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हरियाणा के परिणाम ने बदल दी नेताओं की रणनीति, अब अलवर निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दे ही होंगे अहम

गत दिनों हरियाणा विधानसभा चुनाव के सामने आए परिणाम ने भाजपा व कांग्रेस को अलवर जिले में होने वाले निकाय चुनाव के लिए रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है. अभी तक दोनों ही दल राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे. लेकिन अब रणनीति में बदलाव करते हुए उन्होंने स्थानीय मुद्दों को ही ज्यादा तरजीह देना तय किया है.

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Published : Nov 2, 2019, 9:26 AM IST

Updated : Nov 2, 2019, 9:37 AM IST

अलवर. पड़ौसी राज्य हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव का असर अलवर में होने वाले निकाय चुनाव पर देखने को मिलेगा. अभी तक दोनों ही पार्टियां यहां राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी. लेकिन हरियाणा चुनाव के आए नतीजों के बाद दोनों ही पार्टियां स्थानीय मुद्दों के आधार पर योजना बना रही है.

हरियाणा चुनावी नतीजों के बाद बदली सियासी रणनीति

हरियाणा चुनाव के परिणाम ने भाजपा व कांग्रेस को अलवर जिले में होने वाले निकाय चुनाव के लिए रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है. अभी तक दोनों ही दल राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे. जबकि परिणाम के बाद साफ हो गया कि हरियाणा में राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दे असरदार साबित हुए.

यह भी पढ़ें- कार्तिक में कैसा ये मौसम : जैसलमेर में गिरे चने के आकार के ओले और बाड़मेर-बीकानेर में बूंदाबांदी

ऐसे में भाजपा व कांग्रेस अभी स्थानीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. जबकि निकाय चुनाव में वार्ड स्तर के मुद्दे होना जरूरी है. क्योंकि, निकाय चुनाव निचले स्तर का चुनाव होता है. इसमें एक पार्षद वार्ड में रहने वाली व्यवस्थाओं को देखने के लिए चुनाव में खड़ा होता है.

ऐसे में वार्ड स्तर के मुद्दे होने से चुनाव परिणाम बेहतर आता है और चुनाव प्रभावी रहता है. निकाय चुनाव के दौरान बड़े नेताओं के दौरे कम रहते हैं. इसमें स्थानीय नेता अहम भूमिका में रहते हैं. इसलिए दोनों ही पार्टी की तरफ से स्थानीय नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाया जा रहा है.

ऐसे में अब देखना होगा कि कौन जल्दी अपनी रणनीति बदलकर सियासी मैदान में पहले ताल ठोकेगा और बाजी मारेगा.

अलवर. पड़ौसी राज्य हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव का असर अलवर में होने वाले निकाय चुनाव पर देखने को मिलेगा. अभी तक दोनों ही पार्टियां यहां राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी. लेकिन हरियाणा चुनाव के आए नतीजों के बाद दोनों ही पार्टियां स्थानीय मुद्दों के आधार पर योजना बना रही है.

हरियाणा चुनावी नतीजों के बाद बदली सियासी रणनीति

हरियाणा चुनाव के परिणाम ने भाजपा व कांग्रेस को अलवर जिले में होने वाले निकाय चुनाव के लिए रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है. अभी तक दोनों ही दल राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे. जबकि परिणाम के बाद साफ हो गया कि हरियाणा में राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दे असरदार साबित हुए.

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ऐसे में भाजपा व कांग्रेस अभी स्थानीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. जबकि निकाय चुनाव में वार्ड स्तर के मुद्दे होना जरूरी है. क्योंकि, निकाय चुनाव निचले स्तर का चुनाव होता है. इसमें एक पार्षद वार्ड में रहने वाली व्यवस्थाओं को देखने के लिए चुनाव में खड़ा होता है.

ऐसे में वार्ड स्तर के मुद्दे होने से चुनाव परिणाम बेहतर आता है और चुनाव प्रभावी रहता है. निकाय चुनाव के दौरान बड़े नेताओं के दौरे कम रहते हैं. इसमें स्थानीय नेता अहम भूमिका में रहते हैं. इसलिए दोनों ही पार्टी की तरफ से स्थानीय नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाया जा रहा है.

ऐसे में अब देखना होगा कि कौन जल्दी अपनी रणनीति बदलकर सियासी मैदान में पहले ताल ठोकेगा और बाजी मारेगा.

Intro:अलवर
अलवर के पड़ोसी राज्य हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव का अलवर में होने वाले निकाय चुनाव पर देखने को मिलेगा। अभी तक दोनों ही पार्टियां राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी। लेकिन हरियाणा चुनाव के आए नतीजों के बाद दोनों ही पार्टियां स्थानीय मुद्दों के आधार पर योजना बना रही है।


Body:हरियाणा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा व कांग्रेस को अलवर जिले में होने वाले निकाय चुनाव के लिए रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है। अभी तक दोनों ही दल राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। हरियाणा राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दे असरदार साबित हुए। ऐसे में भाजपा व कांग्रेस अभी स्थानीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। जबकि निकाय चुनाव में वार्ड स्तर के मुद्दे होना जरूरी है। क्योंकि निकाय चुनाव निचले स्तर का चुनाव होता है। इसमें एक पार्षद वार्ड में रहने वाली व्यवस्थाओं को देखने के लिए चुनाव में खड़ा होता है। ऐसे में वार्ड स्तर के मुद्दे होने से चुनाव परिणाम बेहतर आता है व चुनाव प्रभावी रहता है। निकाय चुनाव के दौरान बड़े नेताओं का दौर कम रहता है। इसमें स्थानीय नेता अहम भूमिका में रहते हैं। इसलिए दोनों ही पार्टी की तरफ से स्थानीय नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाया जा रहा है।


Conclusion:हरियाणा में आए नतीजों ने पूरे देश भर की राजनीति को जानवर कर रख दिया राष्ट्रीय दलों ने ज्यादातर राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को चुनाव में जीत का हथियार बनाया था लेकिन चुनाव परिणाम आज स्कूल नहीं रह पाए हर ने चुनाव में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की सगाई हुई इन सभाओं में जाता नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्दे पर बात की लेकिन लोगों ने क्षेत्रीय मुद्दों के आधार पर वोट दिया इसलिए चुनाव परिणाम आशा के विपरीत आया। इसलिए अब भाजपा का कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव की रणनीति बना रही है ऐसे में देखना उनका जनता किसे चलती है वह निकाय चुनाव का ताज किसके साथ सस्ता है।
Last Updated : Nov 2, 2019, 9:37 AM IST
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