अलवर. जिले में 300 से अधिक लोगों को नया जीवन मिला है. बता दें कि अमेरिका की एक संस्था के साथ मिलकर रोटरी क्लब ने 300 दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगवाए हैं. बता दें कि आयरलैंड की लाइट बल्ब टीम्स कंपनी के मालिक डेविड मेड की संस्थान के साथ मिलकर रोटरी क्लब ग्रेटर की तरफ से रविवार को अलवर के शांति कुंज स्थित अलवर नर्सिंग होम में एक निशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर लगाया गया. इस शिविर में दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए. इसमें देशभर के दिव्यांगों ने हिस्सा लिया.
संस्था संचालक डेविड मेड ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि उनका बेटा दिव्यांग था और उसके हाथ नहीं थे. ऐसे में उसको जीवन यापन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि वह रोजमर्रा का काम भी नहीं कर पाता था. ऐसे में बेटे को होने वाली परेशानी को देखते हुए उन्होंने इंजीनियरों औपृर डॉक्टरों से मिलकर उसके कृत्रिम हाथ बनवा कर लगवाया. उसके बाद उनके बेटे को नया जीवन मिला उसकी खुशी देखकर डेविड ने दिव्यांगों की मदद करने का फैसला लिया. डेविड ने बताया कि वह जीवन भर दिव्यांगों के नाम करते हुए कृत्रिम हाथ लगाने का प्रण लिया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल उसने एक हजार लोगों को कृत्रिम हाथ लगाए थे.
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डेविड ने बताया कि एक कृत्रिम हाथ बनाने में करीब 7 हजार रूपए का खर्च आता है और जबकि एक हाथ बनाने में करीब 20 मिनट का समय लगता है. उन्होंने कहा कि यह हाथ हल्का और मजबूत होता है जिससे रोजमर्रा के कार्य व्यक्ति आसानी से कर सकता है. मेड ने कहा कि पूरे विश्व में इंडिया ऐसा देश है जहां कृत्रिम हाथ की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यहां आए दिन होने वाले हादसों में लोग अपने हाथ गंवा देते हैं. इसलिए उन्होंने भारत में कृत्रिम हाथ बनाकर लोगों को लगाने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि भारत में अब तक 16 हजार लोगों के वह कृत्रिम हाथ लगा चुके हैं.
रोटरी क्लब के राजकुमार भूतोरिया ने बताया कि जिन लोगों के हाथ कटे हुए हैं उनको कृत्रिम हाथ लगाने का फैसला लिया गया है. उसके तहत अलवर में कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि पहले शिविर में 300 लोगों ने कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए आवेदन किया है, जिसके तहत सभी को हाथ लगाए गए हैं. राजकुमार ने कहा कि हाथ लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए रोटरी क्लब ने साल भर इस कार्यक्रम को चलाने का फैसला लिया है.
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वहीं जयपुर से कृत्रिम हाथ लगवाने अलवर पहुंची शिखा चौधरी ने बताया कि उनको जन्म से यह परेशानी है. उसने बताया कि एक हाथ नहीं होने के कारण उनको रोजमर्रा के कार्य करने में खासी परेशानी होती है. आज के दौर में सब कुछ संभव है इसलिए उनको उम्मीद थी कि एक दिन वो अपने दोनों हाथों से सभी काम कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाथ लगाने के बाद उनको अच्छा लगा है.