अलवर. रविवार को शहर के किशनगढ़बास में दो परिवारों ने शादी में फिजूलखर्च रोकने का खास उदाहरण पेश किया. कोटपूतली से आए दूल्हे ने बिना बैंड-बाजे, घोड़ी-बारात और बड़े भोज केवल 17 मिनट में सत्संग के दौरान विवाह की रस्म पूरी की. इस विवाह के साक्षी परिवार के साथ, वे ही लोग बने जो सत्संग में पहुंचे थे. वहीं बतौर शुभ शगुन उपस्थित लोगों को चाय और बिस्किट का नाश्ता करवाया गया.
वहीं विवाह आयोजन गुलाबदेवी धर्मशाला में संत रामपाल के रूहानी सत्संग में हुआ. विवाह बंधन में बंधे कोटपूतली के युवक प्रसन्न गौड़ और किशनगढ़बास की युवती उमा शर्मा ने कहा कि बिना किसी दिखावे और फिजूलखर्ची के गुरू महाराज की प्रेरणा से, शुभ संदेश देने के लिए दहेज मुक्त शादी करने का फैसला लिया था.
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साथ ही नवदंपती का कहना है कि दहेज की बढ़ती मांग और दिखावे के चलते रिश्ते परिवारों पर बोझ बन रहे हैं. युवक प्रसन्न गौड़ सीए है और निजी कंपनी में कार्यरत हैं. वहीं उमा शर्मा ने बीबीए किया हुआ है. इस दौरान हजारों की संख्या में अनुयायी मौजूद थे.
वहीं लड़के के पिता छीतरदास गौड़ ने बताया कि वह अपने बड़े लड़के और बेटी का विवाह भी पहले इसी प्रकार बिना दिखावा दान-दहेज के कर चुके हैं. वह राज्य सेवा में पटवारी के पद से सेवानिवृत हैं. करीब 25 साल से धार्मिक सेवाभाव से जुड़े हुए है. संत रामपाल महाराज की प्रेरणा से उन्होंने अपने बेटे-बेटियों में कोई अन्तर नहीं रखते हुए बिना दिखावा दान-दहेज के शादी करने का संकल्प लिया हुआ है.
जबकि वधू उमा शर्मा के पिता सुशील शर्मा किशनगढ़बास न्यायालय में बाबू के पद पर कार्यरत हैं. सुशील शर्मा संत रामपाल महाराज के शिष्य हैं. उन्होंने भी अपने बच्चों का बिना दिखावा दान-दहेज के विवाह करने का संकल्प ले रखा है.