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विश्व पर्यटन दिवस: अलवर में सबसे ज्यादा पर्यटन स्थल, लेकिन सरकार की अनदेखी पड़ रही शहर पर भारी

विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आपको राजस्थान के सिंह द्वार कहे जाने वाले अलवर जिले में लेकर चलते है. दिल्ली और जयपुर के मध्य में स्थित अलवर में पर्यटन स्थलों की भरमार है. लेकिन प्रमुख की बात करें तो 15 प्रमुख पर्यटन स्थल है. जिनकी देश-विदेश में अपनी अलग पहचान है. लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते इनकी दशा दिन पर दिन खराब होती जा रही है.

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Published : Sep 27, 2019, 7:23 PM IST

अलवर. एनसीआर में आने वाला अलवर जिला भौगोलिक दृष्टि से अपने आप में राजस्थान के सभी जिलों से अलग है. पर्यटन की दृष्टि से यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो अपने आप में सैलानी पर एक छाप छोड़ती है. लेकिन प्रशासन व सरकार की अनदेखी के चलते यहां के पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं. इसलिए लगातार अलवर में पर्यटकों की संख्या भी कम हो रही है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में अलवर अपना इतिहास खोने लगेगा.

अलवर में सबसे ज्यादा पर्यटन स्थल..लेकिन अनदेखी से हो रही दुर्दशा

अलवर में प्रमुख 15 पर्यटन स्थल
अलवर जिले में होने को सैकड़ों पर्यटन स्थल है। लेकिन प्रमुख की बात करें तो 15 प्रमुख पर्यटन स्थल है. जिनकी देश-विदेश में अलग पहचान है. इनमें फतेह जन गुंबद, सिलीसेढ़ झील, जयसमंद झील, बाला किला, अजबगढ़-भानगढ़, कंपनी बाग, सिटी पैलेस, मूसी महारानी की छतरी, सागर जलाशय, राजकीय संग्रहालय, भृतहरि धाम, सरिस्का अभ्यारण, पांडुपोल हनुमान मंदिर, ताल वृक्ष व नीलकंठ महादेव मंदिर अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह सब पर्यटन स्थल अपनी अलग पहचान रखते हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: विश्व प्रसिद्ध हैं शेखावाटी की हवेलियां, प्रशासन की बेरूखी के चलते हो रही बदरंग

450 साल पुराना अलवर का 'कुंवारा' बाला किला
बाला किले की बात करें तो 450 साल पुराना अलवर का कुंवारा किला है. अलवर शहर से बाला के लिए की दूरी करीब 6 किलोमीटर है. यह किला सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है. बाला किले से शहर का भव्य रूप नजर आता है. यह किला 8 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है. युद्ध के दौरान दुश्मन पर गोली बरसाने के लिए इसको खासतौर से तैयार किया गया है. कायमखानी शैली के इस किले में 500 बंदूक के लिए जगह बनी हुई हैं. इनमें से 10 फीट दूरी से गोली चलाई जा सकती है. दुश्मनों पर नजर रखने के लिए 15 बड़े, 51 छोटे बुर्ज और 3359 कंगूरे हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: स्वर्णनगरी को पर्यटन ने बहुत कुछ दिया, अब इसको हमारी जरूरत​​​​​​​

अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध बाला किला
इस किले पर मुगलों, मराठों, जाट और राजपूतों का शासक रहा. इसके लिए उसे कभी युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसको कुंवारा किला भी कहा जाता है. इसका निर्माण 1550 में हसन खां मेवाती ने करवाया था. यह किला अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है. अंदर से यह किला विभिन्न भागों में बंटा हुआ है. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए कई तरह की सीढ़ियां हैं तो वहीं किले में कई मंदिर है. बाला किला क्षेत्र में करणी माता मंदिर, तोप वाले हनुमान जी, चक्रधारी हनुमान जी, सीता राम मंदिर सहित अन्य मंदिर जलाश्य सागर सहित घूमने के लिए कई तरह के स्थान हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: हनुमानगढ़ में है भारत का सबसे पुराना किला, लेकिन बदहाली के आंसू बहा रहा भटनेर दुर्ग

