अलवर. प्रदेश के अलवर जिले के थानागाजी में 26 अप्रैल को पति के साथ बाइक पर जा रही युवती को कुछ दरिंदों ने रोका और उसके साथ गैंगरेप किया. इस दौरान आरोपियों ने पीड़िता और उसके पति का निर्वस्त्र अवस्था में वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. मामला मीडिया में आने के बाद राष्ट्रीय मुद्दा बना. जमकर इस मुद्दे पर राजनीति हुई. देशभर में बयानबाजी हुई, तो वहीं कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी थानागाजी पहुंचे.
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित तमाम अधिकारी पीड़िता के परिजनों से मिलने पहुंचे. उनको हर संभव मदद का आश्वासन दिया. पीड़िता को सरकार की तरफ से पुलिस में नौकरी उपलब्ध कराई गई. धीरे-धीरे समय निकलता गया. लेकिन पीड़िता और उसके परिजनों को डेढ़ साल तक काफी दिक्कतों का सामना करना.
चार आरोपियों को उम्र कैद...
डेढ़ साल बाद इस मामले का फैसला आ चुका है. न्यायालय ने चार आरोपियों को उम्र भर कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है. न्यायालय के फैसले के बाद पीड़िता के परिजन ईटीवी भारत के सामने आए और कैमरे पर डेढ़ साल की हालात बयां किए. उन्होंने कहा कि घटना के बाद उनके पूरे परिवार के हाल बेहाल थे. लोग उन पर ताने कसते थे. वो लोग जहां भी जाते थे तो सब कई तरह की बातें बनाते थे. कुछ लोग कहते थे कि समझौता कर लिया. तो कुछ लोग पैसे लेकर चुपचाप बैठने की बात कहने लगे थे. लोगों के तानों के चक्कर में उनका घर से निकलना मुश्किल हो गया था, लेकिन उनको न्याय व्यवस्था पर भरोसा था. इसलिए किसी तरह से वह न्यायालय के फैसले का इंतजार करते रहे.
न्यायालय ने सभी का मुंह किया बंद...
न्यायालय का फैसला आने के बाद उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनको नया जीवन मिला है. अब वो सिर उठाकर जीवन जी सकेंगे. न्यायालय ने सभी के मुंह बंद करा दिए हैं. उन्होंने कहा कि अगर आरोपी उच्च न्यायालय में जाएंगे, तो वो भी उच्च न्यायालय तब अपना पक्ष रखेंगे. लेकिन वो किसी भी कीमत पर हार नहीं मानेंगे.
बता दें कि राजस्थान के थानागाजी बहुचर्चित गैंगरेप मामले में अलवर की SC-ST स्पेशल कोर्ट ने चार आरोपियों को आईपीसी, जबकि एक को आईटी एक्ट में दोषी माना है. इस मामले में अशोक, इंद्राज, महेश, हंसराज और छोटेलाल को आरोपी बनाया गया. कोर्ट ने चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में विशेष कोर्ट के जज बृजेश कुमार शर्मा ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने चारों आरोपियों को उम्रकैद के साथ ही जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि न्यायालय में जमा होगी, जिसके बाद उसे विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से पीड़िता को दी जाएगी.
कुल छह आरोपी, जिसमें एक बाल अपचारी...
गैंगरेप का यह मामला थानागाजी थाने में दो मई को दर्ज हुआ. जिसके बाद तीन मई को आरोपी अशोक के मोबाइल से वीडियो वायरल कर दिया गया. चार मई को इस वीडियो को मुकेश ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. सात और आठ मई को पुलिस ने गैंगरेप के पांचों आरोपियों समेत घटना का वीडियो वायरल करने के आरोपी मुकेश कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में कुल छह आरोपी थे, उनमें से पांच को एससी-एसटी विशेष न्यायालय में पेश किया गया, जबकि एक बाल अपचारी है. बाल न्यायालय में उसका मामला चल रहा है.
कब क्या हुआ...
विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कोर्ट के न्यायाधीश बृजेश कुमार की अदालत में मामले में बचाव पक्ष के अंतिम बहस 11 सितंबर को पूरी हो गई थी. न्यायाधीश बृजेश कुमार ने फैसले के लिए 24 सितंबर का दिन मुकर्रर किया था, लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट ने एक अक्टूबर तक कोर्ट में कामकाज पर रोक लगा दी थी. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसले की छह अक्टूबर तारीख निर्धारित की गई. इस मामले में पांच आरोपियों का ट्रायल स्पेशल एसटी-एससी कोर्ट में कंप्लीट हो गया था.
अपर लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने बताया कि कोरोना वायरस से बंद पड़ी अंतिम बहस पर सुनवाई साढे चार महीने बाद सुनवाई शुरू हुई. 11 सितंबर इस मामले के अंतिम बहस हुई दो मई 2019 को अलवर के थानागाजी में दलित पीड़िता ने मामला दर्ज कराया था. पीड़िता अपने पति के साथ बाइक पर जा रही थी. इसी दौरान रास्ते में आरोपियों ने उसको रोका गया उसके साथ गैंगरेप किया. उसके बाद वीडियो बनाया सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. 18 मई को थानागाजी पुलिस ने अशोक, इंद्राज, अशोक, महेश, हंसराज और छोटे लाल को गैंगरेप डकैती धमकी देने अवैध वसूली एससी एसटी एक्ट में दोषी मानते हुए चार्जशीट पेश की. जबकि मुकेश पर वीडियो वायरल करने का मामला दर्ज किया गया.
इस मामले में SC-ST विशेष न्यायालय ने हंसराज, इंद्राज, अशोक और छोटेलाल को आईपीसी व आईटी एक्ट में दोषी माना है. जबकि मुकेश को आईटी एक्ट में दोषी माना गया है. इसके अलावा छठा आरोपी बाल अपचारी है. उसका मामला बाल न्यायालय में चल रहा है.
कई अधिकारियों पर गिरी थी गाज...
इस घटना के सामने आने के बाद राजस्थान सरकार ने SHO, DSP, ACP और SP को हटा दिया था. अफसरों पर आरोप है कि जब पीड़िता केस दर्ज कराने के लिए थाने आई तो पुलिस अधिकारियों ने FIR दर्ज नहीं की.
पीड़िता को पुलिस कांस्टेबल की नौकरी...
बाद में राज्य सरकार ने मानवीय आधार पर पीड़िता को कांस्टेबल की नौकरी दी. इस मामले में 18 मई 2019 को थानागाजी पुलिस ने पांच आरोपियों अशोक, इंद्रराज, महेश, हंसराज और छोटेलाल के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी.