अलवर. कोरोना से पूरी दुनिया त्रस्त है. 9 महीने से देश के हालात खराब हैं. कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा लोगों को किए जा रहे जागरूकता का असर नजर आने लगा है. लोग खुद का ध्यान रखने लगे हैं. ऐसे में बीमार पड़ने वाले लोगों की संख्या कम में कमी आई है. कोरोना के चलते इस बार मौसमी बीमारियों का प्रभाव अन्य सालों की तुलना में काफी कम देखने को मिला है.
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अलवर की राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में प्रतिदिन 3500 से 4000 मरीजों की ओपीडी रहती है. इस हिसाब से एक माह में 80 हजार से एक लाख मरीज अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं. मार्च माह से देश में कोरोना का प्रभाव नजर आने लगा. उसके बाद अप्रैल मह में सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. उसके बाद से लगातार स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संस्थाएं लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. इस दौरान कोरोना से बचने के लिए मास का उपयोग करना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, सैनिटाइजर लगाने और बार-बार साबुन से हाथ धोने की सलाह लोगों को दी जा रही है. इसका असर नजर आने लगा है. बीते साल की तुलना में लोग अब कम बीमार होने लगे हैं. इस साल मौसमी बीमारियों का प्रभाव भी बीते साल की तुलना में काफी कम रहा.
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बता दें कि अलवर में मौसमी बीमारियों का प्रभाव राजस्थान के अन्य जिलों की तुलना में काफी ज्यादा रहता है. हर बार डेंगू के मरीजों की संख्या 800 तक पहुंच जाती है, लेकिन इस बार डेंगू संक्रमित मरीजों का आंकड़ा केवल 250 तक पहुंचा है. इसके अलावा मलेरिया चिकनगुनिया और स्क्रब टायफस का प्रभाव खासा कम देखने को मिला है. मौसमी बीमारियों के प्रभाव से मरने वालों की संख्या भी काफी कम रही. ऐसे में साफ है कि लोग कोरोना से डरे हुए हैं और सावधानी बरत रहे हैं. पौष्टिक भोजन खा रहे हैं और अपने घर के आस-पास सफाई रख रहे हैं. साथ ही बार-बार हाथ साबुन से साफ करने और मास्क लगाने का भी खासा असर देखने को मिल रहा है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो कोरोना काल में घर-घर स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जो सर्वे किया गया, उसका प्रभाव अब दिखने लगा है. दूसरी तरफ कोरोना का प्रभाव अब थोड़ा कम हुआ है. प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव आने वाले मरीजों की संख्या में कमी आई है.