अलवर. पूर्व केंद्रीय मंत्री और असम प्रदेश के प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह सोमवार को अलवर दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. युवाओं के पास रोजगार नहीं है और जिन लोगों के पास रोजगार था, वो रोजगार भी छिन चुका है.
भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश में महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं सबसे ज्यादा असम में हो रही है. वहां हालात खराब हैं और माफिया राज सरकार का चल रहा है. उन्होंने कहा कि असम की जनता अब चुनाव का इंतजार कर रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि असम एनआरसी और सीएए से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है. वहां 14 लाख से अधिक हिंदू समुदाय के लोग इसके चलते देश से बाहर हो रहे हैं, जबकि ये लोग 200 सालों से अपने परिवार के साथ इसी देश में रह रहे हैं.
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'देश की नीतियों का नुकसान आम लोग उठा रहे'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की नीतियों का नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि असम में सभी जाति और धर्म के लोग रहते हैं, लेकिन वहां लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा है. भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि वहां सौहार्द खराब करने की पूरी कोशिश की जा रही है.
'पीएम मोदी को माफी मांगनी चाहिए'
हाल ही में अमेरिका में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहली बार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतियों को तोड़ते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किसी के लिए वोट मांगे और नारा दिया कि अबकी बार ट्रंप सरकार, जो पूरी तरीके से देश की नीतियों के हिसाब से गलत है. उन्होंने देश के प्रधानमंत्री को अमेरिकी राष्ट्रपति से इस मुद्दे पर अपना पक्ष साफ रखते हुए माफी मांगने के लिए कहा, जिससे भारत और अमेरिका के संबंधों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़े.
'विदेशी संबंधों में राजनीति नहीं की जाए'
भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि विदेशी संबंधों में राजनीति नहीं की जाए, तो बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि देश में कई ऐसी चीजें हो रही है, जो पहले कभी नहीं हुई है. ऐसे में साफ है कि देश के हालात दिन-ब-दिन खराब हो रहे हैं.
'गहलोत सरकार बेहतर काम कर रही है'
पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार लगातार बेहतर काम कर रही है. अलवर को कई बड़ी योजनाएं प्रदेश सरकार की ओर से दी गई है. साथ ही लगातार केंद्र सरकार से भी रुकी हुई योजनाओं को जल्द शुरू करने की मांग की जा रही है, जिससे अलवर के युवाओं को रोजगार मिले और अलवर में बेहतर विकल्प रहे.