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कोरोना रिपोर्ट NEGATIVE...फिर भी जा रही लोगों की जान ऐसा क्यों? देखें स्पेशल रिपोर्ट...

अलवर सहित पूरे प्रदेश में कोरोना को लेकर आए दिन नए बदलाव हो रहे हैं. कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी अलवर में लोगों की जान जा रही है. कोरोना के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए हाल ही में यह आंकड़ा सामने आया है. साथ ही सरकार की तरफ से अस्पतालों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है. इसके अलावा ट्रीटमेंट को लेकर भी कई तरह के बदलाव किए गए हैं.

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कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव, फिर भी जा रही लोगों की जान
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Published : Nov 28, 2020, 9:47 PM IST

अलवर. जिले सहित पूरे प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. अलवर में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 25 हजार के आस-पास पहुंच चुका है. समय के साथ अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लक्षण में बदलाव हो रहा है. साथ ही इलाज के तरीकों में भी प्रयोग हो रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षणों में भी लगातार बदलाव होते रहे हैं. हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की जांच में पता चला है कि कोरोना मरीजों के फेफड़ों में एक तरह का फाइब्रोसिस जाल बन जाता है. जिससे कि रिस्क फैक्टर बढ़ जाता है.

कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव, फिर भी जा रही लोगों की जान

ज्यादातर 65 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज, किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज, आईसीयू में रहने वाले मरीज और धूम्रपान करने वाले लोगों में इस तरह की शिकायत ज्यादा मिल रही है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी फेफड़ों में फाइब्रोसिस जाल बन जाता है, इससे फेफड़े की फैलने और सिकुड़ने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं. दूसरे तरह के बैक्टीरिया में फंगल इंफेक्शन की संभावना ज्यादा रहती है. इसका उपचार समय रहते जरूरी है.

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अलवर में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिसके बाद यह पता चला है कि लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उनकी जान चली गई. अलवर के हिंदू पाड़ा निवासी लता शर्मा करीब 45 दिन तक आईसीयू में रही. अंत तक वो बीमारी से लड़ती रही. 27 जुलाई से भर्ती होने के बाद जब हालात में सुधार नहीं हुआ तो 9 सितंबर को उनका निधन हो गया. जांच पड़ताल में पता चला कि लता को फेफड़ों का रोग था.

इसी तरह से अलवर के विकास पथ निवासी एडवोकेट मनोज शर्मा की 21 जुलाई को कोविड-19 रिपोर्ट आई सांस में तकलीफ के बाद उन्हें जयपुर रेफर किया गया. जयपुर के एक निजी अस्पताल में करीब 35 दिन तक आईसीयू में भर्ती रहे. 28 जुलाई को नेगेटिव रिपोर्ट आ गई. परिवार के लोगों ने दूसरे हॉस्पिटल में भी इलाज कराया, लेकिन सांस की तकलीफ लगातार बनी रही.

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कुछ दिनों बाद उन्हें वेंटिलेटर पर ले लिया गया और वहां से उनके शरीर के आंतरिक अंग खराब होने लगे. 24 अगस्त को मनोज का निधन हो गया. अलवर के चूड़ी मार्केट निवासी अनुराग सिंगल को 28 जुलाई को अलवर के कोविड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 5 अगस्त को कोविड रिपोर्ट आने के बाद उन्हें एसएमएस में भेज दिया गया. क्योंकि सांस में तकलीफ की समस्या लगातार बनी हुई थी. 15 अगस्त को उन्हें वेंटिलेटर पर लिया गया और 1 सितंबर को अनुराग का निधन हो गया. इसी तरह से अलवर में कई मामले आए, जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी मरीज के फेफड़ों में संक्रमण फैला.

