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अलवर में 10 दिन में दोगुना हुए स्क्रब टाइफस के मरीज..अब तक 98 मरीज सामने आए - Symptoms of scrub typhus

अलवर में बीते दो माह से डेंगू व मौसमी बीमारियों का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. डेंगू अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, उसके साथ अब स्क्रब टाइफस का प्रभाव भी नजर आने लगा है. मरीजों की संख्या पिछले दस दिनों में अचानक दोगुना से ज्यादा हो गई है. अभी तक अलवर में स्क्रब टाइफस के 98 मरीज मिल चुके हैं.

अलवर में स्क्रब टाइफस के मरीज
अलवर में स्क्रब टाइफस के मरीज
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Published : Nov 6, 2021, 9:31 PM IST

अलवर. जिले के सरकारी अस्पतालों में भले ही अब स्क्रब टाइफस के मरीज सामने आने लगे हैं, लेकिन निजी अस्पतालों में पहले भी स्क्रब टाइफस के मरीज मिल रहे थे. स्वास्थ्य विभाग के आंकडों पर नजर डालें तो अलवर में 6 अक्टूबर तक स्क्रब टाइफस के 43 मरीज सामने आए थे, लेकिन 2 नवंबर तक उनकी संख्या बढ़कर 98 हो चुकी थी.

इसके अलावा स्वाइन फ्लू एक, चिकनगुनिया 66, मलेरिया के 14 मरीज मिल चुके हैं. डॉक्टरों ने बताया कि स्क्रब टाइफस के मरीज को 102 से 104 डिग्री बुखार आता है. मरीज की प्लेटलेट्स गिरने लगती हैं. मरीजों को सिर दर्द, खांसी, मांशपेशियों में दर्द, कमजोरी महसूस होती है.

पढ़ें- पिछले साल था महामारी का साया, इस बार मनाई कोरोना फ्री दिवाली

इस बीमारी से ग्रसित होने पर व्यक्ति के शरीर पर लाल निशान हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को खास सावधानी बरतनी चाहिए. घास पर नंगे पैर नहीं चलें, ग्रामीण क्षेत्र में खेत में काम करते समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें व पेड़ों के संपर्क में ज्यादा न आएं. किसी भी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह के बाद दवा लें.

अलवर. जिले के सरकारी अस्पतालों में भले ही अब स्क्रब टाइफस के मरीज सामने आने लगे हैं, लेकिन निजी अस्पतालों में पहले भी स्क्रब टाइफस के मरीज मिल रहे थे. स्वास्थ्य विभाग के आंकडों पर नजर डालें तो अलवर में 6 अक्टूबर तक स्क्रब टाइफस के 43 मरीज सामने आए थे, लेकिन 2 नवंबर तक उनकी संख्या बढ़कर 98 हो चुकी थी.

इसके अलावा स्वाइन फ्लू एक, चिकनगुनिया 66, मलेरिया के 14 मरीज मिल चुके हैं. डॉक्टरों ने बताया कि स्क्रब टाइफस के मरीज को 102 से 104 डिग्री बुखार आता है. मरीज की प्लेटलेट्स गिरने लगती हैं. मरीजों को सिर दर्द, खांसी, मांशपेशियों में दर्द, कमजोरी महसूस होती है.

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इस बीमारी से ग्रसित होने पर व्यक्ति के शरीर पर लाल निशान हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को खास सावधानी बरतनी चाहिए. घास पर नंगे पैर नहीं चलें, ग्रामीण क्षेत्र में खेत में काम करते समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें व पेड़ों के संपर्क में ज्यादा न आएं. किसी भी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह के बाद दवा लें.

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