुआ. इस दौरान एक बाघ की मौत भी हुई. तो वहीं पहले भी यह सारिस्का में कई लोगों को घायल कर चुका है. इतना ही नहीं सबसे ज्यादा पर्यटकों को देखने वाला भी बाघ st 6 है. ऐसे में st 6 को सरिस्का का राजा कहा जाता है, लेकिन धीरे-धीरे उम्र होने के कारण बाघ st 6 का जलवा भी अब कम होने लगा है, लेकिन सारिस्का प्रशासन की तरफ से लगातार बाघ पर पूरी नजर रखी जा रही है और उसे ठीक करने का प्रयास जारी है.