अलवर. जिले में प्याज व सरसों की बड़ी मंडी है. वहीं अब अलवर मंडी की पहचान कपास मंडी के रूप में भी होने लगी है. अलवर मंडी में हर साल कपास की आवक में बढ़ोतरी हो रही है. किसान कपास की खेती करने लगे हैं, जिस कारण उनको कपास में खासा मुनाफा मिल रहा है.
अलवर की कपास मंडी में इन दिनों तीन से चार हजार पोर्ट कपास की आ रही है. कपास के भाव 4800 से 5400 रुपए चल रहे हैं. अलवर की कपास देशभर में सप्लाई होती है. कपास को पहले फैक्ट्री संचालक खरीदते हैं फिर उसकी सफाई करते हैं. उसके बाद हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित देशभर में कपास सप्लाई होती है.
कपास के अलावा अलवर मंडी में इन दिनों बाजरा भी काफी मात्रा में आ रहा है. बाजरे की प्रतिदिन 1500 से अधिक बोरी अलवर मंडी में बिकने के लिए आ रहे हैं. मंडी में बाजरे के भाव 1750 से 1800 रुपए के हिसाब से चल रहे हैं.
व्यापारियों का कहना है कि कपास में किसानों को खासा फायदा पहुंचता है. इसलिए अलवर के किसान बड़ी संख्या में कपास की खेती करने लगे हैं. व्यापारियों ने कहा हालांकि कपास के भाव में ना तो कोई बढ़ोत्तरी हुई और न ही कमी आई है. लेकिन उसके बाद भी किसानों को कपास में खासा फायदा हो रहा है.
अधिक फायदा होने के कारण अलवर में बड़ी संख्या में किसान कपास की खेती करने लगे हैं. मंडी समिति के सचिव विजेंद्र गोयल ने कहा अलवर मंडी की पहचान अब कपास मंडी के रूप में भी होने लगी है. अलवर में पैदा होने वाली कपास खासी बेहतर किस्म की होती है. इसलिए अलवर की कपास की डिमांड देश भर में रहती है. कपास जिले से कई राज्यों में सप्लाई होती है.