अलवर. जिले से प्रतिदिन लाखों लीटर दूध दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद सहित विभिन्न शहरों में सप्लाई होता है. वहीं कलाकंद, मावा और मिठाइयां भी त्यौहार के सीजन में बड़ी मात्रा में अलवर से एनसीआर में सप्लाई होती हैं. यह मिठाई ज्यादातर किशनगढ़ बास, तिजारा, खैरथल, रामगढ़, नौगांवा सहित आसपास के क्षेत्रों में चलने वाले कई अवैध कारखानों में बनती है.
साल भर यह मिलावट का खेल खुलेआम चलता है. क्योंकि अलवर में होने वाले दूध से केवल जिले की ही डिमांड पूरी हो सकती है. ऐसे में ये साफ है कि एनसीआर में सप्लाई होने वाली दूध और मिठाइयां मिलावटी हैं. बावजूद इसके सरकारी विभागों की इन कारखानों पर कभी कार्रवाई नहीं होती है. यही कारण है कि दिनों-दिन इस कारोबार में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. त्यौहार आते ही खानापूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सैंपल भरते हैं.
यह भी पढ़ें : मंदी के बीच मोदी के मंत्री शेखावत का बयान, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत की है
त्यौहार के सीजन में लिए जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट डेढ़ से दो माह में आती है. जब तक दुकान में कारखानों पर सारा सामान बिक जाता है. ऐसे में अलवर जिले में प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है. विभाग द्वारा ना तो स्टॉक जब्त किया जाता है और ना ही मिलावटी खाद्य पदार्थ पकड़े जाते हैं.
विभाग की सुस्त रफ्तार और ढुलमुल रवैये के चलते मिलावटखोरों में सरकार का डर समाप्त हो चुका है. इसलिए ये लोग खुलेआम खाद्य पदार्थों में मिलावट कर रहे हैं. जबकि मिलावटी मिठाइयां और दूध आम लोगों को बीमार करता हैं. इससे लोगों के किडनी, लीवर, हॉट सहित कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है. जिले के विभिन्न हिस्सों में दर्जनों भट्टियां लगी हुई हैं लेकिन विभाग का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. विभाग के अधिकारी केवल खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं.