ETV Bharat / city

लाइटों की रोशनी से अलवर हुआ गुलजार, लोगों को भा रहा आर्टिफिशियल फूलों का बाजार

author img

By

Published : Oct 24, 2019, 3:15 PM IST

अलवर के बाजार पूरी तरह से सज चुके हैं. फूल बाजारों में लोगों की अच्छी भीड़ देखने को मिल रही है. पानी की कमी के चलते इस बार प्राकृतिक फूल बाजारों में कम ही बिक रहे हैं. इनके स्थान पर आर्टिफिशियल फूल बेचे जा रहे हैं. वहीं खरीददारों में भी इनका क्रेज देखने को मिल रहा है.

alwar news, अलवर लेटेस्ट न्यूज, अलवर में पानी की कमी, water problem in alwar

अलवर. शहर के आसपास के क्षेत्रों में पानी की खासी कमी है. लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है. ऐसे में फूलों के लिए पानी कहां से आए, इसके लिए व्यापारियों ने आर्टिफिशियल फूल बेचने शुरू कर दिए है. जिसकी डिमांड तेजी से बाजार में बढ़ रही है.

बाजारों में आर्टिफिशियल फूलों के प्रति बढ़ रहा है क्रेज

45 लाख से अधिक की आबादी वाले इस शहर में तेजी से एनसीआर का कल्चर हावी हो रहा है. यहां के लोगों के रहन-सहन और खान-पान सभी में बदलाव होने लगा है. लेकिन कुछ सालों से अलवर में पानी संकट मंडरा रहा है. गर्मियों में तो यहां पानी मिल पाना मुश्किल रहता है. जिससे लोग खासा परेशान रहते हैं पर अब सर्दियों में भी पानी की कमी होने लगी है.

पढे़ं- जल संकट: अलवर के किशनगढ़बास में महिलाओं का फूटा गुस्सा, किया उपखंड कार्यालय का घेराव

ऐसे में अब लोगों को पानी के लिए किमी तक की दौड़ लगानी पड़ती है. पौधों को जिंदा रखना बहुत ही मुश्किल हो गया है. इसके लिए माली खासी मेहनत भी करते हैं. उसके बाद भी पौधे खो जाते हैं. हर साल करीब लाखों पौधे लगाए जाते हैं. इनमें से कुछ ही पौधे ही पेड़ का रूप ले पाते हैं. इन हालातों को देखते हुए लगातार आर्टिफिशियल पौधे-पेड़, और फूलों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. त्यौहार के सीजन में इनकी डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है. फूल कारोबारी सोनू ने बताया कि लोगों की सोच में अब बदलाव हो रहा है. त्यौहार के सीजन के अलावा भी आर्टिफिशियल फूलों-पौधों-पेड़ों की डिमांड रहती है.

पढे़ं- दीपावली विशेष : चाइनीज लाइटों के आगे दीपक की 'लो' होने लगी फीकी, दीपों पर महंगाई की मार ने भी बढ़ा दी मुश्किलें

आर्टिफिशियल फूल-पौधों के उपयोग के फायदे-

  • लोग घर, दुकान, फ्लैट, मॉल सहित सभी जगह पर आर्टिफिशियल पौधे और सजावट के लिए फूलों का उपयोग किया जाने लगा है.
  • यह सामान देखने में भी काफी सुंदर होता है तो वहीं ये लंबे समय तक टिकते है जबकि प्राकृतिक पौधों एक से दो दिन में मुरझा जाया करते थे.
  • इन पौधों की साफ-सफाई करना भी आसान है. पानी और कपड़े से इन पेड़ पौधों को साफ किया जा सकता है.
  • फायदा यह भी है कि यह 5 साल तक चलते हैं.

अलवर. शहर के आसपास के क्षेत्रों में पानी की खासी कमी है. लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है. ऐसे में फूलों के लिए पानी कहां से आए, इसके लिए व्यापारियों ने आर्टिफिशियल फूल बेचने शुरू कर दिए है. जिसकी डिमांड तेजी से बाजार में बढ़ रही है.

बाजारों में आर्टिफिशियल फूलों के प्रति बढ़ रहा है क्रेज

45 लाख से अधिक की आबादी वाले इस शहर में तेजी से एनसीआर का कल्चर हावी हो रहा है. यहां के लोगों के रहन-सहन और खान-पान सभी में बदलाव होने लगा है. लेकिन कुछ सालों से अलवर में पानी संकट मंडरा रहा है. गर्मियों में तो यहां पानी मिल पाना मुश्किल रहता है. जिससे लोग खासा परेशान रहते हैं पर अब सर्दियों में भी पानी की कमी होने लगी है.

