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अलवर में बिना टेस्ट के जारी होते हैं लाइसेंस...अधूरा पड़ा है ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का काम

RTO ऑफिस में बनने वाले लाइसेंस के लिए अभ्यर्थियों को वाहन चलाकर दिखाना होता है. जिसके लिए अभ्यर्थी को ट्रैफिक के नियमों के बोर्ड, ट्रैफिक लाइट, जेबरा क्रॉसिंग, यू टर्न, बैक टर्न, विकट मोड़ के हिसाब से गाड़ी चलानी होती है. लेकिन अलवर में ये ट्रैक केवल नाम मात्र के लिए बने हुए हैं. जिसके बाद जिले में लोगों को बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही लाइसेंस जारी किए जाते हैं.

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अलवर में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का काम
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Published : Aug 14, 2020, 9:14 PM IST

अलवर. जिस ड्राइविंग टेस्ट के बाद लोगों को वाहन चलाने का लाइसेंस मिलता है उसकी औपचारिकता कैसे पूरा होती है ये अलवर के RTO ऑफिस में देखने को मिलता है. RTO कार्यालय में ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक के नाम पर केवल ट्रैक बना हुआ है. वहां ना तो कोई सुविधा है ना ही लोगों के टेस्ट लिए जाते हैं.

अलवर में अधूरा पड़ा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का काम

अलवर आरटीओ कार्यालय से प्रतिदिन 200 से 300 ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं. शुरुआत में 30 दिन के लिए लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनता है. उसके बाद स्थाई लाइसेंस बनाया जाता है. स्थाई लाइसेंस बनाते समय अभ्यर्थी को गाड़ी चलाकर दिखानी होती है. अगर अभ्यार्थी को दो पहिया वाहन चलाने के लिए लाइसेंस बनवाना है तो उसे दो पहिया वाहन चलाना पड़ता है. अगर चार पहिया के लिए आवेदन किया है, तो उसे चार पहिया वाहन चलाकर दिखाना होता है.

नियम के हिसाब से जिस ट्रैक पर अभ्यर्थी वाहन चलाकर दिखाता है उस पर ट्रैफिक के नियमों के बोर्ड, ट्रैफिक लाइट, जेबरा क्रॉसिंग, यू टर्न, बैक टर्न, विकट मोड़ होते हैं. इस पर अभ्यार्थी को नियम के हिसाब से वाहन चलाना पड़ता है, लेकिन अलवर RTO कार्यालय में ये ट्रैक केवल नाम मात्र का बना हुआ है. ऐसे में बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही लोगों को लाइसेंस जारी किए जाते हैं.

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक मुख्यालय स्तर पर तैयार होना है. आधा काम हो चुका है, लेकिन मशीनें अभी तक नहीं लगी है. विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मुख्यालय स्तर पर ड्राइविंग ट्रैक का काम होना है. सड़क का काम पूरा हो चुका है. ऐसे में जो भी लाइसेंस बनवाने के लिए आता है. उससे गाड़ी चलवा कर देखी जाती है.

पढ़ें- अलवर : स्कूटी सवार की टक्कर से जख्मी हुए बुजुर्ग ने तोड़ा दम

लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय अभ्यार्थी को ऑनलाइन स्क्रीन पर टेस्ट देना पड़ता है. उसमें अभ्यार्थी से ट्रैफिक के नियम संबंधी सवाल पूछे जाते हैं. जबकि स्थाई लाइसेंस बनाते समय अभ्यार्थी को वाहन चलाकर दिखाना पड़ता है. उस समय अभ्यार्थी को ड्राइविंग टेस्ट देना पड़ता है. लर्निंग लाइसेंस के 30 दिन बाद स्थाई लाइसेंस बनाया जाता है. अलवर आरटीओ ऑफिस कार्यालय से प्रतिदिन ढाई सौ से तीन सौ लाइसेंस बनाए जाते हैं.

