अलवर. शहर में रक्षाबंधन के मौके पर हर साल आसमान में रंग बिरंगी पतंगे नजर आती हैं. बच्चे, युवा और महिलाएं सभी पतंगबाजी का आनंद लेते हैं. रक्षाबंधन के दिन आसमान का अलग नजारा देखने को मिलता है. चारों तरफ आसमान में रंग बिरंगी पतंगे नजर आती है.
पतंगबाजी का आनंद भी लोग अलग अंदाज में लेते हैं. घर के सभी सदस्य छत पर चढ़कर पतंगबाजी करते हैं. इस दौरान गानों का आनंद लिया जाता है. अलग-अलग तने की पतंग आसमान में पेच लड़ाती हुई दिखती है, तो वही युवा पर चढ़ने के साथ ही काई-पो-चे का आनंद भी लेते हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पतंगबाजी भी प्रभावित हो रही है.
दरअसल, प्रशासन की तरफ से कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए बाजार के समय में बदलाव किया है. अलवर के बाजार सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुलते हैं. जबकि पतंग उड़ाने का समय शाम 6 बजे बाद रहता है. ऐसे में लोग खरीददारी भी शाम के समय ही करते हैं. दुकानदार लगातार प्रशासन से रात का समय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
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दुकानदारों ने कहा कि प्रशासन चाहे तो बाजार एक दिन की जगह 2 दिन के लिए पूरी तरह से बंद कर दे. लेकिन रात के समय में विस्तार किया जाए. व्यापारियों की तरफ से एक बैठक भी बुलाई गई, लेकिन उसमें कोई नतीजा नहीं निकला. दुकानदारों की मानें तो बीते सालों की तुलना में कम मांग होने के कारण बाजार मंदा है. हालांकि पतंगबाजी रक्षाबंधन से करीब 1 माह पहले शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार इस समय पतंगबाजी का असर नजर आने लगा है.
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अलवर में बरेली दिल्ली जयपुर से पतंग मांझा धागा सहित अन्य सामान आते हैं. रक्षाबंधन और उसके आसपास अलवर में करोड़ों रुपए का कारोबार होता है. कई बड़े दुकानदार हैं. जो अलवर के आसपास क्षेत्रों में भी पतंग सप्लाई करते हैं. लेकिन इस बार बीमारी के डर से लोग घरों में बंद हैं. ऐसे में पतंगबाजी का कारोबार भी कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ता हुआ नजर आ रहा है.