अलवर. देश में हर साल कैंसर से 3 से 4 लाख लोगों की मौत होती है, लेकिन कैंसर का इलाज संभव है. विशेषज्ञों की मानें तो 10 में से 5 लोग ठीक हो जाते हैं. जबकि 3 लोग क्रॉनिक डिजीज (chronic disease) पर कन्वर्ट होते हैं. जो दवाई लेकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं. साथ ही 130 से ज्यादा प्रकार के कैंसर होते हैं.
अलवर पहुंचे कैंसर रोग विशेषज्ञ और कैंसर विभाग के प्रभारी डॉ. हेमंत मल्होत्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि देश में कैंसर बड़ी परेशानी है. लेकिन 10 में से 5 लोग समय पर जानकारी मिलने के बाद ठीक हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह के देश में हालात हैं. उसके हिसाब से आने वाले 10 से 15 सालों में कैंसर एक बड़ी महामारी के रूप में बदल सकती है. इसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है. क्योंकि अभी कैंसर के इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है.
उन्होंने कहा कि शरीर में 130 कोशिकाएं होती है. इसी हिसाब से 130 से भी ज्यादा तरह के कैंसर होते हैं. उन्होंने कहा कि कैंसर की पहचान करने के लिए हमें खुद का एनालिसिस करना चाहिए. अगर हमें जीवन में किसी भी तरह का कोई बदलाव नजर आता है. तो तुरंत ध्यान उसे गंभीरता से लेना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति का वजन बढ़ रहा है. मुंह में छाला हो गया है. जो ठीक नहीं हो रहा है. शरीर पर धब्बे पड़ गए हैं या नाक और मुंह से खून आ रहे हैं. तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
डॉ. मल्होत्रा ने कहा की आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार देश में हर साल एक से सवा मिलियन नए कैंसर के मरीज मिल रहे हैं. जबकि दो से तीन मिलियन मरीज लगातार देश में कैंसर की दवाई ले रहे हैं. कैंसर के चलते तीन से चार लाख लोगों की हर साल जान जाती है. उन्होंने कहा कि कैंसर के इलाज में शुरुआती इलाज बहुत आवश्यक है. अगर शुरुआती चरण में जानकारी मिलने है तो बेहतर इलाज हो सकता है.
डॉ. हेमंत मल्होत्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कैंसर को लेकर कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि कैंसर से बचने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव होना आवश्यक है. क्योंकि हम शराब पीना और धूम्रपान करना नहीं छोड़ पाते हैं. डॉक्टर को दिखाने में दवाई लेने से भी लोग बचते हैं. इसलिए लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है.