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SPECIAL: कोरोना ने बदला फैशन ट्रेंड, अब ड्रेस की मैचिंग के बन रहे मास्क

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Published : Jun 23, 2020, 8:35 PM IST

कोरोना ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है. सभी सेक्टर इससे प्रभावित हुए हैं, लेकिन कुछ पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. उनमें से एक है कपड़ा व्यवसाय. इस बार कपड़ा व्यवसाय को ईद में खासा नुकसान हुआ है. कपड़ा व्यापारियों ने जो स्टॉक खरीदा था अब उसके लिए दिवाली ही आखिरी सहारा है. हालांकि फैशन डिजाइन से जुड़े हुए कारोबारी अभी मजबूती से इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं.

alwar news, अलवर न्यूज, कपड़े के कारोबार, Clothing business
कोरोना ने कपड़े के कारोबार को किया ठप

अलवर. शादी, नवरात्री, रमजान, दिवाली सहित त्योहारों का सीजन आते ही कपड़े की डिमांड बढ़ने लगती है. महज कुछ ही दिनों में करोड़ों रुपए का कारोबार होता हैं. कोरोना के चलते 4 महीने का समय निकल चुका है. कपड़ा व्यापारी होली के साथ ही अप्रैल में आने वाले रमजान के त्योहार को देखते हुए कपड़ों का बड़ा स्टॉक अपने पास मंगवा लेते हैं. उसके बाद से लगातार शादी के सीजन में कपड़े की डिमांड रहती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते पूरा कामकाज ठप हो गया है.

कोरोना ने कपड़े के कारोबार को किया ठप

दूसरी तरफ फैशन डिजाइन के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी खासे प्रभावित हो रहे हैं. कोरोना के संक्रमण के चलते व्यवसाय के तरीकों में भी बदलाव हुआ है. अब लोग ऑनलाइन का सहारा ज्यादा ले रहे हैं. मार्केट की हालात पर बात करने के लिए फैशन डिजाइनर और व्यापारी राखी नरूला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा वैसे तो लॉकडाउन और कोरोना का सभी पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन ऐसे में अब इन हालातों को समझते हुए काम करने से जीने की आवश्यकता है. सरकार और अन्य किसी को कोसने की जगह जो हालात हैं, उसके हिसाब से ढलते हुए आगे की संभावनाओं पर काम करना चाहिए. इतना ही नहीं अपनी सोच में भी लोगों को थोड़ी बदलाव करने की आवश्यकता है.

पढ़ेंः पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट, लॉकडाउन में करोड़ों का हुआ नुकसान

उन्होंने कहा लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए व्यवसाय के तरीकों में भी बदलाव हुआ है. अब लोग टाइम लेकर आते हैं. साथ ही लोगों को फोटो और वीडियो बनाकर फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए भेजी जाती है. वीडियो कॉलिंग के माध्यम से कस्टमर से बात की जा रही है. वहीं वीडियो के माध्यम से उसकी डिमांड पूरी की जा रही है. शादी पार्टियां कम होने के कारण डिमांड में खासी कमी आई है. जो शादियां होनी थी वो कोरोना के चलते कैंसिल हो चुकी हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं कपड़ा और फैशन इंडस्ट्री पर खासा प्रभावित हुई है.

पढे़ंः भीलवाड़ा: खुदरा कपड़ा व्यवसायियों का बंद पड़ा व्यापार, नहीं आ रहे ग्राहक, ना हो रही बिक्री

इसके अलावा अब प्रत्येक ड्रेस के साथ उसके मैचिंग मास्क भी लोगों द्वारा मांगा जा रहा है. वहीं डिजाइनर मास्क की डिमांड बाजार में बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि डिजाइनर मास्क देश के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई किए जा रहे हैं. कोरोना के संक्रमण के चलते लोग खासे डरे हुए हैं. अभी लोग सोशल कार्यक्रमों को इग्नोर कर रहे हैं. भीड़भाड़ वाली जगहों से बच रहे हैं. इसलिए लगातार डिजाइनर ड्रेस की डिमांड बीते समय की तुलना में कम हो रही है.

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कपड़ों का स्टॉक...

अलवर में होता है करोड़ों का कारोबार

अलवर कपड़े की बड़ी मंडी है. अलवर में दिल्ली, लुधियाना, सूरत, पाली, जोधपुर और जयपुर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से कपड़ा बेचने के लिए आता है. वहीं हर महीने 50 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है. अलवर में बच्चे, युवा और महिलाओं के कपड़ों से जुड़ी हुई करीब 7 हजार से अधिक शोरूम में दुकानें हैं. जिनमें साल भर लोगों की आवाजाही और भीड़ रहती है.

