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ना आगे बाराती ना पीछे बैंड बाजा आए दूल्हे राजा, बिना दहेज और फिजूलखर्ची के 17 मिनट में रचाई शादी - अलवर शादी खबर

सोमवार को अलवर के किशनगढ़बास में एक खास शादी रजाई गई. जिसमें बिना किसी ताम-झाम और फिजूलखर्ची के 17 मिनट में ही विवाह की रस्म पूरी कर ली गई.

17 मिनट में रचाई शादी, married in 17 mintues
17 मिनट में रचाई शादी
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Published : Dec 9, 2019, 7:22 PM IST

अलवर. रविवार को शहर के किशनगढ़बास में दो परिवारों ने शादी में फिजूलखर्च रोकने का खास उदाहरण पेश किया. कोटपूतली से आए दूल्हे ने बिना बैंड-बाजे, घोड़ी-बारात और बड़े भोज केवल 17 मिनट में सत्संग के दौरान विवाह की रस्म पूरी की. इस विवाह के साक्षी परिवार के साथ, वे ही लोग बने जो सत्संग में पहुंचे थे. वहीं बतौर शुभ शगुन उपस्थित लोगों को चाय और बिस्किट का नाश्ता करवाया गया.

बिना दहेज और फिजूलखर्ची के 17 मिनट में रचाई शादी

वहीं विवाह आयोजन गुलाबदेवी धर्मशाला में संत रामपाल के रूहानी सत्संग में हुआ. विवाह बंधन में बंधे कोटपूतली के युवक प्रसन्न गौड़ और किशनगढ़बास की युवती उमा शर्मा ने कहा कि बिना किसी दिखावे और फिजूलखर्ची के गुरू महाराज की प्रेरणा से, शुभ संदेश देने के लिए दहेज मुक्त शादी करने का फैसला लिया था.

पढ़ें: नागरिक संशोधन बिल को लेकर अविनाश पांडे बोले- लोकसभा में हमारे सांसद इस पर अपना पक्ष रखेंगे

साथ ही नवदंपती का कहना है कि दहेज की बढ़ती मांग और दिखावे के चलते रिश्ते परिवारों पर बोझ बन रहे हैं. युवक प्रसन्न गौड़ सीए है और निजी कंपनी में कार्यरत हैं. वहीं उमा शर्मा ने बीबीए किया हुआ है. इस दौरान हजारों की संख्या में अनुयायी मौजूद थे.

वहीं लड़के के पिता छीतरदास गौड़ ने बताया कि वह अपने बड़े लड़के और बेटी का विवाह भी पहले इसी प्रकार बिना दिखावा दान-दहेज के कर चुके हैं. वह राज्य सेवा में पटवारी के पद से सेवानिवृत हैं. करीब 25 साल से धार्मिक सेवाभाव से जुड़े हुए है. संत रामपाल महाराज की प्रेरणा से उन्होंने अपने बेटे-बेटियों में कोई अन्तर नहीं रखते हुए बिना दिखावा दान-दहेज के शादी करने का संकल्प लिया हुआ है.

जबकि वधू उमा शर्मा के पिता सुशील शर्मा किशनगढ़बास न्यायालय में बाबू के पद पर कार्यरत हैं. सुशील शर्मा संत रामपाल महाराज के शिष्य हैं. उन्होंने भी अपने बच्चों का बिना दिखावा दान-दहेज के विवाह करने का संकल्प ले रखा है.

अलवर. रविवार को शहर के किशनगढ़बास में दो परिवारों ने शादी में फिजूलखर्च रोकने का खास उदाहरण पेश किया. कोटपूतली से आए दूल्हे ने बिना बैंड-बाजे, घोड़ी-बारात और बड़े भोज केवल 17 मिनट में सत्संग के दौरान विवाह की रस्म पूरी की. इस विवाह के साक्षी परिवार के साथ, वे ही लोग बने जो सत्संग में पहुंचे थे. वहीं बतौर शुभ शगुन उपस्थित लोगों को चाय और बिस्किट का नाश्ता करवाया गया.

बिना दहेज और फिजूलखर्ची के 17 मिनट में रचाई शादी

वहीं विवाह आयोजन गुलाबदेवी धर्मशाला में संत रामपाल के रूहानी सत्संग में हुआ. विवाह बंधन में बंधे कोटपूतली के युवक प्रसन्न गौड़ और किशनगढ़बास की युवती उमा शर्मा ने कहा कि बिना किसी दिखावे और फिजूलखर्ची के गुरू महाराज की प्रेरणा से, शुभ संदेश देने के लिए दहेज मुक्त शादी करने का फैसला लिया था.

