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SPECIAL : स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल लोगों की ले रहा है जान, कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने किया परेशान - Alwar Hospital

राजस्थान में भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ चुके हैं. ब्लैक फंगस के लक्षण और उससे बचाव के बारे में ईटीवी भारत ने ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु गुप्ता से बात की. डॉ. गुप्ता ने बातचीत के दौरान कई प्रकार की अहम जानकारी दी. पढ़ें पूरी खबर..

ब्लैक फंगस, black fungus
कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने किया परेशान
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Published : May 18, 2021, 2:18 PM IST

अलवर. कोरोना को हराकर घर लौट रहे लोगों के लिए परेशानी भरी खबर है. कोरोना मरीजों को जल्दी ठीक करने के लिए उनको स्टोराइट दिया जाता है. यह स्टेरॉयड मरीजों के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है. ऐसे में लोगों को म्यूकरमाइकोसिस जैसी बीमारी हो रही है.म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. यह उन लोगों में आसानी से फैल जाता है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है.

स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल लोगों की ले रहा है जान

पढ़ेंः SPECIAL: योग से कोरोना को हराने की मुहिम, कोविड के मरीजों को सिखा रहे योग...महामारी को मात दे चुके जयपुर के विनीत

इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है.डायबिटीज मरीजों में स्टेरॉयड कम में लेने से उनको इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है.कोरोना से संक्रमित और रिकवर हुए मरीजों के लिए चिंता की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इलाज के दौरान स्टेरॉयड ज्यादा काम में लेने से लोगों में फंगल इंफेक्शन की शिकायत हो रही है. इस रहस्यमय संक्रमण को ब्लैक फंगस बताया गया है. इस संक्रमण की वजह से कोविड मरीजों की स्थिति गंभीर हो रही है.

ब्लैक फंगस, black fungus
राजस्थान में बढ़ रहे कोरोना के मामले

अलवर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में इसके मामले सामने आ रहे हैं.तेजी के बढ़ती मरीजों की संख्या ने फंगल इंफेक्शन को किसी भी तरह हल्के में लिया गया तो ना केवल इससे रिकवर होने में दिक्कत आ सकती है. बल्कि यह वक्त के साथ और भी कई बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है. यह हवा में ही मौजूद होता है और सांस के जरिए अंदर प्रवेश करता है. इसकी वजह से साइनस कैविटी, लंग्स कैविटी, और चेस्ट कैविटी की समस्या होनी शुरू हो जाती है. कोरोना के मरीज पूरी तरह से रिकवर होने के लिए दवाइयों पर ही निर्भर हो जाता है. ऐसे में यह उन लोगों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है जो पहले से ही मधुमेह या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं.

ब्लैक फंगस, black fungus
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण

यह इंफेक्शन मस्तिष्क तक पहुंंच सकता है. इसकी वजह से भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्या जैसी लोगों को हो रही है. अगर समय पर समस्या का उपचार नही कराया गया तो लोगों को दांत और जबड़े से हाथ भी धोना पड़ सकता है.

लोगों की जा सकती है जानः

ब्लैक फंगस की वजह से लोगों के आंखों की रोशनी जा रही है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में नाक के माध्यम से होते हुए यह संक्रमण आंखों के पिछले हिस्से में पहुंच जाता है. समय पर इसकी पहचान और इलाज बेहद जरूरी है. इलाज नहीं होने के कारण संक्रमण आंखों के माध्यम से दिमाग तक पहुंच सकता है. इससे जान भी जा सकती है.

ब्लैक फंगस, black fungus
कैसे करे इससे बचाव

अलवर जिले में आ रहे प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीजः

अलवर जिले में 25 से अधिक ईएनटी रोग विशेषज्ञ हैं प्रत्येक डॉक्टर के पास 1 से 2 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में साफ है कि प्रतिदिन अलवर जिले में 20 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं. इस बीमारी का इलाज खासा महंगा है. ऐसे में समय रहते इलाज संभव है. शुरुआत के समय में लापरवाही बरतने पर परेशानी बढ़ सकती है.

पढ़ेंः SPECIAL : राजस्थान वैक्सीनेशन में अव्वल, लेकिन वैक्सीन की किल्लत...कंपनियों को किया भुगतान, डिलीवरी में देरी

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु गुप्ता ने कहा की कोरोना मरीजों को इलाज के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड दिया जाता है. जिसके चलते उनकी इम्यूनिटी पर बुरा असर पड़ रहा है. संक्रमण का मुख्य कारण फिलहाल यही है. ऐसे में कोविड से ठीक हो चुके लोगों को सुबह हल्की धूप में बैठना चाहिए. इसके अलावा विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन करने से भी इम्यूनिटी को ठीक करने में मदद मिल सकती है.

