अलवर. कोरोना के डर के बीच अलवर के लोग होली धूमधाम से मना रहे हैं. अलवर में सबसे बड़ी होलिका का दहन होली ऊपर मोहल्ले में होता है. राजा महाराजा इस होली को देखकर घर में होली की पूजा करते थे. इसलिए इस मोहल्ले का नाम होली ऊपर रखा गया.
पहले एक माह तक होली की तैयारी होती थी. युवा, बच्चे, महिलाएं सभी एक दूसरे के साथ होली की हंसी- मजाक करते थे. कई तरह के कार्यक्रम होते थे. लेकिन समय के साथ हालात बदले अब यह कार्यक्रम केवल 2 दिन का रह गया है.
इस दौरान भी केवल इस परंपरा को जिंदा रखने के लिए स्थानीय युवा मिलकर होली का का दहन करते हैं. होली ऊपर मोहल्ला में 100 से डेढ़ सौ साल पहले राजा महाराजा इस होलिका दहन करते थे. होली की लपटें इतनी ऊंची होती थी कि राजा के महल में रानी और अन्य परिवार के लोग उस होली की लपटों को देखकर अपने घर में होली की पूजा करते थे. बच्चे, पुरुष सभी घर घर जाकर होली के लिए लकड़ी उपले और अन्य सामान पैसे लेकर आते हैं. उसके बाद होली मनाई जाती है.
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आसपास के क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग यहां होली देखने के लिए आते हैं. इस क्षेत्र की होली सबसे बड़ी होली के रूप में मनाई जाती है. लोगों ने कहा की होलिका दहन पर ही क्षेत्र का नाम होली ऊपर पड़ा इसमें सभी की भागीदारी होती है. अकेले अलवर शहर में 3000 से अधिक जगहों पर होलिका दहन होता है.