बता दें कि दूर-दराज के गांव क्षेत्रों से लोग लाइसेंस बनवाने के लिए अलवर आते हैं. नियम के हिसाब से प्रत्येक लाइसेंस अभ्यार्थी से ड्राइविंग टेस्ट लेना आवश्यक है, लेकिन अलवर में ड्राइविंग टेस्ट के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है. ऐसे में लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा है. क्योंकि अलवर में सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. ऐसे में ये खास सावधानी की आवश्यकता है, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन की तरफ से बड़ी लापरवाही बरती जा रही है.

अलवर. जिस ड्राइविंग टेस्ट के बाद लोगों को वाहन चलाने का लाइसेंस मिलता है उसकी औपचारिकता कैसे पूरा होती है ये अलवर के RTO ऑफिस में देखने को मिलता है. RTO कार्यालय में ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक के नाम पर केवल ट्रैक बना हुआ है. वहां ना तो कोई सुविधा है ना ही लोगों के टेस्ट लिए जाते हैं.

अलवर में अधूरा पड़ा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का काम

अलवर आरटीओ कार्यालय से प्रतिदिन 200 से 300 ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं. शुरुआत में 30 दिन के लिए लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनता है. उसके बाद स्थाई लाइसेंस बनाया जाता है. स्थाई लाइसेंस बनाते समय अभ्यर्थी को गाड़ी चलाकर दिखानी होती है. अगर अभ्यार्थी को दो पहिया वाहन चलाने के लिए लाइसेंस बनवाना है तो उसे दो पहिया वाहन चलाना पड़ता है. अगर चार पहिया के लिए आवेदन किया है, तो उसे चार पहिया वाहन चलाकर दिखाना होता है.

नियम के हिसाब से जिस ट्रैक पर अभ्यर्थी वाहन चलाकर दिखाता है उस पर ट्रैफिक के नियमों के बोर्ड, ट्रैफिक लाइट, जेबरा क्रॉसिंग, यू टर्न, बैक टर्न, विकट मोड़ होते हैं. इस पर अभ्यार्थी को नियम के हिसाब से वाहन चलाना पड़ता है, लेकिन अलवर RTO कार्यालय में ये ट्रैक केवल नाम मात्र का बना हुआ है. ऐसे में बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही लोगों को लाइसेंस जारी किए जाते हैं.

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक मुख्यालय स्तर पर तैयार होना है. आधा काम हो चुका है, लेकिन मशीनें अभी तक नहीं लगी है. विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मुख्यालय स्तर पर ड्राइविंग ट्रैक का काम होना है. सड़क का काम पूरा हो चुका है. ऐसे में जो भी लाइसेंस बनवाने के लिए आता है. उससे गाड़ी चलवा कर देखी जाती है.

पढ़ें- अलवर : स्कूटी सवार की टक्कर से जख्मी हुए बुजुर्ग ने तोड़ा दम

लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय अभ्यार्थी को ऑनलाइन स्क्रीन पर टेस्ट देना पड़ता है. उसमें अभ्यार्थी से ट्रैफिक के नियम संबंधी सवाल पूछे जाते हैं. जबकि स्थाई लाइसेंस बनाते समय अभ्यार्थी को वाहन चलाकर दिखाना पड़ता है. उस समय अभ्यार्थी को ड्राइविंग टेस्ट देना पड़ता है. लर्निंग लाइसेंस के 30 दिन बाद स्थाई लाइसेंस बनाया जाता है. अलवर आरटीओ ऑफिस कार्यालय से प्रतिदिन ढाई सौ से तीन सौ लाइसेंस बनाए जाते हैं.

बता दें कि दूर-दराज के गांव क्षेत्रों से लोग लाइसेंस बनवाने के लिए अलवर आते हैं. नियम के हिसाब से प्रत्येक लाइसेंस अभ्यार्थी से ड्राइविंग टेस्ट लेना आवश्यक है, लेकिन अलवर में ड्राइविंग टेस्ट के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है. ऐसे में लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा है. क्योंकि अलवर में सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. ऐसे में ये खास सावधानी की आवश्यकता है, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन की तरफ से बड़ी लापरवाही बरती जा रही है.

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