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कोरोना का असर: सरकारी स्कूलों में बढ़े एडमिशन, निजी स्कूलों की मोटी फीस से अभिभावक परेशान

कोरोना काल में निजी स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन दे रहे हैं और अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं. ऐसे में अब अभिभावक निजी स्कूल की जगह सरकारी स्कूलों का रुख करने लगे हैं. शिक्षा विभाग के आंकड़ों से साफ है कि 2 साल के दौरान सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.

government school, सरकारी स्कूल
जिला शिक्षा अधिकारी राकेश शर्मा
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Published : Jul 12, 2021, 11:06 PM IST

अलवर. अभिभावकों का शुरू से ही निजी स्कूल के प्रति रुझान देखा गया है. अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए मेहनत-मजदूरी करके पेट भरने वाले लोग भी प्राइवेट स्कूल में बच्चों का दाखिला कराते थे. लेकिन कोरोना के चलते दो साल से सभी स्कूल बंद हैं. सरकार भी बिना परीक्षा के बच्चों को पास कर रही है.

पढ़ेंः कमलेश प्रजापत के भाई भैराराम ने CBI को लिखा पत्र, मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई पर लगाए गंभीर आरोप

स्कूल बंद होने के बाद भी प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों के अभिभावकों से पूरी फीस वसूल रहे हैं. सरकार और न्यायालय के तमाम आदेशों के बाद भी यह सिलसिला जारी है. अभिभावकों के विरोध करने पर बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी तक दी जाती है. ऐसे में अब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की जगह सरकारी स्कूलों का रुख करने लगे हैं.

सरकारी स्कूलों में बढ़े एडमिशन

शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019-20 में अलवर के स्कूल में तीन लाख 80 हजार बच्चों ने एडमिशन लिया. साल 2020-21 में इनकी संख्या बढ़कर चार लाख दो हजार से ज्यादा हुई. अलवर जिले में बीते सालों की तुलना में 20 हजार ज्यादा बच्चों ने सरकारी स्कूल में प्रवेश लिया. इस साल निर्धारित लक्ष्य से सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या 50 हजार से ज्यादा पहुंचने की उम्मीद है. क्योंकि लगातार सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है.

दरअसल कोरोना के दौरान लोगों की नौकरियां जा रही है. काम-धंधे भी छूट रहे हैं. ऐसे में घर खर्च चलाने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस नहीं दे पा रहे हैं. इसका प्रभाव भी सरकारी स्कूलों पर दिख रहा है. लगातार सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी स्कूल में प्रवेश लेने के बाद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिलती है. सरकारी योजनाओं का फायदा भी मिलता है. हर महीने स्कूल की फीस देने से भी अभिभावकों को छुटकारा मिलता है.

प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल में भी ऑनलाइन शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग की तरफ से करीब एक दर्जन कार्यक्रम टीवी और आकाशवाणी सहित अन्य संचार के साधनों द्वारा चलाए जा रहे हैं. जिनके जरिए रोजाना वीडियो और पढ़ाई संबंधित जानकारियां अभिभावक और बच्चों को सोशल मीडिया के माध्यम से डाली जाती है. इन कार्यक्रमों से बच्चों को जोड़ने का प्रयास भी शिक्षा विभाग की तरफ से किया जा रहा है.

कोरोना के चलते हजारों लोगों की नौकरियां चली गई है. व्यापारियों का कामकाज भी खासा प्रभावित हो रहा है. ऐसे में लोगों को जीवनयापन करने में खासी दिक्कत आ रही है. राशन का खर्च, बिजली का बिल, पेट्रोल खर्च के साथ-साथ बच्चों की फीस वहन करने में अभिभावकों को परेशानी हो रही है. कई बार बच्चों के अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूल प्रशासन से फीस कम करने और फीस नहीं लेने की मांग की. कई बार विरोध प्रदर्शन हुए. हंगामा बढ़ने पर प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है.

