अलवर. शहर के आसपास के क्षेत्रों में पानी की खासी कमी है. लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है. ऐसे में फूलों के लिए पानी कहां से आए, इसके लिए व्यापारियों ने आर्टिफिशियल फूल बेचने शुरू कर दिए है. जिसकी डिमांड तेजी से बाजार में बढ़ रही है.
45 लाख से अधिक की आबादी वाले इस शहर में तेजी से एनसीआर का कल्चर हावी हो रहा है. यहां के लोगों के रहन-सहन और खान-पान सभी में बदलाव होने लगा है. लेकिन कुछ सालों से अलवर में पानी संकट मंडरा रहा है. गर्मियों में तो यहां पानी मिल पाना मुश्किल रहता है. जिससे लोग खासा परेशान रहते हैं पर अब सर्दियों में भी पानी की कमी होने लगी है.
पढे़ं- जल संकट: अलवर के किशनगढ़बास में महिलाओं का फूटा गुस्सा, किया उपखंड कार्यालय का घेराव
ऐसे में अब लोगों को पानी के लिए किमी तक की दौड़ लगानी पड़ती है. पौधों को जिंदा रखना बहुत ही मुश्किल हो गया है. इसके लिए माली खासी मेहनत भी करते हैं. उसके बाद भी पौधे खो जाते हैं. हर साल करीब लाखों पौधे लगाए जाते हैं. इनमें से कुछ ही पौधे ही पेड़ का रूप ले पाते हैं. इन हालातों को देखते हुए लगातार आर्टिफिशियल पौधे-पेड़, और फूलों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. त्यौहार के सीजन में इनकी डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है. फूल कारोबारी सोनू ने बताया कि लोगों की सोच में अब बदलाव हो रहा है. त्यौहार के सीजन के अलावा भी आर्टिफिशियल फूलों-पौधों-पेड़ों की डिमांड रहती है.
आर्टिफिशियल फूल-पौधों के उपयोग के फायदे-
- लोग घर, दुकान, फ्लैट, मॉल सहित सभी जगह पर आर्टिफिशियल पौधे और सजावट के लिए फूलों का उपयोग किया जाने लगा है.
- यह सामान देखने में भी काफी सुंदर होता है तो वहीं ये लंबे समय तक टिकते है जबकि प्राकृतिक पौधों एक से दो दिन में मुरझा जाया करते थे.
- इन पौधों की साफ-सफाई करना भी आसान है. पानी और कपड़े से इन पेड़ पौधों को साफ किया जा सकता है.
- फायदा यह भी है कि यह 5 साल तक चलते हैं.