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अलवर: आशा सहयोगिनियों ने अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर को दिया ज्ञापन - अलवर में आशा सहयोगिनियों का कार्य बहिष्कार

सरकार के दो विभागों का काम कर रही आशा सहयोगिनियों ने अपनी समस्याओं को लेकर बुधवार को अलवर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. वहीं, आशा सहयोगिनियों ने मंगलवार से ही कार्य का बहिष्कार शुरू कर दिया है.

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आशा सहयोगिनियों ने अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर को दिया ज्ञापन
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Published : Sep 30, 2020, 5:30 PM IST

अलवर. सरकार के 2 विभागों का काम कर रही आशा सहयोगिनी बुधवार को जिला कलेक्टर से मिलने और ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट पहुंची हैं. इन आशा सहयोगिनियों ने एक दिन पहले से ही कार्य बहिष्कार भी शुरू कर दिया है. आशा सहयोगिनियों ने बताया वह महिला बाल विकास विभाग का भी काम करती हैं और साथ में मेडिकल विभाग वाले भी उनसे जबरन काम लेते हैं. कोई भी रिपोर्ट लेनी हो या कोरोना के दौरान सर्वे करना हो इन्हीं आशा सहयोगिनियों को फील्ड में भेजा जाता है.

हालात यह है कि रात को 8 बजे भी यदि कोरोना पेशेंट आ जाए, तो इन्हीं आशा सहयोगिनियों को फील्ड में भेज जाता है. आशा सहयोगिनियों ने बताया कि उन्हें मात्र 2700 रुपए मिलते हैं, जो कि न्यूनतम मजदूरी से भी कम है. मौजूदा सरकार ने 2 साल पहले यह वादा किया था कि आशा सहयोगिनियों को नियमित कर दिया जाएगा, लेकिन सरकार भी अब उनकी ओर से आंखें बंद कर बैठी हैं. मेडिकल विभाग का काम हमें ही सबसे ज्यादा करना पड़ रहा है और मेडिकल विभाग से कोई पैसा उन्हें नहीं मिल रहा है.

यह भी पढ़ें- Reality Check : न दुकानदार न कर्मचारी...कागजों तक सिमट कर रह गया 'नो मास्क, नो एंट्री' अभियान

3 महीने उन्हें एक एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए गए, लेकिन अब वह भी बंद हो चुका है. उन्होंने कहा कि वे अपने हक की आवाज उठा रहे हैं और अधिकारी धमका रहे हैं कि यदि काम नहीं किया, तो हटा दिया जाएगा. आशा सहयोगिनियों ने कहा कि अपने हक की आवाज उठाना कोई गुनाह नहीं है. अभी तो केवल अलवर जिले की आशा सहयोगिनी द्वारा हड़ताल की गई है. यदि हालात ऐसे ही रहे तो पूरे प्रदेश की आशा सहयोगिनियों भी हड़ताल पर उतर जाएंगी. इन महिलाओं ने बताया कि उन्हें छुट्टी तक नहीं मिलती है.

अलवर. सरकार के 2 विभागों का काम कर रही आशा सहयोगिनी बुधवार को जिला कलेक्टर से मिलने और ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट पहुंची हैं. इन आशा सहयोगिनियों ने एक दिन पहले से ही कार्य बहिष्कार भी शुरू कर दिया है. आशा सहयोगिनियों ने बताया वह महिला बाल विकास विभाग का भी काम करती हैं और साथ में मेडिकल विभाग वाले भी उनसे जबरन काम लेते हैं. कोई भी रिपोर्ट लेनी हो या कोरोना के दौरान सर्वे करना हो इन्हीं आशा सहयोगिनियों को फील्ड में भेजा जाता है.

हालात यह है कि रात को 8 बजे भी यदि कोरोना पेशेंट आ जाए, तो इन्हीं आशा सहयोगिनियों को फील्ड में भेज जाता है. आशा सहयोगिनियों ने बताया कि उन्हें मात्र 2700 रुपए मिलते हैं, जो कि न्यूनतम मजदूरी से भी कम है. मौजूदा सरकार ने 2 साल पहले यह वादा किया था कि आशा सहयोगिनियों को नियमित कर दिया जाएगा, लेकिन सरकार भी अब उनकी ओर से आंखें बंद कर बैठी हैं. मेडिकल विभाग का काम हमें ही सबसे ज्यादा करना पड़ रहा है और मेडिकल विभाग से कोई पैसा उन्हें नहीं मिल रहा है.

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3 महीने उन्हें एक एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए गए, लेकिन अब वह भी बंद हो चुका है. उन्होंने कहा कि वे अपने हक की आवाज उठा रहे हैं और अधिकारी धमका रहे हैं कि यदि काम नहीं किया, तो हटा दिया जाएगा. आशा सहयोगिनियों ने कहा कि अपने हक की आवाज उठाना कोई गुनाह नहीं है. अभी तो केवल अलवर जिले की आशा सहयोगिनी द्वारा हड़ताल की गई है. यदि हालात ऐसे ही रहे तो पूरे प्रदेश की आशा सहयोगिनियों भी हड़ताल पर उतर जाएंगी. इन महिलाओं ने बताया कि उन्हें छुट्टी तक नहीं मिलती है.

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