अलवर. पड़ौसी राज्य हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव का असर अलवर में होने वाले निकाय चुनाव पर देखने को मिलेगा. अभी तक दोनों ही पार्टियां यहां राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी. लेकिन हरियाणा चुनाव के आए नतीजों के बाद दोनों ही पार्टियां स्थानीय मुद्दों के आधार पर योजना बना रही है.
हरियाणा चुनाव के परिणाम ने भाजपा व कांग्रेस को अलवर जिले में होने वाले निकाय चुनाव के लिए रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है. अभी तक दोनों ही दल राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे. जबकि परिणाम के बाद साफ हो गया कि हरियाणा में राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दे असरदार साबित हुए.
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ऐसे में भाजपा व कांग्रेस अभी स्थानीय मुद्दों के आधार पर निकाय चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. जबकि निकाय चुनाव में वार्ड स्तर के मुद्दे होना जरूरी है. क्योंकि, निकाय चुनाव निचले स्तर का चुनाव होता है. इसमें एक पार्षद वार्ड में रहने वाली व्यवस्थाओं को देखने के लिए चुनाव में खड़ा होता है.
ऐसे में वार्ड स्तर के मुद्दे होने से चुनाव परिणाम बेहतर आता है और चुनाव प्रभावी रहता है. निकाय चुनाव के दौरान बड़े नेताओं के दौरे कम रहते हैं. इसमें स्थानीय नेता अहम भूमिका में रहते हैं. इसलिए दोनों ही पार्टी की तरफ से स्थानीय नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाया जा रहा है.
ऐसे में अब देखना होगा कि कौन जल्दी अपनी रणनीति बदलकर सियासी मैदान में पहले ताल ठोकेगा और बाजी मारेगा.