ETV Bharat / city

आग का गोला बना अलवर का एफबीएनसी वार्ड, 15 जिंदगी 2 घंटे तक खतरे में रही

कोटा में नवजात की हुई मौतों के बाद अलवर में अचानक नए साल से एक दिन पहले शिशु अस्पताल स्थित एफबीएनसी वार्ड आग का गोला बन गया. इसमें 15 जिंदगियां 2 घंटे तक मौत के मुंह में रही, लेकिन वहां काम करने वाले स्टाफ की सूझबूझ व साहस के चलते 14 बच्चों को बचा लिया गया. इस हादसे में एक बच्ची झुलस गई, हालांकि उसका अभी जयपुर के जेके लोन अस्पताल में इलाज चल रहा है.

alwar news,अलवर आग हादसा, अलवर ताजा हिंदी खबर, alwar latest news, alwar fir news, fire in hospital of alwar
alwar news,अलवर आग हादसा, अलवर ताजा हिंदी खबर, alwar latest news, alwar fir news, fire in hospital of alwar
author img

By

Published : Jan 1, 2020, 4:47 AM IST

अलवर. जिले की एफबीएनसी निफ़्टी के साथ टाईअप के तहत संचालित होती है. यह राजस्थान की सबसे पुरानी व बड़ी एफबीएनसी यूनिट है. यहां पर नर्सिंग कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाती है व कई कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है. मंगलवार को सुबह एफबीएनसी अचानक आग का गोला बन गई. जिसमें एक छोटी बच्ची झुलस गई.

अलवर का एफबीएनसी वार्ड में लगी आग

दअरसल वहां रखे ग्रेडियंट वार्मर में अचानक शार्ट सर्किट होने से आग लग गई. इससे एफबीएनसी यूनिट में धुंआ हो गया है व यूनिट की लाइट चली गई. रेडिएंट वार्मर में आग की लपटें निकलती हुई देख वहां मौजूद स्टाफ ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़कर वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला. उन्होंने जलते हुए रेडियंट वार्मर को हटाकर अलग किया. उसके बाद एफबीएनसी यूनिट में भर्ती सभी 15 बच्चों को दूसरी तरफ शिफ्ट किया गया और उनको ऑक्सीजन लगाया गया.

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वहां काम करने वाले तीन नर्सिंग कर्मियों के हाथ जल गए. इसमें एक की हालत गंभीर है. उसका आईसीयू में इलाज चल रहा है, जबकि अन्य का भी इलाज जारी है. मामला शांत होने के बाद बच्ची के परिजनों को घटना की जानकारी दी गई. उन्होंने अस्पताल में पहुंचकर हंगामा किया व बच्ची लेने से मना कर दिया, तो वहीं बच्ची की हालत खराब होती थी. अस्पताल प्रशासन ने उसे जयपुर के लिए रेफर किया. एक डॉक्टर एंबुलेंस में बच्ची को लेकर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में गए व उसका इलाज लगातार जारी है.

यह भी पढ़ें- जयपुर: राजस्थान आवासन मंडल के 26वीं वार्षिक स्टेट लेवल कर्मचारी खेलकूद प्रतियोगिता का समापन समारोह

बच्ची के परिजन अस्पताल प्रशासन पर लगातार लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य निदेशक केके शर्मा ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए. इसके बाद जयपुर जोन के संयुक्त निदेशक अलवर पहुंचे व इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट तैयार करके स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय भेज दी गई है। इसमें इस मामले से जुड़े हुए सभी लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, तो वहीं इसमें कुछ कर्मचारियों की लापरवाही का मामला सामने आया है.

अलवर. जिले की एफबीएनसी निफ़्टी के साथ टाईअप के तहत संचालित होती है. यह राजस्थान की सबसे पुरानी व बड़ी एफबीएनसी यूनिट है. यहां पर नर्सिंग कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाती है व कई कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है. मंगलवार को सुबह एफबीएनसी अचानक आग का गोला बन गई. जिसमें एक छोटी बच्ची झुलस गई.

अलवर का एफबीएनसी वार्ड में लगी आग

दअरसल वहां रखे ग्रेडियंट वार्मर में अचानक शार्ट सर्किट होने से आग लग गई. इससे एफबीएनसी यूनिट में धुंआ हो गया है व यूनिट की लाइट चली गई. रेडिएंट वार्मर में आग की लपटें निकलती हुई देख वहां मौजूद स्टाफ ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़कर वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला. उन्होंने जलते हुए रेडियंट वार्मर को हटाकर अलग किया. उसके बाद एफबीएनसी यूनिट में भर्ती सभी 15 बच्चों को दूसरी तरफ शिफ्ट किया गया और उनको ऑक्सीजन लगाया गया.

