अलवर. ESIC मेडिकल कॉलेज में संविदा कर्मियों की भर्ती घोटाले के मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों को एसीबी ने कोर्ट में पेश किया. जहां से कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया है. एसीबी की टीम लगातार आरोपियों से पूछताछ कर रही है. इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज के डीन सहित चार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. भर्ती किए गए स्टाफ के दस्तावेज मेडिकल कॉलेज में नहीं मिले हैं. बिना दस्तावेजों के ही स्टाफ को भर्ती किया गया. भर्ती प्रक्रिया में सरकारी नियमों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई.
एसीबी ने संविदा कर्मी भर्ती घोटाले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. सभी को कोर्ट ने 3 दिन की रिमांड पर भेज दिया था. रिमांड अवधि सोमवार को पूरी होने पर एसीबी ने आरोपियों को एसीब कोर्ट में पेश किया. एसीबी कोर्ट ने सभी आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया. मेडिकल कॉलेज से मिले दस्तावेजों और पूछताछ के बाद सामने आया है कि ज्यादातर कर्मचारियों को बिना दस्तावेज के ही नौकरी पर रख लिया गया था. इनमें से कुछ लोग तो नौकरी भी करने लगे हैं.
6 से 8 महीने का वेतन एडवांस में देकर भर्ती हुए हैं
ऐसे में मेडिकल कॉलेज के डीन और अन्य स्टाफ की मिलीभगत की बात सामने आ रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए ईएसआईसी की तरफ से भर्ती करवाने वाली कंपनी का टेंडर समाप्त किया गया है. साथ ही भर्ती किए गए सभी कर्मचारियों को हटाने के आदेश दिए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के स्टाफ को भर्ती की जानकारी नहीं दी गई. जब नए कर्मचारी ड्यूटी पर आए, तब अन्य लोगों को उनके बारे में पता चला. नए भर्ती हुए लोगों ने बताया कि 6 से 8 माह का वेतन एडवांस में देकर वह भर्ती हुए हैं. हालांकि कैमरे के सामने आने से वो लोग बच रहे हैं.
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एसीबी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में कई अहम जानकारी प्राप्त हुई हैं. गिरफ्तार आरोपियों और मेडिकल कॉलेज के डीन व अन्य स्टाफ को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई. इस दौरान सभी के बयानों में विरोधाभास नजर आया.
नहीं निकाले गए भर्ती के विज्ञापन
मेडिकल कॉलेज के डीन व प्लेसमेंट एजेंसी की तरफ से भर्ती प्रक्रिया में खासी अनियमितताएं बरती गई. भर्ती की प्रक्रिया की जानकारी मेडिकल कॉलेज के स्टाफ को भी नहीं थी. भर्ती का अखबारों में विज्ञापन भी नहीं निकाला गया. जिससे किसी को इस भर्ती के बारे में पता नहीं चले और अंदर के लोग अपनी मनमानी कर सकें. साथ ही भर्ती की प्रक्रिया में ना तो इंटरव्यू ना ही मेरिट की व्यवस्था थी. प्लेसमेंट एजेंसी, उसके दलालों और मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने अपनी मर्जी के अनुसार लोगों को भर्ती किया.