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SPECIAL : चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना विवादों में...मरीजों के इलाज से लेकर अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन तक झंझट

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की. लेकिन योजना अब विवादों में है. निजी अस्पतालों में लोगों को मुफ्त इलाज नहीं मिल पा रहा है. दूसरी तरफ निजी अस्पतालों का इस योजना में रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो रहा है.

chiranjeevi health insurance plan
चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना विवादों में
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Published : Jun 6, 2021, 8:17 PM IST

Updated : Jun 6, 2021, 8:41 PM IST

अलवर. चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत राजस्थान में खाद्य सुरक्षा में शामिल लोगों को 5 लाख तक का बीमा सरकार की ओर से दिया गया. इसके तहत सरकारी या निजी अस्पताल में योजना से जुड़े लोग 5 लाख रूपए तक का इलाज करा सकते हैं. खाद्य सुरक्षा में जो लोग शामिल नहीं हैं उनसे 850 रुपए की राशि योजना में जुड़ने के लिए ली गई. लेकिन धरातल पर योजना जड़ें नहीं जमा पा रही है.

चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में झोल है...

योजना आरंभ होते ही लाखों लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया. कुछ लोगों ने निशुल्क रजिस्ट्रेशन कराया तो सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और अन्य लोगों ने योजना में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए राशि का भुगतान किया. अलवर जिले 7 लाख लोगों ने इस योजना में रजिस्ट्रेशन कराया. अलवर जिले में 150 से अधिक निजी अस्पताल हैं.

chiranjeevi health insurance plan
अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लम्बी

निजी अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लंबी

सरकार ने योजना तो शुरू कर दी लेकिन निजी अस्पतालों को योजना से नहीं जोड़ा. निजी अस्पतालों के योजना में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया काफी लंबी है. अलवर जिले में करीब 31 निजी अस्पतालों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया. अब तक केवल 10 निजी हॉस्पिटल का इस योजना में रजिस्ट्रेशन हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की टीम की तरफ से अस्पतालों का निरीक्षण किया गया. लेकिन अब तक हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 9 अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन प्रदेश स्तर पर पेंडिंग है. 3 अस्पतालों को रिजेक्ट कर दिया गया है. 7 हॉस्पिटल का निरीक्षण हो चुका है. लेकिन अभी उनको लाइसेंस नहीं दिया गया है. इसके अलावा जिला सरकारी अस्पताल, 40 सीएचसी और दो सेटेलाइट हॉस्पिटल इस योजना में रजिस्टर्ड हुए हैं. सरकार ने योजना शुरू करने से पहले निजी अस्पतालों को इससे नहीं जोड़ा. जिसके चलते निजी अस्पतालों में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है.

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मुफ्त इलाज अभी दूर की कौड़ी

पढ़ें- अब पैसे के अभाव में दम नहीं तोड़ेंगी प्रतिभाएं, सीएम गहलोत ने शुरू की 'मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना'

इलाज के लिए लोग काट रहे चक्कर

इलाज के लिए मरीज निजी अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं. दूसरी तरफ निजी अस्पताल के मॉनिटरिंग के लिए भी जिला स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में लोग परेशान हैं. आए दिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. हालांकि प्रदेश सरकार के मंत्री अधिकारियों का दावा है कि जो अस्पताल चिरंजीवी योजना में मरीजों का इलाज नहीं करेगा उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. इतना ही नहीं अलवर प्रभारी और प्रदेश सरकार में मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि जो अस्पताल लापरवाही करेंगे उनका लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा.

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लोगों को नहीं मिल रहा इलाज

आए दिन मिल रही है निजी अस्पतालों की शिकायत

निजी अस्पताल मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं. आए दिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली, प्रभारी मंत्री ममता भूपेश, जिला कलेक्टर सीएमएचओ सहित सभी को निजी अस्पतालों द्वारा चिरंजीवी योजना में इलाज नहीं करने की शिकायतें मिल रही हैं. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना विवादों में

प्रदेशभर में हालात है खराब

इस तरह के हालात अकेले अलवर की नहीं हैं. सभी जिलों में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा लोग परेशान हो रहे हैं. सरकार ने बिना तैयारी के इस योजना को शुरू कर दिया. सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए गए लेकिन आम आदमियों को सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.