सरिस्का टाइगर पार्क को देखने आते है हजारों पर्यटक
इसी तरह से अलवर का सरिस्का टाइगर पार्क देश का सबसे बड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से पार्क 846 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह पार्क टाइगर के लिए खासा सुरक्षित माना जाता है. लेकिन सुरक्षा के बेहतर इंतजाम नहीं होने के कारण यहां आए दिन टाइगर्स की मौत होती है. अभी सरिस्का में 11 टाइगर है. बीते 1 साल में सरिस्का में 4 टाइगर्स की मौत हो चुकी है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: देश-दुनिया में झीलों के लिए प्रसिद्ध उदयपुर में लाखों की संख्या में आते हैं पर्यटक

प्राचीन पांडुपोल हनुमान मंदिर
वहीं सरिस्का में ही इसमें प्राचीन पांडुपोल हनुमान मंदिर है. बताते हैं अलवर में पांडवों का अज्ञात वास रहा था. जिस जगह पर पांडुपोल मंदिर बना है. उस जगह पर हनुमान जी ने पांडवों का घमंड तोड़ा था. यह मंदिर और सरिस्का नेशनल पार्क पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है. देशी-विदेशी पर्यटक साल भर यहां घूमने के लिए आते हैं. लेकिन रखरखाव और देखरेख की कमी के कारण पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: गढ़ संग्रहालय में है हाड़ौती क्षेत्र की नायाब चीजें जो पूरे विश्व में हैं अद्वितीय

सिलीसेढ़ झील में रहता है सालभर पानी
इसी तरह के हालात अलवर की सिलीसेढ़ झील के है. यह झील अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई है. अपने आप में यह झील सबसे अलग है. इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग अलवर आते हैं. इस झील में साल भर पानी रहता है. वहीं पर्यटकों के लिए यहां बोटिंग की भी सुविधा है. लेकिन रखरखाव की कमी के कारण यहां के हालात खराब हो रहे हैं, तो वहीं जयसमंद झील भी पानी के आभाव में सूख चुकी है. जयसमंद झील तक पानी पहुंचाने वाली नहर भी बंद हो चुकी है. इसके अलावा अलवर में ताल वृक्ष, नीलकंठ धाम, अजबगढ़-भानगढ़ जैसे कई बड़े पर्यटन स्थल है. लेकिन सभी के हालात खराब है. इसलिए दिनों दिन अलवर में पर्यटकों की संख्या में कमी हो रही है. यहीं हालात रहे तो आने वाले समय में अलवर अपना इतिहास खो देगा.

अलवर. एनसीआर में आने वाला अलवर जिला भौगोलिक दृष्टि से अपने आप में राजस्थान के सभी जिलों से अलग है. पर्यटन की दृष्टि से यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो अपने आप में सैलानी पर एक छाप छोड़ती है. लेकिन प्रशासन व सरकार की अनदेखी के चलते यहां के पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं. इसलिए लगातार अलवर में पर्यटकों की संख्या भी कम हो रही है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में अलवर अपना इतिहास खोने लगेगा.

अलवर में सबसे ज्यादा पर्यटन स्थल..लेकिन अनदेखी से हो रही दुर्दशा

अलवर में प्रमुख 15 पर्यटन स्थल
अलवर जिले में होने को सैकड़ों पर्यटन स्थल है। लेकिन प्रमुख की बात करें तो 15 प्रमुख पर्यटन स्थल है. जिनकी देश-विदेश में अलग पहचान है. इनमें फतेह जन गुंबद, सिलीसेढ़ झील, जयसमंद झील, बाला किला, अजबगढ़-भानगढ़, कंपनी बाग, सिटी पैलेस, मूसी महारानी की छतरी, सागर जलाशय, राजकीय संग्रहालय, भृतहरि धाम, सरिस्का अभ्यारण, पांडुपोल हनुमान मंदिर, ताल वृक्ष व नीलकंठ महादेव मंदिर अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह सब पर्यटन स्थल अपनी अलग पहचान रखते हैं.

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450 साल पुराना अलवर का 'कुंवारा' बाला किला
बाला किले की बात करें तो 450 साल पुराना अलवर का कुंवारा किला है. अलवर शहर से बाला के लिए की दूरी करीब 6 किलोमीटर है. यह किला सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है. बाला किले से शहर का भव्य रूप नजर आता है. यह किला 8 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है. युद्ध के दौरान दुश्मन पर गोली बरसाने के लिए इसको खासतौर से तैयार किया गया है. कायमखानी शैली के इस किले में 500 बंदूक के लिए जगह बनी हुई हैं. इनमें से 10 फीट दूरी से गोली चलाई जा सकती है. दुश्मनों पर नजर रखने के लिए 15 बड़े, 51 छोटे बुर्ज और 3359 कंगूरे हैं.

