अलवर. वन मंडल में 72000 हेक्टेयर वन क्षेत्र है. इसी तरह से सरिस्का बफर जोन में बड़ी संख्या में वन क्षेत्र है. सरिस्का 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस हिसाब से 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अलवर बफर जोन का जंगल है. जंगल के लिए अलवर देश-विदेश में विशेष पहचान रखता है.
अलवर में आए दिन सरकारी जमीन पर भू माफियाओं द्वारा सरकारी भूमि पर कॉलोनी काटने के लिए अतिक्रमण की शिकायत आती है. ऐसे में वन विभाग की तरफ से पूरे जिले का सर्वे कराया जा रहा है. वेबसाइट से रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है. अलवर में राजगढ़ क्षेत्र में काम पूरा हो चुका है. लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में काम चल रहा है.
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इसी तरह से अन्य जगहों पर भी वन विभाग की तरफ से सर्वे कराने व मैपिंग कार्य सहित अन्य कार्य किए जाएंगे. कार्य के लिए सरिस्का क्षेत्र से वन विभाग को बजट मिला था. जिसके तहत काम कराया गया. वन विभाग की तरफ से अधिकारियों की होने वाली बैठक में बजट का प्रस्ताव रखा गया है. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो अलवर में हजारों बीघा जमीन ऐसे ही पड़ी हुई है. उसका वन विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. कुछ जमीनों की वन विभाग को कोई जानकारी नहीं है. जिसका फायदा उठाकर भू माफिया खुलेआम खेल खेल रहे हैं.
इस कार्य के दौरान गांव व कस्बों में वन विभाग की जमीनों की पहचान हो सकेगी. क्योंकि अभी जिले में बड़ी संख्या में ऐसी जमीन है. जिसका रिकॉर्ड वन विभाग के पास नहीं है. ऐसे में आए दिन भू माफिया वन विभाग की लावारिस जमीन पर कब्जा कर लेते हैं और गरीब भोले-भाले लोगों को ठगने का काम चलता है.
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इसलिए वन विभाग की तरफ से पूरे जिले का रिकॉर्ड फिर से तैयार किया जा रहा है. इसमें प्रत्येक क्षेत्र के हिसाब से रिकॉर्ड तैयार होगा. प्रत्येक गांव में कितनी आबादी है, कितना जंगल है और वन विभाग की जमीन कहां है. इसके अलावा सरकारी विभागों से जुड़े हुए अन्य जरूरी बिंदु भी इन रिकॉर्ड के माध्यम से वन विभाग के दस्तावेजों में आ सकेंगे. इसका सीधा फायदा वन विभाग आम आदमी को मिलेगा. वहीं आए दिन वन क्षेत्र की जमीन पर होने वाले कब्जों से भी राहत मिल सकेगी.