अलवर. चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत राजस्थान में खाद्य सुरक्षा में शामिल लोगों को 5 लाख तक का बीमा सरकार की ओर से दिया गया. इसके तहत सरकारी या निजी अस्पताल में योजना से जुड़े लोग 5 लाख रूपए तक का इलाज करा सकते हैं. खाद्य सुरक्षा में जो लोग शामिल नहीं हैं उनसे 850 रुपए की राशि योजना में जुड़ने के लिए ली गई. लेकिन धरातल पर योजना जड़ें नहीं जमा पा रही है.

चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में झोल है...

योजना आरंभ होते ही लाखों लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया. कुछ लोगों ने निशुल्क रजिस्ट्रेशन कराया तो सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और अन्य लोगों ने योजना में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए राशि का भुगतान किया. अलवर जिले 7 लाख लोगों ने इस योजना में रजिस्ट्रेशन कराया. अलवर जिले में 150 से अधिक निजी अस्पताल हैं.

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अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लम्बी

निजी अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लंबी

सरकार ने योजना तो शुरू कर दी लेकिन निजी अस्पतालों को योजना से नहीं जोड़ा. निजी अस्पतालों के योजना में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया काफी लंबी है. अलवर जिले में करीब 31 निजी अस्पतालों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया. अब तक केवल 10 निजी हॉस्पिटल का इस योजना में रजिस्ट्रेशन हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की टीम की तरफ से अस्पतालों का निरीक्षण किया गया. लेकिन अब तक हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 9 अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन प्रदेश स्तर पर पेंडिंग है. 3 अस्पतालों को रिजेक्ट कर दिया गया है. 7 हॉस्पिटल का निरीक्षण हो चुका है. लेकिन अभी उनको लाइसेंस नहीं दिया गया है. इसके अलावा जिला सरकारी अस्पताल, 40 सीएचसी और दो सेटेलाइट हॉस्पिटल इस योजना में रजिस्टर्ड हुए हैं. सरकार ने योजना शुरू करने से पहले निजी अस्पतालों को इससे नहीं जोड़ा. जिसके चलते निजी अस्पतालों में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है.

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मुफ्त इलाज अभी दूर की कौड़ी

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इलाज के लिए लोग काट रहे चक्कर

इलाज के लिए मरीज निजी अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं. दूसरी तरफ निजी अस्पताल के मॉनिटरिंग के लिए भी जिला स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में लोग परेशान हैं. आए दिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. हालांकि प्रदेश सरकार के मंत्री अधिकारियों का दावा है कि जो अस्पताल चिरंजीवी योजना में मरीजों का इलाज नहीं करेगा उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. इतना ही नहीं अलवर प्रभारी और प्रदेश सरकार में मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि जो अस्पताल लापरवाही करेंगे उनका लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा.

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लोगों को नहीं मिल रहा इलाज

आए दिन मिल रही है निजी अस्पतालों की शिकायत

निजी अस्पताल मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं. आए दिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली, प्रभारी मंत्री ममता भूपेश, जिला कलेक्टर सीएमएचओ सहित सभी को निजी अस्पतालों द्वारा चिरंजीवी योजना में इलाज नहीं करने की शिकायतें मिल रही हैं. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना विवादों में

प्रदेशभर में हालात है खराब

इस तरह के हालात अकेले अलवर की नहीं हैं. सभी जिलों में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा लोग परेशान हो रहे हैं. सरकार ने बिना तैयारी के इस योजना को शुरू कर दिया. सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए गए लेकिन आम आदमियों को सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.

Last Updated : Jun 6, 2021, 8:41 PM IST
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