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Special : अलवर में सूखा पड़ने से किसानों को भारी नुकसान, ये फसलें हुईं बर्बाद

अलवर जिले में इस साल सामान्य से कम बारिश दर्ज की है. जिले में कम बारिश होने से बाजरे की फसल को पूरी तरह खराब हो गई (Millet crop loss due to lack of rain in Alwar) है. किसानों का कहना है कि यही हालात रहे तो जिले में सूखा पड़ेगा.

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Published : Sep 18, 2022, 8:44 PM IST

अलवर. जिले में कम बारिश होने से फसलों को नुकसान हुआ है. जिले में बारिश नहीं होने से बाजरे की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी (Millet crop loss due to lack of rain in Alwar) है. बाजरे का दाना सुख चुका है. किसानों के मुताबिक बारिश नहीं होने से आने वाले समय में प्याज और सरसों की फसल भी प्रभावित हो सकती है और अगर आगे बारिश नहीं हुई तो अलवर जिले में सुखा पड़ेगा.

अलवर में जिले में गेहूं, प्याज, सरसों, बाजरा, मक्का की फसल बेहतर होती है. यहां का सरसों का तेल पूरे देश और विदेशी में सप्लाई होता है. इसी तरह से अलवर की प्याज पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित आसपास के देशों में भी सप्लाई होती है. अलवर में सामान्य औसत बारिश 555 एमएम है. जबकि जिले में अभी तक केवल 380 एमएम बारिश हुई है. ऐसे में साफ है कि जिले में सामान्य से भी कम बारिश दर्ज हुई है. जिसके चलते जिले में सूखे के हालात हैं. जिले में इस समय बाजरे, मक्का और ग्वार की फसल हो रही है. बारिश कम होने के कारण बाजरे में मक्का की फसल खराब हो चुकी है. बाजरे का दाना काला पड़ गया है. ऐसे में किसान खासे परेशान हैं.

किसान का बयान

पढ़ें: अलवर: बारिश कम होने का पौधरोपण पर दिख रहा है असर, नहीं लग रहे पौधे

रबि की फसलों को नुकसान की संभवना : किसानों का कहना है कि यही हालात रहे, तो अलवर जिले में इस साल सूखा पड़ेगा. आने वाले समय में गेहूं की फसल को भी नुकसान पहुंचने की संभावना है. बिजली कटौती के कारण खेत में पानी भी सप्लाई नहीं हो रही है. ऐसे में किसान जिले में सतही पानी की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं. अलवर जिले में सतही के पानी के इंतजाम नहीं है.इसलिए पूरा जिला ट्यूबवेल पर निर्भर रहता है. भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है. जिसके कारण ट्यूबवेल भी खराब हो रहे हैं.

अलवर में सबसे कम बारिश: प्रदेश में एक तरफ चित्तौड़गढ़, टोंक, जोधपुर, बीकानेर और जयपुर सहित कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है. इन जिलो में बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात भी उतन्न हो रहे हैं, तो वहीं अलवर जिले में अन्य जिलों की तुलना में कम बारिश दर्ज की गई. अलवर जिले में सामान्य से भी कम बारिश हुई है. जिसके चलते किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं. बिना बारिश के खेती प्रभावित होगी अन्नदाता का जीवन संकट में रहेगा.

अलवर. जिले में कम बारिश होने से फसलों को नुकसान हुआ है. जिले में बारिश नहीं होने से बाजरे की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी (Millet crop loss due to lack of rain in Alwar) है. बाजरे का दाना सुख चुका है. किसानों के मुताबिक बारिश नहीं होने से आने वाले समय में प्याज और सरसों की फसल भी प्रभावित हो सकती है और अगर आगे बारिश नहीं हुई तो अलवर जिले में सुखा पड़ेगा.

अलवर में जिले में गेहूं, प्याज, सरसों, बाजरा, मक्का की फसल बेहतर होती है. यहां का सरसों का तेल पूरे देश और विदेशी में सप्लाई होता है. इसी तरह से अलवर की प्याज पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित आसपास के देशों में भी सप्लाई होती है. अलवर में सामान्य औसत बारिश 555 एमएम है. जबकि जिले में अभी तक केवल 380 एमएम बारिश हुई है. ऐसे में साफ है कि जिले में सामान्य से भी कम बारिश दर्ज हुई है. जिसके चलते जिले में सूखे के हालात हैं. जिले में इस समय बाजरे, मक्का और ग्वार की फसल हो रही है. बारिश कम होने के कारण बाजरे में मक्का की फसल खराब हो चुकी है. बाजरे का दाना काला पड़ गया है. ऐसे में किसान खासे परेशान हैं.

किसान का बयान

पढ़ें: अलवर: बारिश कम होने का पौधरोपण पर दिख रहा है असर, नहीं लग रहे पौधे

रबि की फसलों को नुकसान की संभवना : किसानों का कहना है कि यही हालात रहे, तो अलवर जिले में इस साल सूखा पड़ेगा. आने वाले समय में गेहूं की फसल को भी नुकसान पहुंचने की संभावना है. बिजली कटौती के कारण खेत में पानी भी सप्लाई नहीं हो रही है. ऐसे में किसान जिले में सतही पानी की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं. अलवर जिले में सतही के पानी के इंतजाम नहीं है.इसलिए पूरा जिला ट्यूबवेल पर निर्भर रहता है. भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है. जिसके कारण ट्यूबवेल भी खराब हो रहे हैं.

अलवर में सबसे कम बारिश: प्रदेश में एक तरफ चित्तौड़गढ़, टोंक, जोधपुर, बीकानेर और जयपुर सहित कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है. इन जिलो में बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात भी उतन्न हो रहे हैं, तो वहीं अलवर जिले में अन्य जिलों की तुलना में कम बारिश दर्ज की गई. अलवर जिले में सामान्य से भी कम बारिश हुई है. जिसके चलते किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं. बिना बारिश के खेती प्रभावित होगी अन्नदाता का जीवन संकट में रहेगा.

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