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SPECIAL : अलवर में मोक्षधाम, धर्मशाला, कुर्सियों और पेड़ों पर रखी हैं अस्थियां...लॉकडाउन के कारण नहीं हो रहा विसर्जन

हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि मरणोपरांत अस्थियों का गंगा में विधि विधान से विसर्जन होने के बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन अलवर में इन दिनों मरने वाले लोगों को मोक्ष की प्राप्ति भी नहीं हो रही है.

bones on chairs in Dharamshalas
अलवर में अस्थियां भी लॉक
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Published : May 21, 2021, 5:54 PM IST

अलवर. कोरोना के चलते राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड आसपास के सभी राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में लोग अस्थियों का विसर्जन के लिए हरिद्वार, कासगंज में पड़ने वाले स्थान शोरोन, इलाहाबाद और अन्य गंगा घाटों पर नहीं जा पा रहे हैं. प्रशासन की तरफ से भी लोगों को आने-जाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में लोग परेशान हैं, साथ ही सैकड़ों लोगों की अस्थियां विसर्जन के लिए रखी हैं.

अस्थि विसर्जन के लिए अनलॉक का इंतजार

अलवर में प्रतिदिन मरने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. सामान्य तरह से मरने वालों के साथ ही कोरोना से प्रतिदिन 10 से अधिक लोगों की जान जा रही है. बीते दिनों यह आंकड़ा 20 से अधिक हो गया था. अब कुछ दिनों से मरने वाले लोगों की संख्या में कुछ कमी आई है. हिंदू धर्म में मरने के बाद गंगा में विधि-विधान से अस्थियों का विसर्जन होता है. कहते हैं अस्थियों के विसर्जन के साथ ही कर्मकांड के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन अलवर में मरने के बाद भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो रही है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते राजस्थान में 24 मई तक लॉकडाउन है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड सहित आस-पास के राज्यों में भी लॉकडाउन लगा हुआ है.

bones on chairs in Dharamshalas
कोरोना काल में मोक्ष को भी तरसी आत्माएं

लॉकडाउन ने लगाई विसर्जन पर रोक

लॉकडाउन के चलते लोगों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है. बीते दिनों अलवर से उत्तर प्रदेश की तरफ जा रही रोडवेज बस को भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रवेश की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते रोडवेज बस को वापस लौटना पड़ा. लगातार लोग प्रशासन से अनुमति और पास बनाने की मांग कर रहे हैं. तो वहीं बसों की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है. लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई.

bones on chairs in Dharamshalas
धर्मशालाओं में रखी हैं अस्थियां

मोक्षधाम, धर्मशाला, पेड़ों पर अस्थियां

लोगों ने मजबूरी में अपनों की अस्थियां मोक्ष धाम, पुरुषार्थी समाज की धर्मशाला और अन्य जगहों पर रख दी हैं. अलवर शहर में पुरुषार्थी समाज की दो धर्मशालाएं हैं. दोनों धर्मशाला में करीब 200 से अधिक लोगों की अस्थियां रखी हुई हैं. समाज की तरफ से अस्थियों की सुबह शाम के समय पूजा की जाती है. सम्मान के साथ सभी अस्थियों को लॉकर में रखा गया है. अब लॉकर भरने से अस्थियों को टेबल कुर्सी पर रखा गया है.

bones on chairs in Dharamshalas
जगह नहीं होने के चलते धर्मशाला में कुर्सियों पर रखी अस्थियां

पढ़ें- जल्द शुरू होगी मोक्ष कलश निशुल्क बस सेवा, यूपी सरकार से चल रही बात: परिवहन मंत्री खाचरियावास

पुरुषार्थी समाज के लोगों ने कहा कि सभी समाज के लोग हस्तियां रखने के लिए आ रहे हैं. अब उनके पास जगह की कमी होने लगी है. ऐसे में प्रशासन को अस्थियां विसर्जन की व्यवस्था करनी चाहिए. इसके अलावा सभी मोक्ष धाम पर भी अस्थियां रखने की व्यवस्था है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में तो लोगों ने पेड़ों पर ही अस्थियों को लटका दिया है. अलवर बड़ा जिला है. इसलिए यहां हालात अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा खराब हैं. अलवर जिले में कोरोना का संक्रमण भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा रहा. ऐसे में यहां अब भी सैकड़ों लोगों की अस्थियां विसर्जन की प्रतीक्षा कर रही हैं.

bones on chairs in Dharamshalas
मोक्षधामों में लॉक हैं अस्थियां

सरकार की योजना फेल

राजस्थान सरकार की तरफ से मोक्ष कलश योजना शुरू की गई थी. इसके तहत सरकार निशुल्क रोडवेज बस से लोगों को गंगा में अस्थियां विसर्जन के लिए भेज रही है. अलवर में इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. क्योंकि इस योजना में शामिल होने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. कई दिनों से साइट बंद है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. ऐसे में सरकार की योजना केवल कागजों तक सिमट कर रह गई है.

निजी वाहनों को नहीं है आने-जाने की अनुमति

लॉकडाउन के कारण निजी वाहनों को आने-जाने की अनुमति नहीं है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों की पुलिस वाहनों को रोक रही है. ऐसे में लोग निजी वाहनों से आने-जाने से बच रहे हैं.

bones on chairs in Dharamshalas
अलवर में आत्माएं तक लॉक

ग्रामीण क्षेत्र में नहीं है अस्थियां रखने की जगह

शहरी क्षेत्र में पुरुषार्थी समाज की तरफ से अस्थियां रखने की व्यवस्था की गई है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में अस्थियां रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में लोगों ने पेड़ों पर अस्थियां टांग रखी हैं. कुछ लोगों ने मोक्ष धाम और अंतिम संस्कार ग्रह के आस-पास अस्थियां रखने की व्यवस्था की है.

