अलवर. मंडी में कपास की डिमांड लगातार बढ़ रही है. कुछ दिनों से मंडी में कपास की आवक शुरू (Cotton Crop production in Alwar) हो चुकी है. पिछले साल की तुलना में कम कपास मंडी में पहुच रही है. अभी गीली कपास की आवक हो रही है. इसलिए उसके भाव भी बीते सालों की तुलना में कम हैं. वैसे कपास के भाव क्वालिटी के आधार पर ऊंचे-नीचे होते रहते हैं.
कपास व्यापारी अमित खंडेलवाल ने बताया कि इस वक्त मंडी में 700 से 1000 पोट कपास की आवक हो रही है. जहां सुबह इस कपास के भाव 9800 रुपए प्रति क्विंटल थे. वहीं दोपहर में इसके भाव 9600 रुपए प्रति क्विंटल हो गए. 1 सप्ताह के दौरान करीब 600 से 800 रुपए की मंदी आई है. बीते साल की तुलना में इस बार कपास की क्वालिटी अच्छी है. हालांकि इस साल आधी पैदावार हुई है. जिससे कपास के भाव बढ़ने के आसार हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को सूखा माल मंडी में लेकर आना चाहिए. जिससे उन्हें सही और बेहतर भाव मिल सकेगा.
सीकरी निवासी किसान ने बताया कि वो अलवर की मंडी में कपास बेचने आते हैं. लेकिन इस साल कपास की पैदावार कम है. गर्मी और कम बारिश के कारण कपास की पैदावार पर खासा असर पड़ा है. इस साल किसानों को कपास से कोई फायदा नहीं हो रहा है. इसके अलावा बरसात के नहीं होने के कारण बाजरे की फसल को (Bajra Crops affected by Heat in Alwar) भी भारी नुकसान हुआ है.
कम बारिश का सभी फसलों पर है प्रभाव : अलवर क्षेत्र में इस बार सामान्य से भी कम बारिश (Cotton Crop price in Alwar Mandi) हुई है. इसका असर अभी से नजर आने लगा है. अलवर में कपास की अच्छी पैदावार होती है. लेकिन इस साल कपास की फसल भी खासी प्रभावित हुई है. वहीं बारिश की कमी के चलते बाजरे की फसल भी खराब हो चुकी है. ऐसे में आने वाले समय में प्याज, सरसो, गेहूं की फसल को भी खासा नुकसान हो सकता है.
देश की बड़ी मंडियों में शामिल है अलवर : अलवर मंडी देश की बड़ी मंडियों में शामिल है. मंडी से प्याज व सरसों पूरे देश में सप्लाई होता है. अलवर की प्याज पड़ोसी देशों में भी भेजी जाती है. वहीं अलवर का सरसों का तेल पूरे देश में सप्लाई होता है. बीते कुछ सालों से कपास भी आसपास क्षेत्र में सप्लाई हो रही थी. अलवर में कपास से संबंधित कार्यों की कई औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें भी कपास की खासी डिमांड रहती है.