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अलवरः छठ पर्व का तीसरा दिन, डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य

गुरुवार से शुरू हुए छठ पूजा में तीसरे दिन सूर्यास्त के समय सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा. इस त्योहार को बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष छठ पूजा 3 नवंबर की शाम से 4 नवंबर की सुबह तक की जाएगी.

Third day of Chhath festival, छठ पर्व का तीसरा दिन
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Published : Nov 3, 2019, 10:14 AM IST

अलवर. शहर में छठ के मौके पर सागर जलाशय पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां व्रत रखने वाली महिलाओं ने अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया. इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. शहर में 10 से अधिक जगहों पर घाट बनाए गए है. अलवर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा, टपूकड़ा, तिजारा सहित जिले भर में छठ पूजा की धूम रही.

अस्ताचल सूर्य को दिया अर्घ्य

बता दें कि शहर में 12 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं. जिनमें हजारों की संख्या में पूर्वांचल के लोग काम करते हैं. पूर्वांचल में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित कई राज्य आते हैं. ऐसे में यहां छठ पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. 4 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में महिलाएं व्रत रखती है.

इस कड़ी में महिलाओं ने सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य दिया. इस मौके पर पूजन सामग्री लेकर महिलाएं परिवार के साथ सागर जलाशय पहुंची. वहीं कार्यक्रम स्थल पर विशेष सजावट की गई और पूर्वांचल के गाने बज रहे थे. सागर के अलावा काला कुआं, एमआईए, देसूला, मीणा पाली सहित करीब 10 जगहों पर घाट बनाए गए थे. अलवर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा, तिजारा, टपूकड़ा, खुशखेड़ा सहित विभिन्न जगहों पर छठ पूजा कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

पढ़ेः छठ पर्व : आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें अर्घ्य देने की विधि और पूजन का महत्व

बता दें कि छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, लेकिन इसका मुख्य दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि होती है. इस दिन लोग कठिन व्रत रखकर भगवान सूर्य और छठ मैया की उपासना करते हैं. इस दिन छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है. शाम को पूजन की तैयारी की जाती है और नदी तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारी होती है. 3 नवंबर को छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को गंगा घाट नदी में खड़े होकर दिया जाता है. इस दिन महिलाएं 36 घंटे के व्रत का पारण करती है.

अलवर. शहर में छठ के मौके पर सागर जलाशय पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां व्रत रखने वाली महिलाओं ने अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया. इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. शहर में 10 से अधिक जगहों पर घाट बनाए गए है. अलवर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा, टपूकड़ा, तिजारा सहित जिले भर में छठ पूजा की धूम रही.

अस्ताचल सूर्य को दिया अर्घ्य

बता दें कि शहर में 12 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं. जिनमें हजारों की संख्या में पूर्वांचल के लोग काम करते हैं. पूर्वांचल में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित कई राज्य आते हैं. ऐसे में यहां छठ पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. 4 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में महिलाएं व्रत रखती है.

इस कड़ी में महिलाओं ने सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य दिया. इस मौके पर पूजन सामग्री लेकर महिलाएं परिवार के साथ सागर जलाशय पहुंची. वहीं कार्यक्रम स्थल पर विशेष सजावट की गई और पूर्वांचल के गाने बज रहे थे. सागर के अलावा काला कुआं, एमआईए, देसूला, मीणा पाली सहित करीब 10 जगहों पर घाट बनाए गए थे. अलवर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा, तिजारा, टपूकड़ा, खुशखेड़ा सहित विभिन्न जगहों पर छठ पूजा कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

पढ़ेः छठ पर्व : आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें अर्घ्य देने की विधि और पूजन का महत्व

बता दें कि छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, लेकिन इसका मुख्य दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि होती है. इस दिन लोग कठिन व्रत रखकर भगवान सूर्य और छठ मैया की उपासना करते हैं. इस दिन छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है. शाम को पूजन की तैयारी की जाती है और नदी तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारी होती है. 3 नवंबर को छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को गंगा घाट नदी में खड़े होकर दिया जाता है. इस दिन महिलाएं 36 घंटे के व्रत का पारण करती है.

Intro:अलवर
छठ के मौके पर अलवर के सागर जलाशय पर मुख्य कार्यक्रम हुआ। व्रत रखने वाली महिलाओं ने छिपते हुए सूर्य को अर्घ दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। अलवर शहर में 10 से अधिक जगहों पर घाट बनाए गए। अलवर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा, टपूकड़ा, तिजारा सहित जिले भर में छठ पूजा की धूम रही।


Body:अलवर में 12 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें हजारों की संख्या में पूर्वांचल के लोग काम करते हैं। पूर्वांचल में बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड सहित कई राज्य आते हैं। यहां सबसे बड़ा कार्यक्रम छठ पूजा होता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में महिलाएं व्रत रखती है। इस कार्यक्रम में पूरा परिवार हिस्सा लेता है। अलवर के सागर जलाशय में मुख्य कार्यक्रम हुआ। महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। इस मौके पर पूजन सामग्री लेकर महिलाएं परिवार के साथ सागर जलाशय पहुंची। तो वही कार्यक्रम स्थल पर विशेष सजावट की गई व पूर्वांचल के गाने सुनाई दिए। सागर के अलावा काला कुआं, एमआईए, देसूला, मीणा पाली सहित करीब 10 जगहों पर घाट बनाए गए थे। अलवर के अलावा भिवाड़ी नीमराणा तिजारा टपूकड़ा खुशखेड़ा सहित विभिन्न जगहों पर छठ पूजा कार्यक्रम का आयोजन हुआ।


Conclusion:छठ पूजा चार दिनों तक चलती है। लेकिन इसका मुख्य दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि होती है। इस दिन लोग कठिन व्रत रख भगवान सूर्य और छठ मैया की उपासना करते हैं। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है। शाम को पूजन की तैयारी की जाती है और नदी तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को आग दिया जाता है। फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारी होती है। 3 नवंबर को छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को गंगा घाट नदी में खड़े होकर दिया जाता है। इस दिन महिलाएं 36 घंटे के व्रत का पारण करती है। यह पर्व अपने आप में अनोखा पर्व है। दिवाली के ठीक छठवें दिन सूर्य उपासना का महापर्व छठ होता है।


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