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वहां काम करने वाले तीन नर्सिंग कर्मियों के हाथ जल गए. इसमें एक की हालत गंभीर है. उसका आईसीयू में इलाज चल रहा है, जबकि अन्य का भी इलाज जारी है. मामला शांत होने के बाद बच्ची के परिजनों को घटना की जानकारी दी गई. उन्होंने अस्पताल में पहुंचकर हंगामा किया व बच्ची लेने से मना कर दिया, तो वहीं बच्ची की हालत खराब होती थी. अस्पताल प्रशासन ने उसे जयपुर के लिए रेफर किया. एक डॉक्टर एंबुलेंस में बच्ची को लेकर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में गए व उसका इलाज लगातार जारी है.

यह भी पढ़ें- जयपुर: राजस्थान आवासन मंडल के 26वीं वार्षिक स्टेट लेवल कर्मचारी खेलकूद प्रतियोगिता का समापन समारोह

बच्ची के परिजन अस्पताल प्रशासन पर लगातार लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य निदेशक केके शर्मा ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए. इसके बाद जयपुर जोन के संयुक्त निदेशक अलवर पहुंचे व इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट तैयार करके स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय भेज दी गई है। इसमें इस मामले से जुड़े हुए सभी लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, तो वहीं इसमें कुछ कर्मचारियों की लापरवाही का मामला सामने आया है.

Intro:अलवर
कोटा में नवजात की हुई मौतों के बाद अलवर में अचानक नए साल से एक दिन पहले शिशु अस्पताल स्थित एफबीएनसी वार्ड आग का गोला बन गया। इसमें 15 जिंदगी 2 घंटे तक मौत के मुंह में रही। लेकिन वहां काम करने वाले स्टाफ की सूझबूझ व साहस के चलते 14 बच्चों को बचा लिया गया। जबकि एक बच्ची घटना में झुलस गई। हालांकि उसका अभी जयपुर के जेके लोन अस्पताल में इलाज चल रहा है। तो वही बच्ची के परिजनों ने उसको लेने से मना कर दिया है। प्रशासन की तरफ से मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है। मामले की जांच रिपोर्ट बनाकर स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय भेजी गई है। तो वहीं शुरुआती जांच में वहां काम करने वाले कर्मचारियों की लापरवाही का मामला सामने आ रहा है।


Body:अलवर की एफबीएनसी निफ़्टी के साथ टाईअप के तहत संचालित होती है। यह राजस्थान की सबसे पुरानी व बड़ी एफबीएनसी यूनिट है। यहां पर नर्सिंग कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाती है व कई कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है। मंगलवार को सुबह एफबीएनसी अचानक आग का गोला बन गई। दअरसल वहां रखे ग्रेडियंट वार्मर में अचानक शार्ट सर्किट होने से आग लग गई। इससे एफबीएनसी यूनिट में धुंआ हो गया है व यूनिट की लाइट चली गई। रेडिएंट वार्मर में आग की लपटें निकलती हुई देख वहां मौजूद स्टाफ ने हिम्मत नहीं हारी व आगे बढ़कर वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला। उन्होंने जलते हुए रेडियंट वार्मर को हटाकर अलग किया। उसके बाद एफबीएनसी यूनिट में भर्ती सभी 15 बच्चों को दूसरी तरफ शिफ्ट किया गया व उनको ऑक्सीजन लगाया गया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वहां काम करने वाले तीन नर्सिंग कर्मियों के हाथ जल गए। इसमें एक की हालत गंभीर है। उसका आईसीयू में इलाज चल रहा है। जबकि अन्य का भी इलाज जारी है। मामला शांत होने के बाद बच्ची के परिजनों को घटना की जानकारी दी गई। उन्होंने अस्पताल में पहुंचकर हंगामा किया व बच्ची लेने से मना कर दिया। तो वही बच्ची की हालत खराब होती थी। अस्पताल प्रशासन ने उसे जयपुर के लिए रेफर किया। एक डॉक्टर एंबुलेंस में बच्ची को लेकर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में गए व उसका इलाज लगातार जारी है। बच्ची के परिजन अस्पताल प्रशासन पर लगातार लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य निदेशक केके शर्मा ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए। इसके बाद जयपुर जोन के संयुक्त निदेशक अलवर पहुंचे व इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट तैयार करके स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय भेज दी गई है। इसमें इस मामले से जुड़े हुए सभी लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। तो वहीं इसमें कुछ कर्मचारियों की लापरवाही का मामला सामने आया है।


Conclusion:इस मामले के चलते दिनभर अलवर की राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में हंगामा चलता रहा। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर कई तरह की लापरवाही के आरोप लगाएं। तो वहीं घटना के दौरान एफबीएनसी वार्ड में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज व अस्पताल के कई रिकॉर्ड भी मांगे हैं। कोटा की घटना के बाद अलवर के एफबीएनसी रोड में हुई इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग को हिला कर रख दिया है। लगातार स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ी में लापरवाही के मामले सामने आ रहे है।


बाइट- डॉ ओपी मीणा, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.