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अलवर का भर्तृहरि धाम बना बंदरों की मौत का कब्रगाह

अलवर जिले का भर्तृहरि धाम पूरे देश में प्रसिद्ध है. लेकिन लॉकडाउन के बाद से धाम पूरी तरह से बंद है. जिसके बाद से यहां रहने वाले जानवरों के लिए खाने की मुसीबत हो गई है. भर्तृहरि धाम के आस-पास रहने वाले बंदर और दूसरे जानवरों की भूख से मौत हो रही है.

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अलवर का भर्तृहरि धाम बना जानवरों की मौत की कब्रगाह
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Published : Jun 22, 2020, 3:21 AM IST

अलवर. तपोभूमि भर्तृहरि धाम में इन दिनों दुकानदारों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट मंडराने लगा है. वहीं दूसरी तरफ लगातार 3 महीने से मंदिर बंद होने के कारण यहां रहने वाले जीव जंतुओं को भोजन नहीं मिल रहा है. ऐसे में लगातार बंदर और दूसरे जीवों की मौत हो रही है.

मंदिर पिछले 3 महीनों से बंद है

अलवर का भर्तृहरि धाम पूरे देश में विशेष स्थान रखता है. राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से लोग महाराज भर्तृहरि के दर्शन के लिए आते हैं. कुछ जातीय समुदाय लोग इनको अपना इष्ट देव मानते हैं. ऐसे में प्रतिदिन यहां आमतौर पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं. वहीं मंदिर परिसर के आसपास बड़ी संख्या में दुकानें बनी हुई है. इन पर प्रसाद खिलौने साज-सज्जा के सामान और अन्य जरूरत की चीजें मिलती हैं.

पढ़ें: अलवर: सड़क किनारे किसान का मिला शव, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका

मंदिर बंद होने के कारण दुकाने भी बंद है. ऐसे में दुकानदारों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट गहराने लगा है. कुछ दुकानदार तो मजदूरी के काम में लग गए हैं. वहीं कुछ लोग मदद मांग कर काम चला रहे हैं. इसके अलावा मंदिर के पुजारी और मंदिर क्षेत्र में रहने वाले अन्य लोगों को भी खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

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भर्तृहरि धाम पूरे देश में प्रसिद्ध है

मंदिर पिछले 3 महीनों से बंद है. शुरुआत में तो लोगों ने यहां रहने वाले बंदर, गाय, बैल, नीलगाय और दूसरे जानवरों को चारा, सब्जी, रोटी पहुंचाने का काम किया था. लेकिन धीरे-धीरे हालात खराब होते गए. अब यहां रहने वाले जीव जंतुओं खाना नहीं मिल रहा है. जिससे लगातार यहां पर बंदरों की मौत हो रही है. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी है.

वहीं क्षेत्र के कुछ समाजसेवियों की तरफ से मंदिर परिसर के आस पास रहने वाले जानवरों को खाने की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. आने वाले समय में अगर इस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो बड़ी संख्या में जानवरों की भूख से मौत हो सकती है.

अलवर. तपोभूमि भर्तृहरि धाम में इन दिनों दुकानदारों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट मंडराने लगा है. वहीं दूसरी तरफ लगातार 3 महीने से मंदिर बंद होने के कारण यहां रहने वाले जीव जंतुओं को भोजन नहीं मिल रहा है. ऐसे में लगातार बंदर और दूसरे जीवों की मौत हो रही है.

मंदिर पिछले 3 महीनों से बंद है

अलवर का भर्तृहरि धाम पूरे देश में विशेष स्थान रखता है. राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से लोग महाराज भर्तृहरि के दर्शन के लिए आते हैं. कुछ जातीय समुदाय लोग इनको अपना इष्ट देव मानते हैं. ऐसे में प्रतिदिन यहां आमतौर पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं. वहीं मंदिर परिसर के आसपास बड़ी संख्या में दुकानें बनी हुई है. इन पर प्रसाद खिलौने साज-सज्जा के सामान और अन्य जरूरत की चीजें मिलती हैं.

पढ़ें: अलवर: सड़क किनारे किसान का मिला शव, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका

मंदिर बंद होने के कारण दुकाने भी बंद है. ऐसे में दुकानदारों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट गहराने लगा है. कुछ दुकानदार तो मजदूरी के काम में लग गए हैं. वहीं कुछ लोग मदद मांग कर काम चला रहे हैं. इसके अलावा मंदिर के पुजारी और मंदिर क्षेत्र में रहने वाले अन्य लोगों को भी खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

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भर्तृहरि धाम पूरे देश में प्रसिद्ध है

मंदिर पिछले 3 महीनों से बंद है. शुरुआत में तो लोगों ने यहां रहने वाले बंदर, गाय, बैल, नीलगाय और दूसरे जानवरों को चारा, सब्जी, रोटी पहुंचाने का काम किया था. लेकिन धीरे-धीरे हालात खराब होते गए. अब यहां रहने वाले जीव जंतुओं खाना नहीं मिल रहा है. जिससे लगातार यहां पर बंदरों की मौत हो रही है. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी है.

वहीं क्षेत्र के कुछ समाजसेवियों की तरफ से मंदिर परिसर के आस पास रहने वाले जानवरों को खाने की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. आने वाले समय में अगर इस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो बड़ी संख्या में जानवरों की भूख से मौत हो सकती है.

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