अलवर. दिल्ली-जयपुर मार्ग से प्रतिदिन 70 से 80 हजार वाहन गुजरते हैं. जयपुर से दिल्ली के बीच तीन टोल प्लाजा पड़ते हैं. इन मार्गों से गुजरने वाले वाहनों को बेहतर सुविधा देने के लिए एनएचएआई की तरफ से सभी वाहनों पर फास्ट टैग व्यवस्था लागू की गई. 30 नवंबर से देशभर के टोल प्लाजा पर यह कैशलेस व्यवस्था शुरू की गई, लेकिन अब तक वाहन चालकों ने अपने वाहनों पर फास्टैग नहीं लगाया है. ऐसे में सभी टोलों पर कैश दिया जा रहा है.
टोल प्लाजा शाजापुर पर वाहन निकासी के लिए बनी 25 लाइनों में से 23 लाइन फास्टैग वाहन पर मात्र दो लाइन कैश के लिए बनाई गई है. निर्धारित समय अवधि तक 50 प्रतिशत वाहनों पर ही फास्टैग व्यवस्था अपनाने से एनएचआई जयपुर मुख्यालय ने नियमों में संशोधन करते हुए 25 सभी लाइनों में दोनों और पांच पांच लाइन क्लास की बीच की 10 लाइन फास्टर व्यवस्था के लिए निर्धारित की है, जबकि दौलतपुर टोल प्लाजा पर 14 लाइनों में से 8 फास्टैग बेचे गैस की लाइन निर्धारित की गई है. फास्टैग व्यवस्था सही से लागू नहीं होने के कारण सभी टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतार लग रही है व लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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लोगों ने कहा कि सरकार की तरफ से लोग को फास्टैग के बारे में सही जानकारी नहीं दी गई है. ऐसे में लोग फास्टैग को कहां से लगवाएं और इसकी क्या प्रक्रिया है. लोगों को इससे क्या फायदा होगा. इन सब के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं मिल रही है. इसलिए यह पूरी व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है.
बता दें, फास्टैग एक तरह का वाहन टैग है, जिसे कार पर लगाया जाता है. इसमें एक सिम लगी होती है. वहीं इसे मोबाइल की तरह रिचार्ज किया जाता है. टोल के पास पहुंचते ही सिम की सेंसर टोल प्लाजा पर लगी मशीन के संपर्क में आते ही अपने आप फास्टैग के कार्ड से पैसे कट लेती हैं और टोल का गेट खुल जाता है. कार के एक तरफ का 135 और दोनों और आने-जाने के 200 रुपए, एलसीवी का एक तरफ तो सुबह 300 रुपए, दोनों तरफ का 350 रुपए, ट्रक में बस का एक तरफ 470 रुपए, आने-जाने का 705 रुपए औरवाहनों का एक तरफ 755 रुपए ,दोनों और का 1035 टोल शुल्क के रूप में वसूला जाता है. ऐसे में 50 प्रतिशत वाहन धारकों द्वारा फास्ट्रेग को अपनाए जाने से टोल पर खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.