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शिशु टीकाकरण चुनौती : कोरोना काल में संक्रमण के डर से बच्चों को नहीं लगे टीके, अब स्वास्थ्य विभाग के लिए टीकाकरण बनी चुनौती - alwar health department vaccination

अलवर जिले में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान टीकाकरण कार्य बंद था. इस दौरान जिन बच्चों का जन्म हुआ था वे टीकाकरण से वंचित रहे. ऐसे बच्चों को टीके लगाना अब स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.

अलवर में शिशु टीकाकरण चुनौती
अलवर में शिशु टीकाकरण चुनौती
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Published : Sep 6, 2021, 4:10 PM IST

अलवर. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही सभी बच्चों के टीकाकरण का काम पूरा हो जाएगा. लेकिन अब भी हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है. ऐसे में बच्चों के कई गंभीर बीमारी होने का खतरा बना हुआ है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने फिर से टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू की है.

बच्चे के जन्म के बाद 5 साल तक अलग-अलग बीमारियों के टीके लगाए जाते हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 4 माह तक जिले में टीकाकरण कार्यक्रम पूरी तरह से बंद रहा. ऐसे में जन्म के बाद लगने वाले जरूरी टीके बच्चों के नहीं लग पाए. कोरोना संक्रमण का खतरा अब कम होने लगा है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की है. लेकिन बच्चों को टीके लगाना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गया है.

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो अलवर जिले में 4567 बच्चों के बीसीजी का टीका लगना है. इसके अलावा पेंटावेलेंट की पहली डोज 7096 बच्चों के लगनी है. पेंटावेलेंट की दूसरी डोज 9787 बच्चों को लगनी है. पेंटावेलेंट की तीसरी डोज 12606 बच्चों के लगनी है. साथ ही आईपीवी 13 हजार 834 बच्चों व मिजल्स के टीके जिले में 5770 बच्चों के लगने हैं.

पढ़ें- SPECIAL: बच्चों के टीकाकरण में बाधा बना CORONA, UNICEF की चेतावनी के बाद फिर शुरू होगा काम

स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने कहा कि जिले में टीकाकरण की प्रक्रिया लगातार चल रही है. जिन बच्चों के टीके नहीं लगे हैं उनको स्वास्थ्य विभाग की तरफ से चिन्हित करके टीकाकरण की प्रक्रिया की जा रही है. जुलाई तक स्वास्थ्य विभाग की तरफ से वंचित बच्चों के टीके लगाए गए थे. अब एक बार फिर से छूटे हुए बच्चों के टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों को ज्यादा परेशानी आ रही है. क्योंकि गांव के लोग टीके लगवाने से बचते हैं.

मेवात क्षेत्र में टीकाकरण है चुनौती

मेवात क्षेत्र के लोग वैक्सीन लगवाने से बचते हैं. ऐसे में स्वस्थ क्षेत्र के लोगों के बच्चों को वैक्सीन लगाना चुनौती बन गया है. क्योंकि जन्म के तुरंत बाद लगने वाली वैक्सीन लोग अब नहीं लगवा रहे हैं. हालांकि धर्म गुरुओं के माध्यम से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

कोरोना की वैक्सीन में लगा है स्टाफ

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अलवर सहित पूरे प्रदेश में कोरोना वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में नर्सिंग कर्मी व अन्य स्टाफ वैक्सीन लगाने के काम में लगा हुआ है. जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र में टीकाकरण का कामकाज प्रभावित हो रहा है. क्योंकि एएनएम नर्सिंग कर्मी ग्रामीण क्षेत्र में टीके लगाने का काम करते हैं.

अलवर. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही सभी बच्चों के टीकाकरण का काम पूरा हो जाएगा. लेकिन अब भी हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है. ऐसे में बच्चों के कई गंभीर बीमारी होने का खतरा बना हुआ है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने फिर से टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू की है.

बच्चे के जन्म के बाद 5 साल तक अलग-अलग बीमारियों के टीके लगाए जाते हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 4 माह तक जिले में टीकाकरण कार्यक्रम पूरी तरह से बंद रहा. ऐसे में जन्म के बाद लगने वाले जरूरी टीके बच्चों के नहीं लग पाए. कोरोना संक्रमण का खतरा अब कम होने लगा है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की है. लेकिन बच्चों को टीके लगाना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गया है.

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो अलवर जिले में 4567 बच्चों के बीसीजी का टीका लगना है. इसके अलावा पेंटावेलेंट की पहली डोज 7096 बच्चों के लगनी है. पेंटावेलेंट की दूसरी डोज 9787 बच्चों को लगनी है. पेंटावेलेंट की तीसरी डोज 12606 बच्चों के लगनी है. साथ ही आईपीवी 13 हजार 834 बच्चों व मिजल्स के टीके जिले में 5770 बच्चों के लगने हैं.

पढ़ें- SPECIAL: बच्चों के टीकाकरण में बाधा बना CORONA, UNICEF की चेतावनी के बाद फिर शुरू होगा काम

स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने कहा कि जिले में टीकाकरण की प्रक्रिया लगातार चल रही है. जिन बच्चों के टीके नहीं लगे हैं उनको स्वास्थ्य विभाग की तरफ से चिन्हित करके टीकाकरण की प्रक्रिया की जा रही है. जुलाई तक स्वास्थ्य विभाग की तरफ से वंचित बच्चों के टीके लगाए गए थे. अब एक बार फिर से छूटे हुए बच्चों के टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों को ज्यादा परेशानी आ रही है. क्योंकि गांव के लोग टीके लगवाने से बचते हैं.

मेवात क्षेत्र में टीकाकरण है चुनौती

मेवात क्षेत्र के लोग वैक्सीन लगवाने से बचते हैं. ऐसे में स्वस्थ क्षेत्र के लोगों के बच्चों को वैक्सीन लगाना चुनौती बन गया है. क्योंकि जन्म के तुरंत बाद लगने वाली वैक्सीन लोग अब नहीं लगवा रहे हैं. हालांकि धर्म गुरुओं के माध्यम से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

कोरोना की वैक्सीन में लगा है स्टाफ

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अलवर सहित पूरे प्रदेश में कोरोना वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में नर्सिंग कर्मी व अन्य स्टाफ वैक्सीन लगाने के काम में लगा हुआ है. जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र में टीकाकरण का कामकाज प्रभावित हो रहा है. क्योंकि एएनएम नर्सिंग कर्मी ग्रामीण क्षेत्र में टीके लगाने का काम करते हैं.

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