पढ़ेंः पंचायत कार्यकाल पर असमंजस दूर : पंचायत चुनाव जीते जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल होगा 5 साल...राज्य निर्वाचन आयोग का फैसला

अलवर जिले में 3500 प्राइवेट स्कूल हैं. इन स्कूलों पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. क्योंकि प्राइवेट स्कूल संचालक अपने खर्चे वहन करने के लिए अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं. अभिभावक भी अब अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में करवाने से बच रहे हैं.

सरकार ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है. इसके तहत बिना टीसी किसी के भी बच्चों का प्रवेश हो सकता है. जिसके बाद बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं.

अलवर. अभिभावकों का शुरू से ही निजी स्कूल के प्रति रुझान देखा गया है. अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए मेहनत-मजदूरी करके पेट भरने वाले लोग भी प्राइवेट स्कूल में बच्चों का दाखिला कराते थे. लेकिन कोरोना के चलते दो साल से सभी स्कूल बंद हैं. सरकार भी बिना परीक्षा के बच्चों को पास कर रही है.

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स्कूल बंद होने के बाद भी प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों के अभिभावकों से पूरी फीस वसूल रहे हैं. सरकार और न्यायालय के तमाम आदेशों के बाद भी यह सिलसिला जारी है. अभिभावकों के विरोध करने पर बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी तक दी जाती है. ऐसे में अब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की जगह सरकारी स्कूलों का रुख करने लगे हैं.

सरकारी स्कूलों में बढ़े एडमिशन

शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019-20 में अलवर के स्कूल में तीन लाख 80 हजार बच्चों ने एडमिशन लिया. साल 2020-21 में इनकी संख्या बढ़कर चार लाख दो हजार से ज्यादा हुई. अलवर जिले में बीते सालों की तुलना में 20 हजार ज्यादा बच्चों ने सरकारी स्कूल में प्रवेश लिया. इस साल निर्धारित लक्ष्य से सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या 50 हजार से ज्यादा पहुंचने की उम्मीद है. क्योंकि लगातार सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है.

दरअसल कोरोना के दौरान लोगों की नौकरियां जा रही है. काम-धंधे भी छूट रहे हैं. ऐसे में घर खर्च चलाने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस नहीं दे पा रहे हैं. इसका प्रभाव भी सरकारी स्कूलों पर दिख रहा है. लगातार सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी स्कूल में प्रवेश लेने के बाद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिलती है. सरकारी योजनाओं का फायदा भी मिलता है. हर महीने स्कूल की फीस देने से भी अभिभावकों को छुटकारा मिलता है.

प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल में भी ऑनलाइन शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग की तरफ से करीब एक दर्जन कार्यक्रम टीवी और आकाशवाणी सहित अन्य संचार के साधनों द्वारा चलाए जा रहे हैं. जिनके जरिए रोजाना वीडियो और पढ़ाई संबंधित जानकारियां अभिभावक और बच्चों को सोशल मीडिया के माध्यम से डाली जाती है. इन कार्यक्रमों से बच्चों को जोड़ने का प्रयास भी शिक्षा विभाग की तरफ से किया जा रहा है.

कोरोना के चलते हजारों लोगों की नौकरियां चली गई है. व्यापारियों का कामकाज भी खासा प्रभावित हो रहा है. ऐसे में लोगों को जीवनयापन करने में खासी दिक्कत आ रही है. राशन का खर्च, बिजली का बिल, पेट्रोल खर्च के साथ-साथ बच्चों की फीस वहन करने में अभिभावकों को परेशानी हो रही है. कई बार बच्चों के अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूल प्रशासन से फीस कम करने और फीस नहीं लेने की मांग की. कई बार विरोध प्रदर्शन हुए. हंगामा बढ़ने पर प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है.

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अलवर जिले में 3500 प्राइवेट स्कूल हैं. इन स्कूलों पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. क्योंकि प्राइवेट स्कूल संचालक अपने खर्चे वहन करने के लिए अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं. अभिभावक भी अब अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में करवाने से बच रहे हैं.

सरकार ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है. इसके तहत बिना टीसी किसी के भी बच्चों का प्रवेश हो सकता है. जिसके बाद बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं.

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