अलवर. कोरोना के चलते राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड आसपास के सभी राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में लोग अस्थियों का विसर्जन के लिए हरिद्वार, कासगंज में पड़ने वाले स्थान शोरोन, इलाहाबाद और अन्य गंगा घाटों पर नहीं जा पा रहे हैं. प्रशासन की तरफ से भी लोगों को आने-जाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में लोग परेशान हैं, साथ ही सैकड़ों लोगों की अस्थियां विसर्जन के लिए रखी हैं.

अस्थि विसर्जन के लिए अनलॉक का इंतजार

अलवर में प्रतिदिन मरने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. सामान्य तरह से मरने वालों के साथ ही कोरोना से प्रतिदिन 10 से अधिक लोगों की जान जा रही है. बीते दिनों यह आंकड़ा 20 से अधिक हो गया था. अब कुछ दिनों से मरने वाले लोगों की संख्या में कुछ कमी आई है. हिंदू धर्म में मरने के बाद गंगा में विधि-विधान से अस्थियों का विसर्जन होता है. कहते हैं अस्थियों के विसर्जन के साथ ही कर्मकांड के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन अलवर में मरने के बाद भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो रही है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते राजस्थान में 24 मई तक लॉकडाउन है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड सहित आस-पास के राज्यों में भी लॉकडाउन लगा हुआ है.

bones on chairs in Dharamshalas
कोरोना काल में मोक्ष को भी तरसी आत्माएं

लॉकडाउन ने लगाई विसर्जन पर रोक

लॉकडाउन के चलते लोगों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है. बीते दिनों अलवर से उत्तर प्रदेश की तरफ जा रही रोडवेज बस को भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रवेश की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते रोडवेज बस को वापस लौटना पड़ा. लगातार लोग प्रशासन से अनुमति और पास बनाने की मांग कर रहे हैं. तो वहीं बसों की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है. लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई.

bones on chairs in Dharamshalas
धर्मशालाओं में रखी हैं अस्थियां

मोक्षधाम, धर्मशाला, पेड़ों पर अस्थियां

लोगों ने मजबूरी में अपनों की अस्थियां मोक्ष धाम, पुरुषार्थी समाज की धर्मशाला और अन्य जगहों पर रख दी हैं. अलवर शहर में पुरुषार्थी समाज की दो धर्मशालाएं हैं. दोनों धर्मशाला में करीब 200 से अधिक लोगों की अस्थियां रखी हुई हैं. समाज की तरफ से अस्थियों की सुबह शाम के समय पूजा की जाती है. सम्मान के साथ सभी अस्थियों को लॉकर में रखा गया है. अब लॉकर भरने से अस्थियों को टेबल कुर्सी पर रखा गया है.

bones on chairs in Dharamshalas
जगह नहीं होने के चलते धर्मशाला में कुर्सियों पर रखी अस्थियां

पढ़ें- जल्द शुरू होगी मोक्ष कलश निशुल्क बस सेवा, यूपी सरकार से चल रही बात: परिवहन मंत्री खाचरियावास

पुरुषार्थी समाज के लोगों ने कहा कि सभी समाज के लोग हस्तियां रखने के लिए आ रहे हैं. अब उनके पास जगह की कमी होने लगी है. ऐसे में प्रशासन को अस्थियां विसर्जन की व्यवस्था करनी चाहिए. इसके अलावा सभी मोक्ष धाम पर भी अस्थियां रखने की व्यवस्था है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में तो लोगों ने पेड़ों पर ही अस्थियों को लटका दिया है. अलवर बड़ा जिला है. इसलिए यहां हालात अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा खराब हैं. अलवर जिले में कोरोना का संक्रमण भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा रहा. ऐसे में यहां अब भी सैकड़ों लोगों की अस्थियां विसर्जन की प्रतीक्षा कर रही हैं.

bones on chairs in Dharamshalas
मोक्षधामों में लॉक हैं अस्थियां

सरकार की योजना फेल

राजस्थान सरकार की तरफ से मोक्ष कलश योजना शुरू की गई थी. इसके तहत सरकार निशुल्क रोडवेज बस से लोगों को गंगा में अस्थियां विसर्जन के लिए भेज रही है. अलवर में इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. क्योंकि इस योजना में शामिल होने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. कई दिनों से साइट बंद है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. ऐसे में सरकार की योजना केवल कागजों तक सिमट कर रह गई है.

निजी वाहनों को नहीं है आने-जाने की अनुमति

लॉकडाउन के कारण निजी वाहनों को आने-जाने की अनुमति नहीं है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों की पुलिस वाहनों को रोक रही है. ऐसे में लोग निजी वाहनों से आने-जाने से बच रहे हैं.

bones on chairs in Dharamshalas
अलवर में आत्माएं तक लॉक

ग्रामीण क्षेत्र में नहीं है अस्थियां रखने की जगह

शहरी क्षेत्र में पुरुषार्थी समाज की तरफ से अस्थियां रखने की व्यवस्था की गई है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में अस्थियां रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में लोगों ने पेड़ों पर अस्थियां टांग रखी हैं. कुछ लोगों ने मोक्ष धाम और अंतिम संस्कार ग्रह के आस-पास अस्थियां रखने की व्यवस्था की है.

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