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Special: कोरोना काल में सफाईकर्मियों के जान से प्रशासन कर रहा खिलवाड़

कोरोना कॉल में डॉक्टर और पुलिसकर्मियों के साथ ही सफाईकर्मी भी अहम भूमिका निभाते रहे हैं. सफाई करने के साथ ही सफाईकर्मी सीधे कोरोना संक्रमण के संपर्क में रहते हैं. ऐसे में उनके लिए बेहतर इंतजाम की आवश्यकता है. लेकिन अलवर में हालात खराब है. अलवर में सफाईकर्मियों को ना तो मास्क दिए जाते हैं, ना ही सैनिटाइजर. ऐसे में 24 घंटे सफाईकर्मियों पर संक्रमण का खतरा मंडराता है और उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

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सफाईकर्मियों के जान से खिलवाड़
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Published : Aug 7, 2020, 6:17 PM IST

अलवर. जिले में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. राजस्थान में अन्य जगहों की तुलना में अलवर के हालात खराब है. शहर में अब तक 5 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं और प्रतिदिन 100 से अधिक नई मरीज मिल रहे हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

कोरोना कॉल में स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी लगातार अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना से सीधा मुकाबला कर रहे हैं. नियम के हिसाब से डॉक्टरों को सभी तरह के संसाधन मिल रहे हैं, तो वही पुलिसकर्मियों को भी प्रशासन की तरफ से मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. लेकिन इन सब में सफाईकर्मी परेशान हो रहा है, क्योंकि सफाईकर्मी को अब तक ना तो कोई सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, ना ही कोरोना से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर.

सफाईकर्मियों की हालत बद से बदतर

पढ़ेंः Special Report: कोरोना काल में दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ते बूंदी के बैंककर्मी

हालांकि अलवर नगर परिषद द्वारा सफाईकर्मियों के खाते में एक बार एक हजार रुपए जमा कराए गए थे, लेकिन उसके बाद से प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है. जबकि सफाईकर्मी सुबह शाम लगातार ड्यूटी करते हैं. सड़क पर झाड़ू लगाने, कचरा उठाने, नालियों की सफाई करने सहित सभी तरह के कार्य सफाईकर्मियों द्वारा किए जाते हैं. ऐसे में सफाई कर्मी सीधे तौर पर संक्रमण के संपर्क में रहते हैं लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

अलवर नगर परिषद में करीब 700 सफाई कर्मी है. जिसमें 500 स्थाई तो वहीं 200 से अधिक अस्थाई सफाई कर्मी लगे हुए हैं. अलग-अलग सेक्टर में शहर की व्यवस्था को बांटा गया है. जरूरत के हिसाब से सभी जगह पर सफाईकर्मियों को भेजा जाता है. अस्पताल के अलावा पूरे शहर को साफ रखने में सफाईकर्मी की अहम भूमिका रहती है.

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बिना सेफ्टी किट के सफाईकर्मी निभा रहे है अपना कर्तव्य

पढ़ेंः स्पेशल: कोरोना काल में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए लोग, ठप पड़े साइकिल व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

नियम के हिसाब से प्रत्येक सफाईकर्मी को काम पर जाने से पहले प्रतिदिन मास्क, हैंड ग्लव्स और अन्य जरूरी सामान मिलने चाहिए. तो वहीं सैनिटाइजर से हाथ धोने की व्यवस्था भी समय-समय पर आवश्यक है. लेकिन अलवर में इन सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं. नगर परिषद के अधिकारियों का दावा है कि सफाईकर्मियों को सभी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन सफाईकर्मियों ने नगर परिषद के सभी दावों को नकारा है.

जिले में अन्य जगह भी हालात खराब-

जिले में दो नगर परिषद और 10 नगर पालिका है, सभी की हालात खराब है. भिवाड़ी और अलवर में कोरोना का संक्रमण ज्यादा है. ऐसे में सरकार और प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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सफाईकर्मियों पर संक्रमण का खतरा

क्या है प्रोटोकोल-

सरकारी प्रोटोकॉल के हिसाब से सभी सफाई कर्मियों को प्रशासन की तरफ से मास्क, हैंड ग्लव्स, जूतों के लिए ग्लव्स, सैनिटाइजर, हाथ धोने के साबुन सहित सभी चीजें उपलब्ध करानी चाहिए. लेकिन अलवर में नगर परिषद द्वारा सफाई कर्मियों के खाते में एक बार एक हजार रुपए डाले गए थे उसके बाद उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया.

