अलवर : प्याज का तड़का लगते ही सब्जी का स्वाद बदल जाता है. प्याज चाहे कितना भी लोगों को रुला ले, लेकिन इसकी डिमांड हमेशा ही मार्केट में बनी रहती है. लोगों की आंखों में आंसू लाने वाली प्याज इस बार अलवर के किसानों के चेहरे की मुस्कान बन सकती है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस साल बारिश की वजह से दूसरे राज्यों में प्याज की अच्छी पैदावार नहीं हो पाई है. इस वजह से सभी अलवर में होने वाली प्याज की बाट तक रहे हैं.
अलवर प्याज की देश में नासिक के बाद दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. बीते साल किसान को प्याज के बेहतर दाम मिले थे. यही वजह है कि इस बार भी अलवर में प्याज की 3 गुना ज्यादा बुवाई किसान द्वारा की गई है. ऐसे में पूरे देश की निगाहें अलवर की प्याज पर टिकी हुई हैं. वजह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हैदराबाद, मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार बारिश का दौर चल रहा है. ऐसे में प्याज की फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है. दिवाली के बाद अलवर में प्याज की आवक शुरू होगी. ऐसे में इस बार भी अलवर के किसान को प्याज के बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है.
जिले में सीजन के समय में हर दिन 50 हजार से अधिक कट्टे प्याज की आवाक होती है. बीते साल देश में प्याज के दाम 100 रुपए किलो तक पहुंच गए थे. ऐसे में पिछले साल किसानों को खासा फायदा हुआ. जिले कई किसानों की प्याज ने मालामाल कर दिया. सालों के कर्ज प्याज की फसल ने एक ही साल में खत्म कर दिया. जिससे किसानों को बड़ी राहत मिली. इसी उम्मीद में इस बार भी किसानों ने ज्यादा से ज्यादा प्याज की बुवाई की है.
100 रुपए किलो तक बिका प्याज
अलवर में हर साल 14,000 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती होती है. बीते साल प्याज 100 रुपए किलो तक मंडी में बिका. वहीं अगर देशभर की बात की जाए तो अलवर का प्याज उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब सहित कई राज्यों में सप्लाई होता है. प्याज की आवक शुरू होते ही देश के विभिन्न हिस्सों से व्यापारी अलवर में आते हैं और करीब 2 महीने तक रुकते हैं. कुछ व्यापारी सीधे मंडी से माल खरीदते हैं, तो कुछ व्यापारी सीधे किसान से प्याज खरीद कर विभिन्न राज्यों में लेकर जाते हैं.
पैदावार में लगता है 3 से 4 महीने का वक्त
प्याज की फसल तैयार होने में 3 से 4 माह का समय लगता है. इस दौरान 5 से 6 बार फसल को पानी दिया जाता है. फसल में यूरिया सहित अन्य दवाइयां भी डाली जाती हैं. बेहतर प्याज की फसल के लिए कई तरह के रसायनों का भी इस्तेमाल किया जाता है.
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इस बार प्याज की फसल को अन्य सालों की अपेक्षा में बेहतर बताया जा रहा है. जिले में अगेती प्याज की आवक शुरू हो चुकी है. हालांकि कुछ क्षेत्रों में प्याज में कीड़ा लगने के कारण किसानों को थोड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन प्याज की आवक लगातार बढ़ रही है.
व्यापारियों की मानें तो दिवाली के बाद प्याज की आवक तेज हो जाएगी. देशभर के व्यापारी प्याज खरीदने के लिए अलवर पहुंचने लगे हैं. असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के व्यापारियों का आने का सिलसिला जारी है. हालांकि अभी जो प्याज आ रही है, वो आसपास क्षेत्र में ही बिक रही है. बाहर सप्लाई होने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो जाएगी. वहीं अब दिल्ली और यूपी में प्याज जाने लगी है.
सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते साल करीब 18 हजार हेक्टेयर जमीन पर प्याज की बुवाई हुई थी. लेकिन इस बार करीब 38 से 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर बुवाई की गई है. जिले से प्याज इस समय 1800 रुपए से लेकर 2200 रुपए में 40 किलो प्याज बिक रही है. इसमें दो पर्सेंट कंजेक्शन चार्ज के रूप में फीस देनी पड़ रही है, जबकि 6 प्रतिशत आड़ती चार्ज देना पड़ता है.
स्टॉकिस्ट की है प्याज पर नजर
देशभर के स्टॉकिस्ट की प्याज पर नजरें टिकी हुई हैं. लोग प्याज का स्टॉक करने में लगे हुए हैं. इसकी कालाबाजारी भी जल्द हो सकती है. सट्टा बाजार में भी लगातार प्याज के भाव को लेकर चर्चाएं चल रही हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी लगातार लोगों को भ्रमित करने का काम किया जा रहा है. इसका असर मंडी पर पड़ेगा. साथ ही कालाबाजारियों का भी इस साल काफी मुनाफा होने सकता है.
अभी है मंडियों में स्टॉक
मंडी व्यापारियों के मुताबिक देशभर में अभी प्याज की डिमांड कम है. लेकिन लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को भ्रमित करने का काम किया जा रहा है. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में अभी डिमांड के अनुसार आने वाले 20 दिन कि प्याज का स्टॉक रखा हुआ है. इसके अलावा देश की सभी मंडियों में प्याज मौजूद है, इसलिए आने वाले समय में प्याज की डिमांड रह सकती है. लेकिन अभी हालात सामान्य हैं.
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व्यापारियों ने कहा कि अभी बाजार में प्याज की डिमांड कम है. दरअसल बड़े होटल और रेस्टोरेंट बंद हैं. नॉनवेज खाने वाले ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखा रहे हैं. और तो और शादी समारोह के कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं, इसलिए प्याज की डिमांड अभी कम है. हालांकि आने वाले समय में प्याज की डिमांड बढ़ सकती है.
अलवर की प्याज मेवात में लाल प्याज के नाम से पूरे देश विदेश में जानी जाती है. नॉनवेज खाने वाले लोग अलवर की प्याज को खास पसंद करते हैं, क्योंकि अलवर की प्याज खाने में तीखी होती है. जो नॉनवेज खाने वाले लोगों को स्वाद में अन्य देशों की तुलना में बेहतर लगती है.