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SPECIAL: 5वीं पास अलवर के दयाराम ने बनाया उड़नखटोला - Dayaram of Alwar made flying khatola

कहते हैं जीवन में कुछ करने की चाह हो तो उम्र की कोई सीमा नहीं होती है. बुजुर्ग दयाराम ने भी अपने जज्बे और जुनून से इस बात को सच कर दिखाया.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
अलवर के दयाराम ने बनाया उड़नखटोला
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Published : Apr 30, 2021, 10:03 PM IST

अलवर. माधवगढ़ गांव के निवासी दयाराम गुर्जर ने 40 साल पहले देखा सपना पूरा किया. सिर्फ 5वीं क्लास तक पढ़े दयाराम ने उड़नखटोला बनाकर मिसाल पेश की है.

अलवर के दयाराम ने बनाया उड़नखटोला

पढ़ें- Special : जो भूख को बयां नहीं कर पाते उनके लिए फरिश्ता बना ये शख्स, बेजुबानों से कुछ ऐसा है रिश्ता

कैसे आया आइडिया?

माधवगढ़ निवासी 50 वर्षीय दयाराम गुर्जर किसान हैं. वो 40 साल पहले हेलीकॉप्टर में बैठे थे. उसके बाद हेलीकॉप्टर बनाने का आइडिया आया.

बचपन से उड़ने की तमन्ना

दयाराम का कहना है कि वो हवाई जहाज नहीं खरीद सकते, लेकिन बचपन से उनकी उड़ने की तमन्ना थी. शुरुआत में पारिवारिक परिस्थितियों के चलते अपना सपना पूरा नहीं कर पाए. कभी बच्चियों की शादी करनी थी तो कभी फसल कटाई और घर के दूसरे खर्चे थे.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
अलवर का दयाराम

हौसले के आगे हार गई मुसीबत

दयाराम ने उड़नखटोला बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है. पाइप वेल्ड करने से लेकर सभी काम खुद किए. कुछ सामान अलवर से कुछ जयपुर और दिल्ली से खरीदा. विदेश से भी सामान मंगवाया. जरूरत के हिसाब से चीजें मंगवाते रहे. करीब 15 लाख रुपए खर्च हुए.

40 साल बाद सपना पूरा

40 साल के दौरान 2 बाइक, 1 कार, 1 ट्रैक्टर का इंजन लगाकर उड़नखटोला बनाने का प्रयास किया. कभी बाइक तो कभी अपनी नैनो कार का इंजन लगाया. सफलता हाथ नहीं लगी तो भी दयाराम ने हिम्मत नहीं हारी. पढ़े-लिखे युवाओं की मदद से रिसर्च किया. फिर जर्मनी से एयरक्राफ्ट का इंजन मंगाकर उड़नखटोला बनाया.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
दयाराम का उड़नखटोला

पढ़ें- SPECIAL: किसी की जान न जाए... जरूरतमंदों को मुफ्त ऑक्सीजन दे रहे अलवर वासी

दयाराम ने पेश की मिसाल

लाखों रुपए खर्च कर बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने वाले लोग इस तरह के प्रयोग करते हैं और उपकरण बनाते हैं. लेकिन पांचवी पास दयाराम ने इस उड़नखटोले को बनाकर एक नई मिसाल कायम की है. दयाराम अब आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं. लोग दूर-दूर से उनके उड़नखटोले को देखने के लिए आते हैं. इस पर बैठकर दयाराम आसपास क्षेत्र में घूम रहे हैं और हवा में उड़ने का अपना सपना पूरा कर रहे हैं.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
उड़नखटोला

सफलता का मंत्र

दयाराम का कहना है कि मन में कुछ करने की इच्छा हो तो जीवन में कोई भी चीज बड़ी नहीं है. बस दृढ़ निश्चय और संकल्प होना चाहिए. इंसान कोई भी काम कर सकता है. उसके आगे उम्र और पैसे की भी कोई सीमा नहीं होती है.

अलवर. माधवगढ़ गांव के निवासी दयाराम गुर्जर ने 40 साल पहले देखा सपना पूरा किया. सिर्फ 5वीं क्लास तक पढ़े दयाराम ने उड़नखटोला बनाकर मिसाल पेश की है.

अलवर के दयाराम ने बनाया उड़नखटोला

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कैसे आया आइडिया?

माधवगढ़ निवासी 50 वर्षीय दयाराम गुर्जर किसान हैं. वो 40 साल पहले हेलीकॉप्टर में बैठे थे. उसके बाद हेलीकॉप्टर बनाने का आइडिया आया.

बचपन से उड़ने की तमन्ना

दयाराम का कहना है कि वो हवाई जहाज नहीं खरीद सकते, लेकिन बचपन से उनकी उड़ने की तमन्ना थी. शुरुआत में पारिवारिक परिस्थितियों के चलते अपना सपना पूरा नहीं कर पाए. कभी बच्चियों की शादी करनी थी तो कभी फसल कटाई और घर के दूसरे खर्चे थे.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
अलवर का दयाराम

हौसले के आगे हार गई मुसीबत

दयाराम ने उड़नखटोला बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है. पाइप वेल्ड करने से लेकर सभी काम खुद किए. कुछ सामान अलवर से कुछ जयपुर और दिल्ली से खरीदा. विदेश से भी सामान मंगवाया. जरूरत के हिसाब से चीजें मंगवाते रहे. करीब 15 लाख रुपए खर्च हुए.

40 साल बाद सपना पूरा

40 साल के दौरान 2 बाइक, 1 कार, 1 ट्रैक्टर का इंजन लगाकर उड़नखटोला बनाने का प्रयास किया. कभी बाइक तो कभी अपनी नैनो कार का इंजन लगाया. सफलता हाथ नहीं लगी तो भी दयाराम ने हिम्मत नहीं हारी. पढ़े-लिखे युवाओं की मदद से रिसर्च किया. फिर जर्मनी से एयरक्राफ्ट का इंजन मंगाकर उड़नखटोला बनाया.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
दयाराम का उड़नखटोला

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दयाराम ने पेश की मिसाल

लाखों रुपए खर्च कर बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने वाले लोग इस तरह के प्रयोग करते हैं और उपकरण बनाते हैं. लेकिन पांचवी पास दयाराम ने इस उड़नखटोले को बनाकर एक नई मिसाल कायम की है. दयाराम अब आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं. लोग दूर-दूर से उनके उड़नखटोले को देखने के लिए आते हैं. इस पर बैठकर दयाराम आसपास क्षेत्र में घूम रहे हैं और हवा में उड़ने का अपना सपना पूरा कर रहे हैं.

50 year old Dayaram made flying khatola,  Dayaram of Alwar
उड़नखटोला

सफलता का मंत्र

दयाराम का कहना है कि मन में कुछ करने की इच्छा हो तो जीवन में कोई भी चीज बड़ी नहीं है. बस दृढ़ निश्चय और संकल्प होना चाहिए. इंसान कोई भी काम कर सकता है. उसके आगे उम्र और पैसे की भी कोई सीमा नहीं होती है.

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