ब्लैक फंगस, black fungus
राजस्थान में भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ चुके हैं

डायबटिज वाले मरीजों को है ज्यादा खतराः

मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है. हालांकि अभी गिने-चुने में ही यह समस्या नजर आई है. इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए. स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज के इम्युनिटी पर असर डालता है. जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की रोगप्रतिरोधक क्षमता फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है. कोरोना से उबरने के बाद लोगों को इसे लक्षण पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए. इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए. बीमारी का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी रहती है. समय ज्यादा होने पर हालात कंट्रोल से बाहर हो सकते हैं.

अलवर. कोरोना को हराकर घर लौट रहे लोगों के लिए परेशानी भरी खबर है. कोरोना मरीजों को जल्दी ठीक करने के लिए उनको स्टोराइट दिया जाता है. यह स्टेरॉयड मरीजों के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है. ऐसे में लोगों को म्यूकरमाइकोसिस जैसी बीमारी हो रही है.म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. यह उन लोगों में आसानी से फैल जाता है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है.

स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल लोगों की ले रहा है जान

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इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है.डायबिटीज मरीजों में स्टेरॉयड कम में लेने से उनको इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है.कोरोना से संक्रमित और रिकवर हुए मरीजों के लिए चिंता की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इलाज के दौरान स्टेरॉयड ज्यादा काम में लेने से लोगों में फंगल इंफेक्शन की शिकायत हो रही है. इस रहस्यमय संक्रमण को ब्लैक फंगस बताया गया है. इस संक्रमण की वजह से कोविड मरीजों की स्थिति गंभीर हो रही है.

ब्लैक फंगस, black fungus
राजस्थान में बढ़ रहे कोरोना के मामले

अलवर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में इसके मामले सामने आ रहे हैं.तेजी के बढ़ती मरीजों की संख्या ने फंगल इंफेक्शन को किसी भी तरह हल्के में लिया गया तो ना केवल इससे रिकवर होने में दिक्कत आ सकती है. बल्कि यह वक्त के साथ और भी कई बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है. यह हवा में ही मौजूद होता है और सांस के जरिए अंदर प्रवेश करता है. इसकी वजह से साइनस कैविटी, लंग्स कैविटी, और चेस्ट कैविटी की समस्या होनी शुरू हो जाती है. कोरोना के मरीज पूरी तरह से रिकवर होने के लिए दवाइयों पर ही निर्भर हो जाता है. ऐसे में यह उन लोगों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है जो पहले से ही मधुमेह या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं.

ब्लैक फंगस, black fungus
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण

यह इंफेक्शन मस्तिष्क तक पहुंंच सकता है. इसकी वजह से भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्या जैसी लोगों को हो रही है. अगर समय पर समस्या का उपचार नही कराया गया तो लोगों को दांत और जबड़े से हाथ भी धोना पड़ सकता है.

लोगों की जा सकती है जानः

ब्लैक फंगस की वजह से लोगों के आंखों की रोशनी जा रही है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में नाक के माध्यम से होते हुए यह संक्रमण आंखों के पिछले हिस्से में पहुंच जाता है. समय पर इसकी पहचान और इलाज बेहद जरूरी है. इलाज नहीं होने के कारण संक्रमण आंखों के माध्यम से दिमाग तक पहुंच सकता है. इससे जान भी जा सकती है.

ब्लैक फंगस, black fungus
कैसे करे इससे बचाव

अलवर जिले में आ रहे प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीजः

अलवर जिले में 25 से अधिक ईएनटी रोग विशेषज्ञ हैं प्रत्येक डॉक्टर के पास 1 से 2 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में साफ है कि प्रतिदिन अलवर जिले में 20 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं. इस बीमारी का इलाज खासा महंगा है. ऐसे में समय रहते इलाज संभव है. शुरुआत के समय में लापरवाही बरतने पर परेशानी बढ़ सकती है.

पढ़ेंः SPECIAL : राजस्थान वैक्सीनेशन में अव्वल, लेकिन वैक्सीन की किल्लत...कंपनियों को किया भुगतान, डिलीवरी में देरी

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु गुप्ता ने कहा की कोरोना मरीजों को इलाज के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड दिया जाता है. जिसके चलते उनकी इम्यूनिटी पर बुरा असर पड़ रहा है. संक्रमण का मुख्य कारण फिलहाल यही है. ऐसे में कोविड से ठीक हो चुके लोगों को सुबह हल्की धूप में बैठना चाहिए. इसके अलावा विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन करने से भी इम्यूनिटी को ठीक करने में मदद मिल सकती है.

ब्लैक फंगस, black fungus
राजस्थान में भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ चुके हैं

डायबटिज वाले मरीजों को है ज्यादा खतराः

मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है. हालांकि अभी गिने-चुने में ही यह समस्या नजर आई है. इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए. स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज के इम्युनिटी पर असर डालता है. जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की रोगप्रतिरोधक क्षमता फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है. कोरोना से उबरने के बाद लोगों को इसे लक्षण पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए. इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए. बीमारी का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी रहती है. समय ज्यादा होने पर हालात कंट्रोल से बाहर हो सकते हैं.

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