अलवर. जिले में कोरोना के साथ ही बच्चों में होने वाली खतरनाक बीमारी गलगोटू का कहर भी शुरू हो गया है. अलवर के किशनगढ़बास के नहारपुर गांव में 14 बच्चों में गलगोटू बीमारी के लक्षण दिखे हैं. गांव में एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है और 4 बच्चों का अलवर के अस्पताल में इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने 6 बच्चों के सैंपल लेकर जांच के लिए चंडीगढ़ पीजीआई भेजे हैं. वहीं, गलगोटू की वजह से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. वहीं, जिला कलेक्टर ने इसे लेकर अलर्ट जारी किया हैं.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किशनगढ़ बास में रामगढ़ क्षेत्र के सभी गांवों में सर्वे करने के निर्देश गए दिए हैं. इसके बाद गांव में सर्वे का काम शुरू हो चुका है. बीमार मिले बच्चों में से 4 बच्चों का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है. वहीं, 6 बच्चों के सैंपल लेकर जांच के लिए चंडीगढ़ पीजीआई भेजे गए हैं.
मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि ये बड़ी घातक बीमारी है. कोरोना महामारी में मृत्यु दर 3 प्रतिशत है. वहीं, गलघोटू में मृत्यु दर 30 से 40 प्रतिशत रहती है. लेकिन, बेहतर बात ये है कि गलगोटू के लिए वैक्सीन बनी हुई है. इसलिए सभी बच्चों के टीके लगाए जा रहे हैं और उनका इलाज शुरू हो चुका है.
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गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं. बच्चे के जन्म के साथ ही टीकाकरण की प्रक्रिया शुरु होती है, जो 5 साल तक चलती है. खसरा, डेंगू और काली खांसी सहित अन्य गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाता है. बीमारियों पर हर महीने लाखों रुपये खर्च होता है. वहीं, सरकार की तरफ से भी बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन उसके बावजूद अलवर में आए दिन खसरा, हेपेटाइटिस बी और काली खांसी सहित अन्य बीमारी होने की शिकायत मिलती है.
ऐसे में साफ है कि अलवर में केवल कागजों में टीकाकरण हो रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में समय पर बच्चों के टीके नहीं लग रहे हैं. इसलिए आए दिन बच्चों में टीकाकरण के बाद नहीं होने वाली बीमारी के लक्षण मिल रहे हैं. इसका एक उदाहरण अलवर के किशनगढ़ बास के नाहरपुर गांव में देखने को मिला है, जहां गलघोटू से एक साथ 14 बच्चे बीमार मिले हैं. वहीं, एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है. रामगढ़ और अन्य क्षेत्रों में भी बच्चों के बीमार मिलने की शिकायत मिल रही है.
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वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने गांवों में सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है. बीमार मिलने वाले बच्चों के टीके लगाए जा रहे हैं. इस दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है, क्योंकि लोग अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं करवा रहे हैं. ऐसे में खासी समझाइश करनी पड़ रही है.