अलवर. राजस्थान का सिंहद्वार कहे जाना अलवर सीमावर्ती जिला होने के कारण उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा से सटा हुआ है. अलवर राजस्थान की औद्योगिक राजधानी है. जिले में 15,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. इसके अलावा अलवर में सरिस्का नेशनल पार्क सहित कई ऐसे स्मारक मंदिर पर ऐतिहासिक भवन है, जो अलवर को विश्व मानचित्र पर खास पहचान दिलाते हैं. लेकिन अब अलवर की पहचान जल्द ही सोने के रूप में भी होने वाली है.
दरअसल, जिले में बीते कई सालों से ज्योग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से और थानागाजी क्षेत्र में सर्वे किया जा रहा है. इस सर्वे के तहत तीन जगहों की 670 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया गया है, जहां सोना-चांदी और कॉपर के भंडार मिले हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो थानागाजी और सरिस्का क्षेत्र के हरनेर, मुंडियाबासखेड़ा, प्रतापगढ़ सहित कई गांव की 670 हेक्टेयर जमीन में 41.45 मिलियन टन खनिज मिला है. इसमें सोने की मात्रा 0.08 ग्राम प्रति टन, चांदी की मात्रा 6.68 ग्राम प्रति टन और कॉपर की मात्रा पॉइंट से 0.37 है. सरल भाषा में समझे तो 1 टन पत्थर निकालने पर उसमें 0.08 प्रतिशत सोना निकलेगा.
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तकनीकी रूप से समझे तो सर्वे ऑफ इंडिया के हिसाब से 0.02 प्रतिशत हिस्से को सैंपल के लिए जमीन में से निकाला जाता है. उस पत्थर मिट्टी की लैब में जांच होती है. उसके बाद इसकी गुणवत्ता और धातु का पता चलता है. जीएसआई कई सालों से अलवर में सर्वे कर रहा है. बीते कुछ सालों से क्षेत्र में हवाई सर्वे भी किया गया. इसके अलावा लगातार थानागाजी और सरिस्का क्षेत्र में जमीन को खोदकर उसके निचले हिस्से से मिट्टी और पत्थर निकाले जाते हैं. उसके बाद उनको लैब में चेक किया जाता है.
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इसकी जांच पड़ताल में भारी मात्रा में चांदी, सोना और कॉपर के भंडार मिले हैं. खनन विभाग और भू-वैज्ञानिक विभाग की तरफ से 670 हेक्टेयर क्षेत्र को नीलामी के लिए जल्द लाया जाएगा. इसकी रिपोर्ट बनाकर प्रदेश सरकार को भेज दी गई है. यह क्षेत्र सरिस्का का बफर जोन में आता है. ऐसे में इस क्षेत्र में खुदाई करने और सोना निकालने के लिए कई तरह के क्लीयरेंस की आवश्यकता होगी. ऐसे में प्रदेश सरकार की तरफ से केंद्र सरकार से अनुमति मांगी जाएगी. राज्य में केंद्र सरकार के कई विभाग इसकी अनुमति देंगे. उसके बाद नीलामी में बोली के हिसाब से सोना निकालने के लिए मालिकाना हक दिया जाएगा. सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही यह काम शुरू हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो अलवर विश्व मानचित्र पर छा जाएगा.
क्या होगा फायदा...
अलवर में सोना निकालने का काम शुरू होने से अलवर की पूरे विश्व पटल पर विशेष पहचान बनेगी. इसके साथ ही आसपास क्षेत्र का विकास होगा. अलवर के लोगों को रोजगार मिलेगा और सोना निकालने के साथ ही उससे जुड़े हुए अन्य कार्य भी यहां हो सकेंगे.
अलवर में कई सालों से चल रहा है सर्वे...
अलवर में जीएसआई का कई सालों से सर्वे चल रहा है. इस सर्वे के दौरान बड़ी-बड़ी मशीनों से जमीन खोदकर निचले हिस्से से ब्लॉक निकाले जाते हैं. उसके बाद जमीन से निकाले गए मिट्टी और पत्थर की लैब में जांच होती है.