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अलवर जिला कलेक्टर ने नए साल पर बनाया विशेष प्लान, ग्रामीणों को समस्या लेकर नहीं जाना पड़ेगा बाहर - ईटीवी भारत

राजस्थान में अलवर जिला राजधानी जयपुर के पास सबसे बड़ा जिला है. सीमावर्ती जिला होने के कारण अलवर में कानून-व्यवस्था की समस्या हमेशा रहती है. अलवर जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने कहा कि नए साल में गांव के लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर गांव से बाहर नहीं आना पड़े इसके प्रयास किए जा रहे हैं.

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अलवर जिला कलेक्टर ने बनाया किया विशेष प्लान
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Published : Jan 5, 2021, 8:58 AM IST

अलवर. राजस्थान में अलवर जिला राजधानी जयपुर के पास सबसे बड़ा जिला है. सीमावर्ती जिला होने के कारण अलवर में कानून-व्यवस्था की समस्या हमेशा रहती है. जिले में आए दिन बड़े विवाद के मामले सामने आते हैं. ऐसे में जिला कलेक्टर के ऊपर कई तरह की जिम्मेदारियां होती है. नए साल के मौके पर अलवर जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रतिदिन नई चुनौती रहती है. लेकिन नए साल में गांव के लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर गांव से बाहर नहीं आना पड़े इसके प्रयास किए जा रहे हैं.

अलवर जिला कलेक्टर ने बनाया किया विशेष प्लान

पढ़ें: बीकानर में कोरोना वैक्सीनेशन की तैयारियां शुरू, सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी होगा टीकाकरण

जिले में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं. जिले की आबादी 50 लाख से अधिक है. अलवर उत्तर प्रदेश व हरियाणा का सीमावर्ती जिला है. राजस्थान का सिंह द्वार होने के कारण यहां सीमावर्ती गतिविधि भी ज्यादा होती है. अलवर को उद्योग की राजधानी कहा जाता है. जिले में 20 हजार के करीब औद्योगिक इकाइयां हैं. जिनमें 5 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं. क्राइम के लिहाज से जिला राजस्थान में सबसे आगे है. अलवर जिले में अकेले में 18 हजार मामले दर्ज होते हैं. राजस्थान का अलवर एकमात्र ऐसा जिला है. जहां दो एसपी तैनात हैं. ऐसे में अलवर जिला कलेक्टर पर अन्य जिलों की तुलना में जिम्मेदारी ज्यादा रहती है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में अलवर जिला कलेक्टर पहाड़िया ने कहा कि वैसे तो जिला स्तरीय अधिकारी के सामने प्रतिदिन नई चुनौती होती है. लेकिन नए साल के मौके पर विशेष योजना तैयार की गई है. गांव का व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर गांव से बाहर ना निकले. इसके प्रयास किए जा रहे हैं. गांव में होने वाली बैठक में ग्रामीण की समस्या सुनी जाएगी. साथ ही सभी ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को लोगों की समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं.

पढ़ें: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने स्वीकृत सड़कों का कार्य आरंभ करवाने पर PM मोदी का जताया आभार

उन्होंने कहा कि विशेष योजना बनाते हुए प्रत्येक विभाग के रिव्यू मीटिंग की जा रही हैं. 15 दिन में विभाग की अलग से मीटिंग होती है, जिसमें विभाग की छोटी-छोटी समस्या एवं से जुड़े हुए मुद्दों पर चर्चा होती है. साथ ही उन्होंने कहा कि वो गांव स्तर पर जाकर लोगों से उनकी समस्याएं पूछ रहे हैं व चर्चाएं कर रहे हैं. जिला कलेक्टर ने कहा कि जिला सचिव प्रत्येक शनिवार को उनको अलग टास्क देते हैं. जिसके अनुसार सरकारी कार्यालयों का निरीक्षण करते हैं. यह प्रक्रिया लगातार जारी है.

नए साल के मौके पर लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले सरकार आम जनता के लिए कटिबद्ध है. तो सरकार की तरफ से लगातार आम जनता को राहत पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. ग्रामीणों की समस्या जिला स्तर पर ना पहुंचे. उसका समाधान ब्लॉक स्तर पर किया जाए. सभी समस्याओं की मॉनिटरिंग के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है.

अलवर. राजस्थान में अलवर जिला राजधानी जयपुर के पास सबसे बड़ा जिला है. सीमावर्ती जिला होने के कारण अलवर में कानून-व्यवस्था की समस्या हमेशा रहती है. जिले में आए दिन बड़े विवाद के मामले सामने आते हैं. ऐसे में जिला कलेक्टर के ऊपर कई तरह की जिम्मेदारियां होती है. नए साल के मौके पर अलवर जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रतिदिन नई चुनौती रहती है. लेकिन नए साल में गांव के लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर गांव से बाहर नहीं आना पड़े इसके प्रयास किए जा रहे हैं.

अलवर जिला कलेक्टर ने बनाया किया विशेष प्लान

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जिले में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं. जिले की आबादी 50 लाख से अधिक है. अलवर उत्तर प्रदेश व हरियाणा का सीमावर्ती जिला है. राजस्थान का सिंह द्वार होने के कारण यहां सीमावर्ती गतिविधि भी ज्यादा होती है. अलवर को उद्योग की राजधानी कहा जाता है. जिले में 20 हजार के करीब औद्योगिक इकाइयां हैं. जिनमें 5 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं. क्राइम के लिहाज से जिला राजस्थान में सबसे आगे है. अलवर जिले में अकेले में 18 हजार मामले दर्ज होते हैं. राजस्थान का अलवर एकमात्र ऐसा जिला है. जहां दो एसपी तैनात हैं. ऐसे में अलवर जिला कलेक्टर पर अन्य जिलों की तुलना में जिम्मेदारी ज्यादा रहती है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में अलवर जिला कलेक्टर पहाड़िया ने कहा कि वैसे तो जिला स्तरीय अधिकारी के सामने प्रतिदिन नई चुनौती होती है. लेकिन नए साल के मौके पर विशेष योजना तैयार की गई है. गांव का व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर गांव से बाहर ना निकले. इसके प्रयास किए जा रहे हैं. गांव में होने वाली बैठक में ग्रामीण की समस्या सुनी जाएगी. साथ ही सभी ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को लोगों की समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं.

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उन्होंने कहा कि विशेष योजना बनाते हुए प्रत्येक विभाग के रिव्यू मीटिंग की जा रही हैं. 15 दिन में विभाग की अलग से मीटिंग होती है, जिसमें विभाग की छोटी-छोटी समस्या एवं से जुड़े हुए मुद्दों पर चर्चा होती है. साथ ही उन्होंने कहा कि वो गांव स्तर पर जाकर लोगों से उनकी समस्याएं पूछ रहे हैं व चर्चाएं कर रहे हैं. जिला कलेक्टर ने कहा कि जिला सचिव प्रत्येक शनिवार को उनको अलग टास्क देते हैं. जिसके अनुसार सरकारी कार्यालयों का निरीक्षण करते हैं. यह प्रक्रिया लगातार जारी है.

नए साल के मौके पर लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले सरकार आम जनता के लिए कटिबद्ध है. तो सरकार की तरफ से लगातार आम जनता को राहत पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. ग्रामीणों की समस्या जिला स्तर पर ना पहुंचे. उसका समाधान ब्लॉक स्तर पर किया जाए. सभी समस्याओं की मॉनिटरिंग के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है.

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