अलवर. कोरोना काल के दौरान जहां पूरे देश में संसाधनों की कमी महसूस की गई तो वहीं आर्थिक तंगी से भी लोग खासे परेशान नजर आए. कोरोना काल के दौरान लोगों का एक अनूठा प्रयास अलवर में देखने को मिला. कोरोना काल के दौरान अलवर के लोगों ने सरकारी अस्पताल में जमकर जरूरत की चीजें दान दी. ऐसे में अलवर पूरे राजस्थान का सबसे अलग जिला बन गया. जहां स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जरूरी संसाधनों पर कोई खर्च नहीं किया गया तो वहीं अलवर के लोगों ने मास्क, सैनिटाइजर, सोडियम हाइड्रोक्लोराइड, एसी, पंखे, कूलर, गद्दे सहित सभी जरूरत के सामान लोगों की मदद के लिए दिए.
देश में जैसे ही कोरोना की शुरुआत हुई तो मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट, हैंड ग्लव्स, सोडियम हाइपोक्लोराइट सहित अन्य अस्पताल में काम आने वाली दवा और उपकरण सहित अन्य जरूरी चीजों की डिमांड बढ़ी. बाजार में मास्क और सैनिटाइजर की कमी हो गई और इनकी जमकर कालाबाजारी हुई. इस बीच अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सके, इसके लिए सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए गए.
अस्पताल प्रशासन पर भार कम...
कुछ जगहों पर संसाधनों की कमी भी महसूस की गई. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जरूरत के उपकरण और सामान खरीदने के लिए लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन अलवर में इसके विपरीत लोगों ने कोरोना काल में जरूरत की चीजें स्वास्थ्य विभाग को दान में दी. इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिला. साथ ही अस्पताल प्रशासन पर भी भार कम पड़ा.
आज भी बड़ी संख्या में लोग आगे आकर मरीजों की जरूरत का सामान अस्पताल प्रशासन को उपलब्ध करा रहे हैं. इसमें अस्पताल प्रशासन की भी खासी अहम भूमिका नजर आई. अस्पताल प्रशासन की तरफ से लोगों को मोटिवेट किया गया. इसके अलावा लोगों को जागरूक करते हुए मरीजों की भी मदद करने के लिए कहा गया.
लोगों के मदद का हुआ फायदा...
अस्पताल प्रशासन की मानें तो लोगों के सामान दान करने से सरकार और अस्पताल प्रशासन को बड़ा फायदा हुआ है, क्योंकि बजट की कमी के चलते कई बार सरकारी सिस्टम में कामकाज प्रभावित होता है. ऐसे में अलवर में स्वास्थ्य विभाग को बड़ी राहत मिली. इसका सीधा फायदा भी आम लोगों में मरीजों को मिला, जो कोरोना संक्रमण के बाद इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में पहुंचे.
उनका कहना है कि अब तक अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ना ही सैनिटाइजर खरीदे गए और ना ही मास्क और अन्य जरूरत के सामान. जबकि प्रतिदिन हजारों की संख्या में जरूरत के सामान मरीज और उनके परिजनों को अस्पताल प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराए जाते हैं. इसके अलावा अस्पताल में छिड़काव और अन्य कार्यों के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट सहित कई अन्य जरूरी संसाधनों की भी आवश्यकता होती है, जो लगातार अस्पताल प्रशासन को आम लोगों की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है.
लोगों ने आगे आकर सरकार की मदद की...
अस्पताल प्रशासन ने कहा कि अलवर के लोगों की ओर से एक अनूठा उदाहरण पेश किया और आगे आकर अस्पताल में सरकार की मदद की गई. इससे कोरोना संक्रमित मरीजों को अन्य जगहों की तुलना में अलवर में बेहतर इलाज मिला. इसलिए दूर-दूर से लोग इलाज के लिए अलवर पहुंचे. प्रशासन का कहना है कि राजस्थान में जयपुर और जोधपुर के बाद अलवर में सबसे ज्यादा संक्रमितों की संख्या है.
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क्या-क्या दिया गया सामान...
लोगों की ओर से दिए गए सामान पर नजर डाले तो अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में अब तक करीब 45 सीलिंग पंखे, 22 एसी, 5000 मास्क, 30 हजार से अधिक सैनिटाइजर की बोतल, 10 हजार पानी की बोतल, 100 गद्दे, 50 से अधिक कचरा पात्र, 5000 से अधिक पीपीई किट, 4000 लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट, 10 फ्रिज, 70 कूलर, ऑटोमेटिक हैंड सेनीटाइजर मशीन 10, सैंपल लेने के लिए दो बूट, 5 वेंटिलेटर, 20 थर्मामीटर, 10 फ्रीज दिए गए.
इसके अलावा खाद्य सामग्री में बिस्किट, राशन, बेडशीट, गद्दे, टूथपेस्ट ब्रश सहित अन्य सामान लोगों द्वारा दिया जा चुका है. इसके अलावा रेड क्रॉस सोसाइटी की तरफ से 13 लाख रुपए दिए गए. एमएलए फंड में करीब 26 लाख रुपए मोर्चरी के लिए, शहर विधायक की ओर से 10 लाख रुपए, फार्मर के लिए 50 हजार और 10 लाख रुपए कोविड अस्पताल की व्यवस्था के लिए दिए गए. इसके अलावा विभिन्न दानदाताओं की ओर से लाखों रुपए अस्पताल में दान दिए.