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अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध बाला किला
इस किले पर मुगलों, मराठों, जाट और राजपूतों का शासक रहा. इसके लिए उसे कभी युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसको कुंवारा किला भी कहा जाता है. इसका निर्माण 1550 में हसन खां मेवाती ने करवाया था. यह किला अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है. अंदर से यह किला विभिन्न भागों में बंटा हुआ है. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए कई तरह की सीढ़ियां हैं तो वहीं किले में कई मंदिर है. बाला किला क्षेत्र में करणी माता मंदिर, तोप वाले हनुमान जी, चक्रधारी हनुमान जी, सीता राम मंदिर सहित अन्य मंदिर जलाश्य सागर सहित घूमने के लिए कई तरह के स्थान हैं.

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सरिस्का टाइगर पार्क को देखने आते है हजारों पर्यटक
इसी तरह से अलवर का सरिस्का टाइगर पार्क देश का सबसे बड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से पार्क 846 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह पार्क टाइगर के लिए खासा सुरक्षित माना जाता है. लेकिन सुरक्षा के बेहतर इंतजाम नहीं होने के कारण यहां आए दिन टाइगर्स की मौत होती है. अभी सरिस्का में 11 टाइगर है. बीते 1 साल में सरिस्का में 4 टाइगर्स की मौत हो चुकी है.

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प्राचीन पांडुपोल हनुमान मंदिर
वहीं सरिस्का में ही इसमें प्राचीन पांडुपोल हनुमान मंदिर है. बताते हैं अलवर में पांडवों का अज्ञात वास रहा था. जिस जगह पर पांडुपोल मंदिर बना है. उस जगह पर हनुमान जी ने पांडवों का घमंड तोड़ा था. यह मंदिर और सरिस्का नेशनल पार्क पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है. देशी-विदेशी पर्यटक साल भर यहां घूमने के लिए आते हैं. लेकिन रखरखाव और देखरेख की कमी के कारण पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: गढ़ संग्रहालय में है हाड़ौती क्षेत्र की नायाब चीजें जो पूरे विश्व में हैं अद्वितीय

सिलीसेढ़ झील में रहता है सालभर पानी
इसी तरह के हालात अलवर की सिलीसेढ़ झील के है. यह झील अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई है. अपने आप में यह झील सबसे अलग है. इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग अलवर आते हैं. इस झील में साल भर पानी रहता है. वहीं पर्यटकों के लिए यहां बोटिंग की भी सुविधा है. लेकिन रखरखाव की कमी के कारण यहां के हालात खराब हो रहे हैं, तो वहीं जयसमंद झील भी पानी के आभाव में सूख चुकी है. जयसमंद झील तक पानी पहुंचाने वाली नहर भी बंद हो चुकी है. इसके अलावा अलवर में ताल वृक्ष, नीलकंठ धाम, अजबगढ़-भानगढ़ जैसे कई बड़े पर्यटन स्थल है. लेकिन सभी के हालात खराब है. इसलिए दिनों दिन अलवर में पर्यटकों की संख्या में कमी हो रही है. यहीं हालात रहे तो आने वाले समय में अलवर अपना इतिहास खो देगा.

Intro:अलवर।
एनसीआर में आने वाला अलवर जिला भौगोलिक दृष्टि से अपने आप में राजस्थान के सभी जिलों से अलग है। दिल्ली और जयपुर के मध्य में स्थित अलवर में पर्यटन स्थलों की भरमार है। लेकिन प्रशासन व सरकार की अनदेखी के चलते यहां के पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं। इसलिए लगातार अलवर में पर्यटकों की संख्या भी कम हो रही है। यही हालात रहे तो आने वाले समय में अलवर अपना इतिहास होने लगेगा।


Body:अलवर जिले में होने को सैकड़ों पर्यटन स्थल है। लेकिन प्रमुख की बात करें तो 15 प्रमुख पर्यटन स्थल है। जिनकी देश-विदेश में अलग पहचान है। इनमें फतेह जन गुंबद, सिलीसेढ़ झील, जयसमंद झील, बाला किला, अजबगढ़ भानगढ़, कंपनी बाग, सिटी पैलेस, मूसी महारानी की छतरी, सागर जलाशय, राजकीय संग्रहालय, भृतहरि धाम, सरिस्का अभ्यारण, पांडुपोल हनुमान मंदिर, ताल वृक्ष व नीलकंठ महादेव मंदिर अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह सब पर्यटन स्थल अपनी अलग पहचान रखते हैं।