पढ़ें: SPECIAL: कोट-शेरवानी के बाद अब Safa With Mask का ट्रेंड भी शुरू

लॉकडाउन के दौरान नुकसान

लॉकडाउन के दौरान कपड़े से जुड़े व्यापारी और कारोबारियों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. क्योंकि कारोबार पूरी तरीके से ठप रहा था. इसके अलावा शोरूम का किराया, बिजली का बिल, कारोबार का लोन और कर्मचारियों का वेतन सहित अन्य खर्चे भी लगातार व्यापारियों पर अतिरिक्त भार के रूप में पड़े थे.

अलवर. शादी, नवरात्री, रमजान, दिवाली सहित त्योहारों का सीजन आते ही कपड़े की डिमांड बढ़ने लगती है. महज कुछ ही दिनों में करोड़ों रुपए का कारोबार होता हैं. कोरोना के चलते 4 महीने का समय निकल चुका है. कपड़ा व्यापारी होली के साथ ही अप्रैल में आने वाले रमजान के त्योहार को देखते हुए कपड़ों का बड़ा स्टॉक अपने पास मंगवा लेते हैं. उसके बाद से लगातार शादी के सीजन में कपड़े की डिमांड रहती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते पूरा कामकाज ठप हो गया है.

कोरोना ने कपड़े के कारोबार को किया ठप

दूसरी तरफ फैशन डिजाइन के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी खासे प्रभावित हो रहे हैं. कोरोना के संक्रमण के चलते व्यवसाय के तरीकों में भी बदलाव हुआ है. अब लोग ऑनलाइन का सहारा ज्यादा ले रहे हैं. मार्केट की हालात पर बात करने के लिए फैशन डिजाइनर और व्यापारी राखी नरूला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा वैसे तो लॉकडाउन और कोरोना का सभी पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन ऐसे में अब इन हालातों को समझते हुए काम करने से जीने की आवश्यकता है. सरकार और अन्य किसी को कोसने की जगह जो हालात हैं, उसके हिसाब से ढलते हुए आगे की संभावनाओं पर काम करना चाहिए. इतना ही नहीं अपनी सोच में भी लोगों को थोड़ी बदलाव करने की आवश्यकता है.

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उन्होंने कहा लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए व्यवसाय के तरीकों में भी बदलाव हुआ है. अब लोग टाइम लेकर आते हैं. साथ ही लोगों को फोटो और वीडियो बनाकर फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए भेजी जाती है. वीडियो कॉलिंग के माध्यम से कस्टमर से बात की जा रही है. वहीं वीडियो के माध्यम से उसकी डिमांड पूरी की जा रही है. शादी पार्टियां कम होने के कारण डिमांड में खासी कमी आई है. जो शादियां होनी थी वो कोरोना के चलते कैंसिल हो चुकी हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं कपड़ा और फैशन इंडस्ट्री पर खासा प्रभावित हुई है.

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इसके अलावा अब प्रत्येक ड्रेस के साथ उसके मैचिंग मास्क भी लोगों द्वारा मांगा जा रहा है. वहीं डिजाइनर मास्क की डिमांड बाजार में बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि डिजाइनर मास्क देश के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई किए जा रहे हैं. कोरोना के संक्रमण के चलते लोग खासे डरे हुए हैं. अभी लोग सोशल कार्यक्रमों को इग्नोर कर रहे हैं. भीड़भाड़ वाली जगहों से बच रहे हैं. इसलिए लगातार डिजाइनर ड्रेस की डिमांड बीते समय की तुलना में कम हो रही है.

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कपड़ों का स्टॉक...

अलवर में होता है करोड़ों का कारोबार

अलवर कपड़े की बड़ी मंडी है. अलवर में दिल्ली, लुधियाना, सूरत, पाली, जोधपुर और जयपुर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से कपड़ा बेचने के लिए आता है. वहीं हर महीने 50 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है. अलवर में बच्चे, युवा और महिलाओं के कपड़ों से जुड़ी हुई करीब 7 हजार से अधिक शोरूम में दुकानें हैं. जिनमें साल भर लोगों की आवाजाही और भीड़ रहती है.

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लॉकडाउन के दौरान नुकसान

लॉकडाउन के दौरान कपड़े से जुड़े व्यापारी और कारोबारियों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. क्योंकि कारोबार पूरी तरीके से ठप रहा था. इसके अलावा शोरूम का किराया, बिजली का बिल, कारोबार का लोन और कर्मचारियों का वेतन सहित अन्य खर्चे भी लगातार व्यापारियों पर अतिरिक्त भार के रूप में पड़े थे.

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