यही हालात रहे तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कोविड के बाद करीब 10 प्रतिशत मरीजों में कई अन्य रोग के लक्षण सामने आए हैं. इनमें से कुछ तो 3 महीने के भीतर और कुछ पोस्ट कोविड के 3 महीने बाद के हैं. कोविड में खांसी, थकान और हल्का बुखार जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. हालांकि ये लक्षण 12 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. वहीं क्रॉनिक पोस्ट कोविड तकलीफ छाती का दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, रक्त का थक्का बनने जैसे लक्षण रहते हैं.

अलवर. जिले सहित पूरे प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. अलवर में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 25 हजार के आस-पास पहुंच चुका है. समय के साथ अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लक्षण में बदलाव हो रहा है. साथ ही इलाज के तरीकों में भी प्रयोग हो रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षणों में भी लगातार बदलाव होते रहे हैं. हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की जांच में पता चला है कि कोरोना मरीजों के फेफड़ों में एक तरह का फाइब्रोसिस जाल बन जाता है. जिससे कि रिस्क फैक्टर बढ़ जाता है.

कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव, फिर भी जा रही लोगों की जान

ज्यादातर 65 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज, किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज, आईसीयू में रहने वाले मरीज और धूम्रपान करने वाले लोगों में इस तरह की शिकायत ज्यादा मिल रही है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी फेफड़ों में फाइब्रोसिस जाल बन जाता है, इससे फेफड़े की फैलने और सिकुड़ने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं. दूसरे तरह के बैक्टीरिया में फंगल इंफेक्शन की संभावना ज्यादा रहती है. इसका उपचार समय रहते जरूरी है.

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अलवर में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिसके बाद यह पता चला है कि लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उनकी जान चली गई. अलवर के हिंदू पाड़ा निवासी लता शर्मा करीब 45 दिन तक आईसीयू में रही. अंत तक वो बीमारी से लड़ती रही. 27 जुलाई से भर्ती होने के बाद जब हालात में सुधार नहीं हुआ तो 9 सितंबर को उनका निधन हो गया. जांच पड़ताल में पता चला कि लता को फेफड़ों का रोग था.

इसी तरह से अलवर के विकास पथ निवासी एडवोकेट मनोज शर्मा की 21 जुलाई को कोविड-19 रिपोर्ट आई सांस में तकलीफ के बाद उन्हें जयपुर रेफर किया गया. जयपुर के एक निजी अस्पताल में करीब 35 दिन तक आईसीयू में भर्ती रहे. 28 जुलाई को नेगेटिव रिपोर्ट आ गई. परिवार के लोगों ने दूसरे हॉस्पिटल में भी इलाज कराया, लेकिन सांस की तकलीफ लगातार बनी रही.

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कुछ दिनों बाद उन्हें वेंटिलेटर पर ले लिया गया और वहां से उनके शरीर के आंतरिक अंग खराब होने लगे. 24 अगस्त को मनोज का निधन हो गया. अलवर के चूड़ी मार्केट निवासी अनुराग सिंगल को 28 जुलाई को अलवर के कोविड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 5 अगस्त को कोविड रिपोर्ट आने के बाद उन्हें एसएमएस में भेज दिया गया. क्योंकि सांस में तकलीफ की समस्या लगातार बनी हुई थी. 15 अगस्त को उन्हें वेंटिलेटर पर लिया गया और 1 सितंबर को अनुराग का निधन हो गया. इसी तरह से अलवर में कई मामले आए, जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी मरीज के फेफड़ों में संक्रमण फैला.

यही हालात रहे तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कोविड के बाद करीब 10 प्रतिशत मरीजों में कई अन्य रोग के लक्षण सामने आए हैं. इनमें से कुछ तो 3 महीने के भीतर और कुछ पोस्ट कोविड के 3 महीने बाद के हैं. कोविड में खांसी, थकान और हल्का बुखार जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. हालांकि ये लक्षण 12 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. वहीं क्रॉनिक पोस्ट कोविड तकलीफ छाती का दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, रक्त का थक्का बनने जैसे लक्षण रहते हैं.

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