पढ़ेंः स्पेशल: Corona से सुरक्षा में मददगार बन रहा आरोग्य सेतु एप, अब तक कई मामले आ चुके सामने

अल्टरनेट होनी चाहिए व्यवस्था-

सफाई कर्मी सीधे संक्रमण के संपर्क में रहता है, ऐसे में सफाई कर्मी के लिए अल्टरनेट व्यवस्था होनी चाहिए. जिससे काम करने के साथ सफाईकर्मी खुद को और अपने परिवार को भी बचा सके.

अलवर. जिले में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. राजस्थान में अन्य जगहों की तुलना में अलवर के हालात खराब है. शहर में अब तक 5 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं और प्रतिदिन 100 से अधिक नई मरीज मिल रहे हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

कोरोना कॉल में स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी लगातार अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना से सीधा मुकाबला कर रहे हैं. नियम के हिसाब से डॉक्टरों को सभी तरह के संसाधन मिल रहे हैं, तो वही पुलिसकर्मियों को भी प्रशासन की तरफ से मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. लेकिन इन सब में सफाईकर्मी परेशान हो रहा है, क्योंकि सफाईकर्मी को अब तक ना तो कोई सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, ना ही कोरोना से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर.

सफाईकर्मियों की हालत बद से बदतर

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हालांकि अलवर नगर परिषद द्वारा सफाईकर्मियों के खाते में एक बार एक हजार रुपए जमा कराए गए थे, लेकिन उसके बाद से प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है. जबकि सफाईकर्मी सुबह शाम लगातार ड्यूटी करते हैं. सड़क पर झाड़ू लगाने, कचरा उठाने, नालियों की सफाई करने सहित सभी तरह के कार्य सफाईकर्मियों द्वारा किए जाते हैं. ऐसे में सफाई कर्मी सीधे तौर पर संक्रमण के संपर्क में रहते हैं लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

अलवर नगर परिषद में करीब 700 सफाई कर्मी है. जिसमें 500 स्थाई तो वहीं 200 से अधिक अस्थाई सफाई कर्मी लगे हुए हैं. अलग-अलग सेक्टर में शहर की व्यवस्था को बांटा गया है. जरूरत के हिसाब से सभी जगह पर सफाईकर्मियों को भेजा जाता है. अस्पताल के अलावा पूरे शहर को साफ रखने में सफाईकर्मी की अहम भूमिका रहती है.

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बिना सेफ्टी किट के सफाईकर्मी निभा रहे है अपना कर्तव्य

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नियम के हिसाब से प्रत्येक सफाईकर्मी को काम पर जाने से पहले प्रतिदिन मास्क, हैंड ग्लव्स और अन्य जरूरी सामान मिलने चाहिए. तो वहीं सैनिटाइजर से हाथ धोने की व्यवस्था भी समय-समय पर आवश्यक है. लेकिन अलवर में इन सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं. नगर परिषद के अधिकारियों का दावा है कि सफाईकर्मियों को सभी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन सफाईकर्मियों ने नगर परिषद के सभी दावों को नकारा है.

जिले में अन्य जगह भी हालात खराब-

जिले में दो नगर परिषद और 10 नगर पालिका है, सभी की हालात खराब है. भिवाड़ी और अलवर में कोरोना का संक्रमण ज्यादा है. ऐसे में सरकार और प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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सफाईकर्मियों पर संक्रमण का खतरा

क्या है प्रोटोकोल-

सरकारी प्रोटोकॉल के हिसाब से सभी सफाई कर्मियों को प्रशासन की तरफ से मास्क, हैंड ग्लव्स, जूतों के लिए ग्लव्स, सैनिटाइजर, हाथ धोने के साबुन सहित सभी चीजें उपलब्ध करानी चाहिए. लेकिन अलवर में नगर परिषद द्वारा सफाई कर्मियों के खाते में एक बार एक हजार रुपए डाले गए थे उसके बाद उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया.

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अल्टरनेट होनी चाहिए व्यवस्था-

सफाई कर्मी सीधे संक्रमण के संपर्क में रहता है, ऐसे में सफाई कर्मी के लिए अल्टरनेट व्यवस्था होनी चाहिए. जिससे काम करने के साथ सफाईकर्मी खुद को और अपने परिवार को भी बचा सके.

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