बाला के लिए की बात करें तो 450 साल पुराना अलवर का कुंवारा किला है। इस किले के कई पहलू अभी तक अंशु हैं। अलवर शहर से बाला के लिए की दूरी करीब 6 किलोमीटर है। जयपुर लक्ष्मणपुर सूरजपोल चांदपोल अंधेरी द्वार और कृष्णा द्वार से बाला किला तक पहुंचा जा सकता है। यह किला सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। बाला किले से शहर का भव्य रूप नजर आता है। समुंद्र तल से इस किले की ऊंचाई 19 फुट है। यह किला 8 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। युद्ध के दौरान दुश्मन पर गोली बरसाने के लिए इसको खासतौर से तैयार किया गया है। कायमखानी शैली के इस किले में 500 बंदूक के लिए बने हुए हैं। इनमें से 10 फुट दूरी की गोली चलाई जा सकती है। दुश्मनों पर नजर रखने के लिए 15 बड़े 51 छोटे बुर्ज और 3359 कंगूरे हैं।

इसके लिए पर निकुंभ खान ज्यादा मुगलों मराठों जाट और राजपूतों का शासक रहा। इसके लिए उसे कभी युद्ध नहीं हुआ। इसलिए इसको कुंवारा किला भी कहा जाता है। इसका निर्माण 1550 में हसन खा मेवाती नहीं करवाया था। यह किला अपनी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है। अंदर से यह किला विभिन्न भागों में बटा हुआ है। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए कई तरह की सीढ़ियां हैं तो ही किले में कई मंदिर है। बाला किला क्षेत्र में कुंभ निकुंभ ओं की कुलदेवी करणी माता मंदिर तोप वाले हनुमान जी चक्रधारी हनुमान जी सीता राम मंदिर सहित अन्य मंदिर जय आश्रम सलीम सागर सलीम भ्रामरी स्थित कई तरह के स्थान बने हुए हैं।


Conclusion:इसी तरह से अलवर का सरिस्का पार देश का सबसे बड़ा क्षेत्रफल की दृष्टि से पार्क 846 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह पार्क टाइगर के लिए खासा सुरक्षित माना जाता है। लेकिन सुरक्षा के बेहतर इंतजाम नहीं होने के कारण यहां आए दिन टाइग्रो की मौत होती है। अभी सरिस्का में 11 टाइगर है। बीते 1 साल में सिरका में चार पैरों की मौत हो चुकी है। इसमें प्राचीन पांडुपोल हनुमान मंदिर है। बताते हैं अलवर में पांडवों का अज्ञात वास रहा था। जिस जगह पर पांडुपोल मंदिर बना है। उस जगह पर हनुमान जी ने पांडवों का घमंड तोड़ा था। यह मंदिर वह सरिस्का नेशनल पार्क पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। देशी विदेशी पर्यटक साल भर यहां घूमने के लिए आते हैं। बाबा जी लेकिन रखरखाव व देखरेख की कमी के कारण पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं।

इसी तरह के हालात अलवर की सिलीसेढ़ झील के है। यह झील अरावली की पहाड़ियों में गिरी हुई है। अपने आप में यह झील सबसे अलग है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग अलवर आते हैं। इस झील में साल भर पानी रहता है। तो वहीं पर्यटकों के लिए यहां वोटिंग की भी सुविधा है। लेकिन रखरखाव की कमी के कारण इंजीन के हालात खराब हो रहे हैं तो वही अलवर में जयसमंद झील भी है लेकिन उसमें पानी सूख चुका है जयसमंद झील तक पानी पहुंचने की नहर भी बंद हो चुकी है। इसके अलावा अलवर में ताल वृक्ष नीलकंठ धाम अजबगढ़ भानगढ़ जैसे कई बड़े पर्यटन स्थल है। लेकिन सभी के हालात खराब है। इसलिए दिनोंदिन अलवर में पर्यटन ओं की संख्या कम हो रही है। यही हालात रहे तो हम आने वाले समय में अपना इतिहास खो देंगे।

पीटीसी-हिमांशु शर्मा
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