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अलवर : आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति, मेडिकल डॉक्टरों ने किया विरोध - आयुर्वेदिक को सर्जरी की अनुमति

सरकार की तरफ से आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को 2 साल की ट्रेनिंग के बाद सर्जरी की अनुमति दी जाएगी. अलवर में डॉक्टरों ने सरकार के इस फैसले के विरोध में 11 दिसंबर को सुबह से लेकर शाम तक कामकाज बंद रखने का फैसला लिया है.

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आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति
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Published : Dec 8, 2020, 10:25 PM IST

अलवर. सरकार की तरफ से आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को 2 साल की ट्रेनिंग के बाद सर्जरी की अनुमति दी जाएगी. डॉक्टर इसके विरोध में आने लगे हैं. अलवर में डॉक्टरों ने सरकार के इस फैसले के विरोध में 11 दिसंबर को सुबह से लेकर शाम तक कामकाज बंद रखने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा प्रभाव पड़ेगा. देश के डॉक्टरों को अन्य देशों में परेशानी होगी.

सरकार ने आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी डॉक्टरों को 2 साल की विशेष ट्रेनिंग के बाद सर्जरी की अनुमति दी है. सरकार के इस फैसले का पूरे प्रदेश में विरोध होने लगा है. आईएमए की तरफ से मंगलवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इसमें सरकार के फैसले के खिलाफ 11 दिसंबर को सरकारी और निजी अस्पतालों में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कामकाज पूरी तरीके से बंद रखने का फैसला लिया गया. इस दौरान केवल आपातकालीन और कोरोना महामारी के बीमार मरीजों का इलाज किया जाएगा.

आईएमए की प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर एमएन थरेजा ने कहा सभी सर्जरी के लिए अलग विशेषज्ञ होते हैं. दांतों की सर्जरी के लिए डेंटल विशेषज्ञ होते हैं. आंखों की सर्जरी के लिए नेत्र विशेषज्ञ होते हैं तो वहीं जनरल सर्जरी के लिए जनरल सर्जन होते हैं. इसके अलावा न्यूरो, लीवर, कैंसर सहित अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ होते हैं और सर्जरी के लिए भी अलग व्यवस्था होती है.

यह भी पढ़ें- चित्तौड़गढ़ में BJP ने लहराया परचम , 11 में से 9 पंचायत समितियों में खिला कमल...दो में अभी कांटे की टक्कर

इसके लिए डॉक्टरों को खांसी पढ़ाई करनी पड़ती है. साथ ही कई साल की मेहनत डॉक्टरों के काम आती है. ऐसे में सरकार के फैसले के बाद आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक डॉक्टर 2 साल की ट्रेनिंग के बाद सभी तरह की सर्जरी कर सकेंगे, जो मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इन लोगों को सर्जरी के बारे में जानकारी नहीं होती है. ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो सकता है. सरकार के इस फैसले से डॉक्टरों को भी खासा नुकसान होगा, जो डॉक्टर कई सालों से इसकी पढ़ाई कर रहे हैं और विशेषज्ञ के लिए अलग-अलग कोर्स करते हैं.

वहीं सरकार के इस फैसले के बाद सभी डॉक्टर समान हो जाएंगे. सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना होगा नहीं तो पूरे प्रदेश में डॉक्टर कामकाज बंद करके अपना विरोध जताएंगे. डॉक्टरों ने कहा सरकार के इस फैसले से मरीजों की जान को खतरा रहेगा क्योंकि प्रत्येक सर्जरी के लिए अलग विशेषज्ञ होते हैं, जबकि होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर इन सर्जरी को नहीं कर पाएंगे. डॉक्टरों ने 11 दिसंबर को पूरे जिले प्रदेश में सरकारी और निजी अस्पतालों में एक साथ कामकाज बंद रखने का फैसला लिया है. इस दौरान केवल आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी. साथ ही कोरोना वायरस के मरीजों को इलाज मिलेगा.

अलवर. सरकार की तरफ से आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को 2 साल की ट्रेनिंग के बाद सर्जरी की अनुमति दी जाएगी. डॉक्टर इसके विरोध में आने लगे हैं. अलवर में डॉक्टरों ने सरकार के इस फैसले के विरोध में 11 दिसंबर को सुबह से लेकर शाम तक कामकाज बंद रखने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा प्रभाव पड़ेगा. देश के डॉक्टरों को अन्य देशों में परेशानी होगी.

सरकार ने आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी डॉक्टरों को 2 साल की विशेष ट्रेनिंग के बाद सर्जरी की अनुमति दी है. सरकार के इस फैसले का पूरे प्रदेश में विरोध होने लगा है. आईएमए की तरफ से मंगलवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इसमें सरकार के फैसले के खिलाफ 11 दिसंबर को सरकारी और निजी अस्पतालों में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कामकाज पूरी तरीके से बंद रखने का फैसला लिया गया. इस दौरान केवल आपातकालीन और कोरोना महामारी के बीमार मरीजों का इलाज किया जाएगा.

आईएमए की प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर एमएन थरेजा ने कहा सभी सर्जरी के लिए अलग विशेषज्ञ होते हैं. दांतों की सर्जरी के लिए डेंटल विशेषज्ञ होते हैं. आंखों की सर्जरी के लिए नेत्र विशेषज्ञ होते हैं तो वहीं जनरल सर्जरी के लिए जनरल सर्जन होते हैं. इसके अलावा न्यूरो, लीवर, कैंसर सहित अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ होते हैं और सर्जरी के लिए भी अलग व्यवस्था होती है.

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इसके लिए डॉक्टरों को खांसी पढ़ाई करनी पड़ती है. साथ ही कई साल की मेहनत डॉक्टरों के काम आती है. ऐसे में सरकार के फैसले के बाद आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक डॉक्टर 2 साल की ट्रेनिंग के बाद सभी तरह की सर्जरी कर सकेंगे, जो मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इन लोगों को सर्जरी के बारे में जानकारी नहीं होती है. ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो सकता है. सरकार के इस फैसले से डॉक्टरों को भी खासा नुकसान होगा, जो डॉक्टर कई सालों से इसकी पढ़ाई कर रहे हैं और विशेषज्ञ के लिए अलग-अलग कोर्स करते हैं.

वहीं सरकार के इस फैसले के बाद सभी डॉक्टर समान हो जाएंगे. सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना होगा नहीं तो पूरे प्रदेश में डॉक्टर कामकाज बंद करके अपना विरोध जताएंगे. डॉक्टरों ने कहा सरकार के इस फैसले से मरीजों की जान को खतरा रहेगा क्योंकि प्रत्येक सर्जरी के लिए अलग विशेषज्ञ होते हैं, जबकि होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर इन सर्जरी को नहीं कर पाएंगे. डॉक्टरों ने 11 दिसंबर को पूरे जिले प्रदेश में सरकारी और निजी अस्पतालों में एक साथ कामकाज बंद रखने का फैसला लिया है. इस दौरान केवल आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी. साथ ही कोरोना वायरस के मरीजों को इलाज मिलेगा.

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