पढ़ें: नागरिक संशोधन बिल को लेकर अविनाश पांडे बोले- लोकसभा में हमारे सांसद इस पर अपना पक्ष रखेंगे

साथ ही नवदंपती का कहना है कि दहेज की बढ़ती मांग और दिखावे के चलते रिश्ते परिवारों पर बोझ बन रहे हैं. युवक प्रसन्न गौड़ सीए है और निजी कंपनी में कार्यरत हैं. वहीं उमा शर्मा ने बीबीए किया हुआ है. इस दौरान हजारों की संख्या में अनुयायी मौजूद थे.

वहीं लड़के के पिता छीतरदास गौड़ ने बताया कि वह अपने बड़े लड़के और बेटी का विवाह भी पहले इसी प्रकार बिना दिखावा दान-दहेज के कर चुके हैं. वह राज्य सेवा में पटवारी के पद से सेवानिवृत हैं. करीब 25 साल से धार्मिक सेवाभाव से जुड़े हुए है. संत रामपाल महाराज की प्रेरणा से उन्होंने अपने बेटे-बेटियों में कोई अन्तर नहीं रखते हुए बिना दिखावा दान-दहेज के शादी करने का संकल्प लिया हुआ है.

जबकि वधू उमा शर्मा के पिता सुशील शर्मा किशनगढ़बास न्यायालय में बाबू के पद पर कार्यरत हैं. सुशील शर्मा संत रामपाल महाराज के शिष्य हैं. उन्होंने भी अपने बच्चों का बिना दिखावा दान-दहेज के विवाह करने का संकल्प ले रखा है.

Intro:Body:एंकर ...ना घोड़ी ना बैण्ड-बाजा, ना फेरे लिए, बिना दहेज सीए दूल्हे ने 17 मिनट में रचाई शादी - शादी में फिजूलखर्ची ना करने का संकल्प निभाते हुए कोटपूतली से आये दूल्हे ने किशनगढ़बास की लड़की से रचाया विवाह ।शादी में फिजूलखर्ची ना करने का संकल्प निभाते हुए कोटपूतली से आये दूल्हे ने किशनगढ़बास की लड़की से रचाया विवाह ।
वीओ ... बिना कोई दान-दहेज शादी के मामले अक्सर सामने आते हैं, लेकिन रविवार को किशनगढ़बास में दो परिवारों ने शादी में फिजूलखर्च रोकने का खास उदाहरण पेश किया। कोटपूतली से आए दूल्हे ने बिना बैंड-बाजे, घोड़ी-बारात और बड़े भोज केवल 17 मिनट में सत्संग के दौरान विवाह की रस्म पूरी की। युवक-युवती विवाह के साक्षी परिवार के साथ वे ही लोग बने जो सत्संग में पहुंचे थे। बतौर शुभ शगुन उपस्थित लोगों के लिए चाय व बिस्किट का नाश्ता करवाया गया। विवाह आयोजन गुलाबदेवी धर्मशाला में संत रामपाल के रूहानी सत्संग में हुआ। विवाह बंधन में बंधे कोटपूतली के युवक प्रसन्न गौड़ व किशनगढ़बास की युवती उमा शर्मा ने कहा कि बिना किसी दिखावे और फिजूलखर्ची के गुरू महाराज की प्रेरणा से शुभ संदेश देने के लिए दहेज मुक्त शादी करने का फैसला लिया था। नवदंपती का कहना था कि दहेज की बढ़ती मांग व दिखावे के चलते रिश्ते परिवारो पर बोझ बन रहे हैं। युवक प्रसन्न गौड सीए हैं और निजी कंपनी में कार्यरत हैं। वहीं प्रसन्न गौड़ की पत्नी बनी उमा शर्मा ने बीबीए किया हुआ है। इस दौरान राजेन्द्र दास, धर्मेन्द्र दास, सुशील दास, रूपचंद, किशनलाल, सतीश, धर्मचंद, राजकुमार, श्योराम, लक्ष्मणदास, रिछपाल, बुधसिंह, अनिल आदि सैकड़ो की संख्या में अनुयायी मौजूद थे। पहले भी बिना दिखावा बेटे की शादी की प्रसन्न गौड़ के पिता छीतरदास गौड़ ने बताया कि वह अपने बड़े लड़के व बेटी का विवाह भी पहले इसी प्रकार बिना दिखावा दान-दहेज के कर चुके है। वह राज्य सेवा में पटवारी के पद से सेवानिवृत हैं। करीब 25 साल से धार्मिक सेवाभाव से जुड़े हुए है। संत रामपाल महाराज की प्रेरणा से उन्होंने अपने बेटे-बेटियो में कोई अन्तर नही रखते हुए बिना दिखावा दान-दहेज के शादी करने का संकल्प लिया हुआ है। जबकि वधू उमा शर्मा के पिता सुशील शर्मा किशनगढबास न्यायालय में बाबू के पद पर कार्यरत हैं। सुशील शर्मा संत रामपाल महाराज के शिष्य हैं। उन्होंने भी अपने बच्चो का बिना दिखावा दान-दहेज के विवाह करने का संकल्प ले रखा है।
बाईट ...छीतर गौड़,दूल्हे का पिताConclusion:
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