अलवर. अलवर मंडी में गेहूं की फसल की आवक शुरू हो चुकी है. शुरुआत में मौसम के कारण गेहूं की फसल खराब हो गई थी. बची हुई फसल को कटाई के बाद किसान बेचने के लिए मंडी में पहुच रहा है. लेकिन किसान को अपनी फसल के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. रिपोर्ट देखिये...
अलवर देश की बड़ी मंडियों में शामिल है. अलवर की मंडी में गेहूं बाजरा चना सरसों की बंपर आवक होती है. इस साल गेहूं की फसल बारिश व ओलावृष्टि के चलते खराब हो गई थी. किसान को खासा नुकसान हुआ था.
इसके बाद बची हुई फसल को बेचने के लिए किसान मंडी आने लगे हैं. मंडी में गेहूं की आवक शुरू हो चुकी है. इस समय 10 से 15 हजार कट्टे बिकने के लिए मंडी में पहुंच रहे हैं. किसान का गेहूं 1500 से 1600 रुपए तक के भाव में बिक रहा है. गेहूं का सरकारी भाव 1975 रुपए प्रति क्विंटल है. मतलब प्रति क्विंवटल करीब 300 रुपए का नुकसान हो रहा है. यही नहीं, बहुत से छोटे किसानों का गेहूं तो 1600 रुपए प्रति क्विंटल भी बिका है. मण्डी में फसल लाने के बाद व्यपारी के हिसाब से फसल किसान को बेचनी पड़ रही है.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए किसानों ने कहा कि कहना है कि फसल आते ही किसान पर बोर का पैसा चुकाने, तमाम कर्ज लौटाने का दबाव रहता है. इसलिए किसान अपनी फसल को घर में जमा नहीं कर सकता है. जिन किसानों के पास अनाज रखने की व्यवस्था होती है, वो लोग फसल का स्टॉक रखते हैं. लेकिन छोटे किसान की फसल पैदा होने के बाद तुरंत उसे बेचने के लिए मंडी पहुंचना पड़ता है.
सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने और उसके बाद पैसे मिलने में समय लगता है. पहले जमीन के कागज लेकर आओ. फिर उनको चेक कराओ. कई दिन बाद चेक मिलेगा. फिर बैंक में पैसा आएगा. इस उलझन में कई दिन खराब हो जाते हैं.
मंडी अधिकारी का क्या है कहना
अलवर मंडी के उप निदेशक इसाक हारून खान ने कहा जल्द ही सरकारी केंद्रों पर एमएसपी रेट पर गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जिसके लिए सरकार से निर्देश मिल चुके हैं. किसान को एमएसपी का लाभ मिलेगा.
फसलों के एमएसपी भाव
गेहूं का बाजार भावा जहां फिलहाल 1600 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है वहीं इसका एमएसपी भाव 1975 रुपए तय किया हुआ है. सरसों को बाजार भाव 55 सौ रुपए है जबकि एमएसपी 4650 रुपए प्रति क्विंटल तय है. वहीं चने की फसल का बाजार भावा 48 सौ रुपए है तो एमएसपी 51 सौ रुपए प्रति क्विंटल है.
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एमएसपी के लिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन
सरकारी भावों पर अनाज की बिक्री के लिए किसानों को ई-मित्र पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए जमीन की जमाबंदी और गिरदावर रिपोर्ट के अलावा भामाशाह, आधारकार्ड व बैंक पास बुक लगानी होगी. इसके बाद किसान के मोबाइल पर अनाज की बिक्री करने की सूचना आएगी. उसके अनुसार किसान को अनाज बेचना होगा. अनाज की बिक्री के बाद किसान के खाते में ही पैसा भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में कुछ दिन का समय लग जाता है.
किसानों पर पड़ती है दोहरी मार
किसानों पर हमेशा दोहरी मार पड़ती है. फसल की बुवाई में किसान को खाद, बीज, पानी खरीद कर लगाना पड़ता है. इसके लिए किसान ब्याज पर पैसा लेता है. उसके बाद फसल की बुवाई और कटाई में मजदूर लगाने पड़ते हैं. जिन को पैसा देना पड़ता है. फसल पैदा होने के दौरान समय-समय पर उसे पानी देना इसकी देखभाल करना सहित कई कार्य होते हैं.
कभी कभी किसान मौसम में होने वाले बदलाव, ओलावृष्टि, बारिश, आंधी-तूफान से भी जूझता है. फसल खराब हो जाती है. इसका खामियाजा भी किसान को भुगतना पड़ता है. सरकार की कोई मदद नहीं मिलती है. ऐसे में कर्ज में डूबा किसान और कर्ज में चला जाता है. उसके बाद जब फसल बेचने के लिए किसान मंडी पहुंचता है. वहां भी उसे फसल के बेहतर दाम नहीं मिलते हैं. ऐसे में साफ है किसान पर हर तरफ से मार पड़ती है.