अलवर: इस बार मौसमी बीमारियों का प्रभाव विगत सालों की तुलना में कई गुना अधिक रहा है. डेंगू के पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 1000 के पार हो चुका है. इसमें एलाइजा जांच के 830 व रैपिड टेस्ट के ढाई सौ पॉजिटिव मरीज है. डेंगू के सबसे ज्यादा पॉजिटिव मरीज अलवर शहर में मिले. जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 1,000 से अधिक पहुंच चुकी है. इसके अलावा स्क्रब टायफस 98, स्वाइन फ्लू एक, चिकनगुनिया 66, मलेरिया के 14 मरीज मिले हैं.
डेंगू के मरीजों का ग्राफ कुछ हद तक कम हुआ है लेकिन अब भी नए मरीज मिल रहे हैं. डेंगू के मरीजों ने पुराना सभी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इस कमी की एक और वजह निजी अस्पतालों की समय पर रिपोर्टिंग नहीं किया जाना है. ऐसे में साफ है कि डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या कई हजारों में पहुंची है.
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के आंकड़ों पर नजर डालें तो एलाइजा जांच में-अलवर शहर में 259, मालाखेड़ा में 136, रामगढ़ में 113, किशनगढ़ बास में 49, कोटकासिम में छह, तिजारा में 20, थानागाजी में 17, राजगढ़ में 28, रेणी में 20, लक्ष्मणगढ़ में 67, खेड़ली में 29, बहरोड में सात, शाहजहांपुर में 12, मुंडावर में 17, बानसूर में 25 डेंगू मरीज मिले हैं. यह आंकड़े सिर्फ एलाइजा जांच के हैं. जबकि जिले के सभी ब्लॉकों में रैपिड जांच भी सैकड़ों मरीजों की की गई है. जिला मुख्यालय पर रैपिड जांच में तीन सौ के आसपास पॉजिटिव मरीज मिले.
स्क्रब टायफस के मरीजों की संख्या एक माह पहले करीब 30 थी. अचानक एक माह बाद जयपुर (Jaipur) से आई एक रिपोर्ट में 40 से अधिक नए पॉजिटिव मरीज आए. नए मरीजों की संख्या ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अधिकारियों को परेशान कर दिया. सभी मरीजों की रिपोर्ट एक माह पुरानी थी. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जब मरीजों से संपर्क किया. तो मरीज ठीक हो चुके थे.
लापरवाही भी कम नहीं हुई
देरी से रिपोर्ट मिलने के कारण जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एहतियातन कोई कार्य नहीं कराया गया. न ही मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को दवाई दी गई. न ही उनके सैंपल लिए गए. इसके अलावा आसपास क्षेत्र में एंटी लारवा एक्टिविटी (Anti Larvae Activity) भी नहीं की गई. एक माह देरी से मरीजों की जानकारी मिलने का यह नया मामला नहीं है. पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. हर बार स्वास्थ्य विभाग व्यवस्था सुधारने में बेहतर करने की बात कहता है. लेकिन हालातों में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ.
अधिकारी दावा कर रहे हैं कि डेंगू का प्रभाव अब कुछ हद तक कम होने लगा है. ऐसे में अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में अन्य गतिविधियां भी शुरू कर दी गई हैं. डेंगू के चलते सभी वार्ड डेंगू मरीजों से भरे हुए थे. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन प्रक्रिया बंद कर दी थी. अब सभी तरह के ऑपरेशन शुरू हो चुके हैं. इससे मरीजों को राहत मिली है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिला मुख्यालय पर तीन से चार नए डेंगू के मरीज मिल रहे हैं. उनका इलाज चल रहा है. इस तरह से सीएससी पीएच स्तर पर भी मरीजों की जांच व इलाज की सुविधा है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा इस साल बीते साल की तुलना में ज्यादा बारिश हुई. इसके चलते मौसमी बीमारियों का प्रभाव ज्यादा रहा. तो वही मौसमी बीमारियों में मृत्यु दर भी देखने को मिली. हालांकि अन्य जगहों की तुलना में अलवर में मृत्यु दर कम रही. लेकिन उसके बाद भी बड़ी संख्या में लोगों की डेंगू से मौत हुई. कुछ मौत के बारे में स्वास्थ्य विभाग को जानकारी मिली. जबकि ज्यादातर मौतें निजी अस्पताल में हुई. उनके बारे में स्वास्थ्य विभाग को कोई जानकारी समय पर नहीं मिली.
टीम जिले में कर रही है काम
डिप्टी सीएमएचओ (Deputy CMHO) ने बताया कि अलवर जिले में स्वास्थ्य कर्मियों की टीम बनाई गई है. यह टीम जिले में एंटी लारवा एक्टिविटी, लोगों को जागरूक करने, लोगों की जांच पड़ताल करने और गांव-गांव घूम कर लोगों को दवाई देने का काम कर रही है.
मरीजों में आई है कमी
आंकड़ों की कहानी पर यकीन करें तो बीते दिनों की तुलना में डेंगू के मरीजों में कुछ कमी आई है. दावा अधिकारी ही करते हैं. कहते हैं पहले प्रतिदिन 10 से 12 नए मरीज मिल रहे थे और अब 5 से 6 नए डेंगू के पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. खास बात ये भी है कि सरकारी अस्पताल की तुलना में निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या ज्यादा है.