अलवर. दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर अलवर का भिवाड़ी है. इसके बाद दिल्ली की पूर्वी सीमा पर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद है. दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में से दस भारत में हैं और ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी के आसपास हैं. ऐसे में साफ है कि भिवाड़ी में लोगों को (Bad Air Quality in Bhiwadi) दूषित हवा मिल रही है. केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार मार्च माह में भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर एक बार भी खतरे के निशान तक नहीं पहुंचा, जबकि अलवर का प्रदूषण स्तर 100यूजी से 150यूजी के आसपास दर्ज किया जाता है.
प्रदूषण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नवंबर माह के दौरान दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में स्मॉग रहता है. उस दौरान प्रदूषण के स्तर को देखा गया था. दूसरी तरफ भिवाड़ी में ऑटोमेटिक प्रदूषण जांच केंद्र औद्योगिक क्षेत्र के बीच में लगा हुआ है, जिसके चलते हैं प्रदूषण का स्तर अन्य शहरों से ज्यादा दर्ज होता है. दुनियाभर में एयर पॉल्यूशन पर नजर रखने वाली आईक्यूएयर ने 2021 की ग्लोबल एयर क्वालिटी रिपोर्ट मंगलवार को जारी की थी. इसके मुताबिक (Global Air Quality Report) प्रदेश का भिवाड़ी शहर सबसे प्रदूषित शहर है.
इस रिपोर्ट में 117 देशों के 6475 शहर को वायु प्रदूषण की जांच के लिए शामिल किया गया था. इस रिपोर्टर के अनुसार भिवाड़ी ने दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया, जबकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी व उनके आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं. अलवर का भिवाड़ी औद्योगिक टाउनशिप है. भिवाड़ी में चारों तरफ औद्योगिक इकाइयां हैं. दिल्ली-जयपुर हाईवे के यह शहर किनारे पर बसा हुआ है. भिवाड़ी में ऑटोमेटिक प्रदूषण जांच केंद्र औद्योगिक इकाइयों के बीच में है, इसलिए अन्य शहरों की तुलना में भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर अपने आप ही ज्यादा आता है, जबकि अन्य शहरों में आवासीय क्षेत्र के आसपास प्रदूषण जांच केंद्र लगाए गए हैं, जिसके चलते उन शहरों में प्रदूषण का स्तर कम दर्ज होता है.
आईक्यूएयर की रिपोर्ट के मुताबिक (Polluted Air Became Alarming in Alwar) भिवाड़ी सबसे प्रदूषित शहर है. इसमें पीएम-2.5 का औसत स्तर 2021 में भिवाड़ी में 106.2 दर्ज किया गया, जबकि दिल्ली में यह 96.4 था. पीएम-2.5 प्रदूषण के स्तर को मापने की इकाई है. शहरों की श्रेणी में भिवाड़ी के बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद है, जहां प्रदूषण का स्तर 102 यूजी है. 2020 में भिवाड़ी विश्व प्रदूषण सूचकांक में चौथे स्थान पर था. वहीं, केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च 2022 में भिवाड़ी में सबसे ज्यादा प्रदूषण का स्तर पीएम-2.5, 14 मार्च को 278 दर्ज किया गया था.
अन्य दिनों में उससे कम प्रदूषण का स्तर रहा. इस तरह से दिल्ली में भी एक या दो जगह ऐसी है, जहां प्रदूषण का स्तर 300 से ज्यादा दर्ज हुआ है. जबकि अन्य जगह पर सामान्य हालात है. प्रदेश में भिवाड़ी सहित पांच शहरों में ऑटोमेटिक जांच केंद्र लगे हुए हैं. इन केंद्रों की मदद से प्रदूषण की लाइव अपडेट मिलती है. ऐसे में साफ है कि भिवाड़ी को बदनाम करने की साजिश (Conspiracy to Defame Bhiwadi on Air Pollution) हो रही है. भिवाड़ी में लगातार औद्योगिक इकाइयां लग रही हैं. देसी-विदेशी कंपनियों का कारोबार यहां निवेश कर रहे हैं.
पढ़ें : दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी : रिपोर्ट
प्रदूषण के मानक पर एक नजर : प्रदूषण का स्तर अगर 100 यूजी तक है तो उसे बेहतर श्रेणी माना गया है 100 यूजी से ज्यादा 200 यूजी तक स्तर होने पर प्रदूषण के हालात खराब रहते हैं. 200 यूजी से 300 यूजी तक पुअर कंडीशन है, जबकि 300 यूजी से 400 यूजी तक खतरनाक व 400 यूजी से ज्यादा अगर (Central Pollution Control Board on Bhiwadi Situation) प्रदूषण का स्तर तारीख हो रहा है तो वो आपातकाल की स्थिति कहलाती है.
प्रदूषण कम करने के किए जा रहे प्रयास : भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर कम करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के निर्देश पर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को समय-समय पर बंद किया जाता है. सभी औद्योगिक इकाइयों में गैस सिस्टम लगाया जा रहा है. औद्योगिक इकाइयों के चिमनियों में स्क्रबर व अन्य आधुनिक तकनीक काम में ली जा रही है. औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर कम हो. इसके लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव होता है. सड़कों पर धूल ना उड़े उसके लिए भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. भिवाड़ी में औद्योगिक इकाइयों को बस व कैब सुविधा कर्मचारियों को देने के लिए कहा गया है. इसके अलावा भी केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के निर्देश पर कई योजनाओं पर काम चल रहा है.
नवंबर के माह में हुई जांच : ग्लोबल एयर क्वालिटी की टीम की तरफ से नवंबर माह में प्रदूषण की रिपोर्ट ली गई. नवंबर माह व दिवाली के आसपास दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में प्रदूषण का स्तर सबसे ऊंचे स्तर पर रहता है. उस समय सर्दी के कारण धुंध रहती है. ऐसे में छोटे धूल के कारण वातावरण में गुब्बारा बना लेते हैं, जिसके चलते प्रदूषण का स्तर ऊपर नहीं उठ पाता है. प्रदूषण के चलते चारों तरफ गैस का चेंबर बन जाता है.