पढे़ं- जल संकट: अलवर के किशनगढ़बास में महिलाओं का फूटा गुस्सा, किया उपखंड कार्यालय का घेराव

ऐसे में अब लोगों को पानी के लिए किमी तक की दौड़ लगानी पड़ती है. पौधों को जिंदा रखना बहुत ही मुश्किल हो गया है. इसके लिए माली खासी मेहनत भी करते हैं. उसके बाद भी पौधे खो जाते हैं. हर साल करीब लाखों पौधे लगाए जाते हैं. इनमें से कुछ ही पौधे ही पेड़ का रूप ले पाते हैं. इन हालातों को देखते हुए लगातार आर्टिफिशियल पौधे-पेड़, और फूलों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. त्यौहार के सीजन में इनकी डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है. फूल कारोबारी सोनू ने बताया कि लोगों की सोच में अब बदलाव हो रहा है. त्यौहार के सीजन के अलावा भी आर्टिफिशियल फूलों-पौधों-पेड़ों की डिमांड रहती है.

पढे़ं- दीपावली विशेष : चाइनीज लाइटों के आगे दीपक की 'लो' होने लगी फीकी, दीपों पर महंगाई की मार ने भी बढ़ा दी मुश्किलें

आर्टिफिशियल फूल-पौधों के उपयोग के फायदे-

  • लोग घर, दुकान, फ्लैट, मॉल सहित सभी जगह पर आर्टिफिशियल पौधे और सजावट के लिए फूलों का उपयोग किया जाने लगा है.
  • यह सामान देखने में भी काफी सुंदर होता है तो वहीं ये लंबे समय तक टिकते है जबकि प्राकृतिक पौधों एक से दो दिन में मुरझा जाया करते थे.
  • इन पौधों की साफ-सफाई करना भी आसान है. पानी और कपड़े से इन पेड़ पौधों को साफ किया जा सकता है.
  • फायदा यह भी है कि यह 5 साल तक चलते हैं.
Intro:अलवर
अलवर में आसपास क्षेत्र में पानी की खासी कमी है। लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है। ऐसे में आर्टिफिशियल फूलों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। लोग घर, दुकान, फ्लैट, मॉल सहित सभी जगह पर आर्टिफिशियल पौधे व सजावट के लिए फूलों का उपयोग करने लगे हैं। यह सामान देखने में सुंदर होता है। तो वही इनकी लाइफ ज्यादा होती है।


Body:45 लाख से अधिक की आबादी वाला अलवर जिला एनसीआर में आता है। तेजी से अलवर में एनसीआर का कल्चर हावी हो रहा है। तो वहीं लोगों के रहन-सहन खान-पान सभी में बदलाव होने लगा है। कुछ सालों से अलवर में पानी संकट मंडरा रहा है। सर्दियों में भी पानी के लिए जाम लगते हैं व लोग परेशान होते हैं। तो वहीं गर्मियों में हालात उससे भी ज्यादा खराब रहते हैं। ऐसे में लोगों को पानी के लिए किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। पौधों के लिए लोगों को खासी मेहनत करनी पड़ती है। उसके बाद भी पौधे खो जाते हैं। हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं। इनमें से कुछ ही पौधे पेड़ का रूप लेते हैं। इन हालातों को देखते हुए लगातार आर्टिफिशियल पौधे पेड़ व फूलों के डिमांड तेजी से बढ़ रही है। त्योहार के सीजन में इनकी डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है। दरअसल लोग सजावट के लिए आर्टिफिशियल फूल पौधे व पेड़ों को काम लेने लगे हैं। यह देखने में सुंदर होते हैं तो वहीं इनकी लाइफ 5 साल तक होती है।


Conclusion:फूल कारोबारी सोनू ने बताया कि तेजी से लोगों की सोच में बदलाव हो रहा है। उसका असर भी देखने को मिल रहा है। त्योहार के सीजन के अलावा भी आर्टिफिशियल फूलों पौधों पेड़ों की डिमांड रहती है। उन्होंने कहा कि इन पौधों की साफ सफाई करना भी आसान है। पानी व कपड़े से इन पेड़ पौधों को साफ किया जा सकता है। तो वही यह 5 साल तक चलते हैं। ऐसे में साफ है कि अलवर में पानी के हालात दिनोंदिन खराब हो रहे हैं।

बाइट- सोनू, फूल कारोबारी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.