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10 जनवरी को ईंट भट्टों के संचालन पर एनजीटी में होगी सुनवाई, 11 को आएगा फैसला - ईंट भट्टे के संचालन पर रोक

कोरोना के बाद एनजीटी की रोक के चलते ईंट भट्टों पर काम करने वाले लोग बेरोजगार हो गए हैं. सीजन शुरू होने के बाद भी अलवर में ईंट भट्टे बंद हैं. ऐसे में 10 जनवरी को एनजीटी में इस मामले पर सुनवाई होगी, जिसके बाद 11 जनवरी को ईंट भट्टों के संचालन को लेकर फैसला होगा. ईं

hearing on brick kilns in NGT, ban on operation of brick kilns
ईंट भट्टों के संचालन को लेकर 11 जनवरी को एनजीटी करेंगी फैसला
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Published : Jan 9, 2021, 4:48 PM IST

अलवर. जिले में 135 से अधिक ईंट भट्टे हैं. कोरोना में एनजीटी की रोक के चलते अलवर में ईंट भट्टे बंद हैं. हर साल नवंबर माह से जुलाई माह तक ईंट भट्टों का संचालन होता है. एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ईंट भट्टों को जिक जैक टेक्नोलॉजी में कन्वर्ट किया गया है. अलवर में 130 भट्टे जिक जैक में कन्वर्ट हो चुके हैं. यह तकनीक सामान्य ईंट भट्टों की तकनीक से महंगे होते हैं. इसलिए ईंट भट्टा संचालक को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, नई तकनीक में कई गुना खर्च बढ़ गया है.

ईंट भट्टों के संचालन को लेकर 11 जनवरी को एनजीटी करेगी फैसला

सरकार व एनजीटी के दबाव के चलते अधिकतर ईंट भट्टे जिक जैक तकनीक में कन्वर्ट हो चुके हैं. अभी केवल करीब 5 भट्टे पुरानी तकनीक पर हैं, वो भी बंद हैं. कोरोना काल में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अलवर से पूरे एनसीआर के ईंट भट्टों पर रोक लगा दी गई थी.

पढ़ें- उदयपुर: किसान के बेटे का BARC में साइंटिस्ट पद के लिए चयन

ऐसे में 11 जनवरी को भट्टों के संचालन पर फैसला होगा. एनजीटी में इस मामले की सुनवाई होनी है. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि अलवर सहित एनसीआर के भट्टे बंद हैं. 10 जनवरी को एनजीटी में इस मामले की सुनवाई होनी है. उसके बाद संचालन पर फैसला होगा.

हजारों श्रमिक हुए बेरोजगार

ईंट भट्टों पर हजारों की संख्या में श्रमिक काम करते हैं. अलवर के ईंट भट्टे बंद हैं. ऐसे में ईंट भट्टा पर काम करने वाले हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. शुरुआत में कोरोना की मार के चलते श्रमिक परेशान हुए थे. अब एनजीटी के आदेश ने श्रमिकों को परेशान कर दिया है. हालांकि प्रदूषण विभाग के अधिकारी जल्द ही ईंट भट्ट के शुरू होने की बात कह रहे हैं.

नहीं मिलती है ईंट

अलवर में लोगों को समय पर ईंट नहीं मिलती है. ईंट नहीं मिलने के कारण लोगों को भवन निर्माण में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ईंट कई गुना महंगी हो गई है. वाहन चालक आसपास के शहरों से ईंट लाकर अलवर में बेचते हैं. इसका नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ता है.

अलवर. जिले में 135 से अधिक ईंट भट्टे हैं. कोरोना में एनजीटी की रोक के चलते अलवर में ईंट भट्टे बंद हैं. हर साल नवंबर माह से जुलाई माह तक ईंट भट्टों का संचालन होता है. एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ईंट भट्टों को जिक जैक टेक्नोलॉजी में कन्वर्ट किया गया है. अलवर में 130 भट्टे जिक जैक में कन्वर्ट हो चुके हैं. यह तकनीक सामान्य ईंट भट्टों की तकनीक से महंगे होते हैं. इसलिए ईंट भट्टा संचालक को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, नई तकनीक में कई गुना खर्च बढ़ गया है.

ईंट भट्टों के संचालन को लेकर 11 जनवरी को एनजीटी करेगी फैसला

सरकार व एनजीटी के दबाव के चलते अधिकतर ईंट भट्टे जिक जैक तकनीक में कन्वर्ट हो चुके हैं. अभी केवल करीब 5 भट्टे पुरानी तकनीक पर हैं, वो भी बंद हैं. कोरोना काल में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अलवर से पूरे एनसीआर के ईंट भट्टों पर रोक लगा दी गई थी.

पढ़ें- उदयपुर: किसान के बेटे का BARC में साइंटिस्ट पद के लिए चयन

ऐसे में 11 जनवरी को भट्टों के संचालन पर फैसला होगा. एनजीटी में इस मामले की सुनवाई होनी है. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि अलवर सहित एनसीआर के भट्टे बंद हैं. 10 जनवरी को एनजीटी में इस मामले की सुनवाई होनी है. उसके बाद संचालन पर फैसला होगा.

हजारों श्रमिक हुए बेरोजगार

ईंट भट्टों पर हजारों की संख्या में श्रमिक काम करते हैं. अलवर के ईंट भट्टे बंद हैं. ऐसे में ईंट भट्टा पर काम करने वाले हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. शुरुआत में कोरोना की मार के चलते श्रमिक परेशान हुए थे. अब एनजीटी के आदेश ने श्रमिकों को परेशान कर दिया है. हालांकि प्रदूषण विभाग के अधिकारी जल्द ही ईंट भट्ट के शुरू होने की बात कह रहे हैं.

नहीं मिलती है ईंट

अलवर में लोगों को समय पर ईंट नहीं मिलती है. ईंट नहीं मिलने के कारण लोगों को भवन निर्माण में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ईंट कई गुना महंगी हो गई है. वाहन चालक आसपास के शहरों से ईंट लाकर अलवर में बेचते हैं. इसका नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ता है.

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