अलवर. जिले में कोरोना के बिगड़ते हालातों के बीच अब एक दूसरे पर आरोप लगाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. जिले में प्रशासन पूरी तरह से फेल हो चुका है. लोगों को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. इलाज के लिए लोग परेशान हैं. जिससे लोगों की जानें भी जा रही है. ऐसे में हालात नियंत्रण करने और मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की जगह अधिकारी एक दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगाने में लगे हैं. जहां कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी मीणा को हटाने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा को लेटर लिखा है.
कलेक्टर ने पत्र में कहा है कि सीएमएचओ लापरवाह और उदासीन हैं, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है. ऐसे में इन्हें हटाना बेहद जरूरी है. सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से लोगों को बचाने के लिए चिकित्सक एवं नर्सिंगकर्मियों के रिक्त पदों पर यूटीबी आधार पर तत्काल भर्ती करने और पर्याप्त दवाइयां, उपकरण और दैनिक उपयोग की सामग्री खरीदने के लिए निर्देशित किया था.
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सीएमएचओ ने इन बिंदुओं में से किसी पर भी काम नहीं किया. दिसंबर 2020 में अलवर दौरे पर आए शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने भी यूटीबी आधार पर भर्ती के लिए मौखिक अनुमति प्रदान कर दी थी. इसके बाद मैनें कई बार रिक्त पदों पर भर्ती के लिए सीएमएचओ को निर्देश दिए, लेकिन इन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया.
डॉ. ओपी मीणा ने 20 अप्रैल को रिक्त पदों के लिए विज्ञापन जारी किया. यही नहीं प्रशासन की ओर से लॉर्डस और ईएसआईसी हॉस्पिटल का निरीक्षण प्रभारी सचिव डॉ. समित शर्मा के साथ किया. उसमें मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जिला प्रशासन से नर्सिंग स्टाफ की मांग की थी और नर्सिंग स्टाफ उपलब्ध होने पर ही कोरोना संक्रमितों के इलाज की सहमति दी थी. लगातार काफी प्रयासों के बावजूद दिसंबर 2020 से 19 अप्रैल तक रिक्त पदो पर कोई भर्ती नहीं की गई. इससे जिले में नर्सिंग कर्मियों के 596 रिक्त पद नहीं भरे गए.
इतनी संख्या में रिक्त पद होने के कारण ही सीएमएचओ ने प्रशासन की ओर से संचालित अस्पतालों को पर्याप्त संख्या में नर्सिंग स्टाफ उपलब्ध नहीं करवाया. स्टाफ के अभाव में कोरोना संक्रमितों के उपचार में काफी कठिनाई हो रही है. रिक्त पदों पर अभी तक भी भर्ती नहीं की गई है. इसके अलावा घर-घर सर्वे और मौके पर ही दवाई वितरण कार्यक्रम को भी मीणा ने गंभीरता से नहीं लिया और न ही आवश्यक, दवाइयां, उपकरण की खरीद की है.
जिला कलेक्टर ने कहा है कि मीणा निर्देशों की पालना नहीं कर रहे हैं और संक्रमण के इस दौर में अपने कार्य के प्रति उदासीन और लापरवाही कर रहे हैं. इससे इनके अधीनस्थ डाक्टर भी सीएचसी पर संक्रमितों का डे केयर उपचार नहीं कर रहे हैं और भर्ती नहीं कर रहे हैं. इसलिए माइल्ड और मॉडरेट कोरोना संक्रमित मरीज जिला स्तर पर ही आ रहे हैं और इससे व्यवस्थाएं जिला स्तर पर चरमरा रही हैं. ऐसे में सीएचसी पर उपचार नहीं होने से स्थानीय जनता में रोष व्याप्त हो रहा है.
जिला कलेक्टर का यह पत्र सामने आने के बाद अलवर के प्रशासनिक पर राजनीतिक गलियारे में हलचल का माहौल है. सभी अधिकारी लगातार बच रहे हैं. अधिकारियों का आरोप है कि जिला कलेक्टर दिन भर मीटिंग लेते हैं. अधिकारियों को फील्ड में नहीं जाने देते जिसके चलते कामकाज प्रभावित हो रहा है.
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बता दें कि जिले में प्रतिदिन करीब एक हजार पॉजिटिव और बीस से पच्चीस मौतों के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है. अलवर में बीते दिनों ऑक्सीजन की कमी पर कलेक्टर के चेंबर में विधायक का धरना, अस्पतालों में चल रही अव्यवस्था, ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का भर्ती नहीं होना और लगातार हो रही मौतों का बम अधिकारियों के आपसी विवाद में अब फूट पड़ा है.