अलवर. प्रदेश में जयपुर के बाद सबसे बड़ा जिला अलवर माना जाता है. यह जनसंख्या घनत्व अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा है, वहीं एनसीआर का हिस्सा होने के कारण अलवर में औद्योगिक इकाई भी प्रदेश में सबसे ज्यादा है. प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व भी अलवर से मिलता है. ऐसे में अलवर में बेहतर टीकाकरण के लिए लगातार सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं.
अलवर में मेवात क्षेत्र आता है. मेवात क्षेत्र में टीकाकरण को बेहतर नहीं माना जाता है, इसलिए लोग टीके नहीं लगाते हैं. ऐसे में वैक्सीन समय पर नहीं लगने के कारण बच्चों में कई तरह की बीमारियों के आउटब्रेक सामने आते हैं. निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी बच्चों को नहीं जाती लाने के लिए स्वास्थ विभाग की तरफ से अलवर से प्रदेश भर में 1 जनवरी से 5 साल तक के बच्चों को निमोकोलस कन्ज्यूगेट नाम का टीका लगाया जाएगा.
अलवर की मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ओपी मीणा ने बताया कि निमोनिया से बचाव के लिए यह टीका बच्चों को निशुल्क लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि टीका लगने के बाद बच्चों को हल्का दर्द सूजन बुखार हो सकती है. ऐसे में उनके परिजनों को घबराने की जरूरत नहीं है. देश में 20 फीसदी बच्चों की मृत्यु निमोनिया से होती है.
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करीब 30 फीसदी मौतों का कारण नियमों को लस निमोनिया होता है. नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से रोग होने की आशंका अधिक होती है. टीकाकरण से शिशु को रोगों से सुरक्षित किया जाता है. शिशु को निकोलस रोग होने का खतरा रहता है. जो एक तरह का फेफड़ों में संक्रमण है, इसलिए यह टीका बच्चों के लिए काफी बेहतर रहेगा.