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अलवर में 300 लोगों को मिला नया जीवन, लगाए गए कृत्रिम हाथ

आयरलैंड की लाइट बल्ब टीम्स कंपनी के साथ मिलकर रोटरी क्लब ग्रेटर की तरफ से अलवर नर्सिंग होम में रविवार को एक निशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर लगाया गया. शिविर में 300 से अधिक दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए. वहीं, लगातार कृत्रिम हाथ लगवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के कारण रोटरी क्लब ने यह कार्यक्रम साल भर आयोजित रखने का फैसला लिया है.

प्रत्यारोपण शिविर अलवर, alwar news
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Published : Aug 25, 2019, 10:54 PM IST

अलवर. जिले में 300 से अधिक लोगों को नया जीवन मिला है. बता दें कि अमेरिका की एक संस्था के साथ मिलकर रोटरी क्लब ने 300 दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगवाए हैं. बता दें कि आयरलैंड की लाइट बल्ब टीम्स कंपनी के मालिक डेविड मेड की संस्थान के साथ मिलकर रोटरी क्लब ग्रेटर की तरफ से रविवार को अलवर के शांति कुंज स्थित अलवर नर्सिंग होम में एक निशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर लगाया गया. इस शिविर में दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए. इसमें देशभर के दिव्यांगों ने हिस्सा लिया.

अलवर में कृत्रिमअंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन

संस्था संचालक डेविड मेड ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि उनका बेटा दिव्यांग था और उसके हाथ नहीं थे. ऐसे में उसको जीवन यापन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि वह रोजमर्रा का काम भी नहीं कर पाता था. ऐसे में बेटे को होने वाली परेशानी को देखते हुए उन्होंने इंजीनियरों औपृर डॉक्टरों से मिलकर उसके कृत्रिम हाथ बनवा कर लगवाया. उसके बाद उनके बेटे को नया जीवन मिला उसकी खुशी देखकर डेविड ने दिव्यांगों की मदद करने का फैसला लिया. डेविड ने बताया कि वह जीवन भर दिव्यांगों के नाम करते हुए कृत्रिम हाथ लगाने का प्रण लिया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल उसने एक हजार लोगों को कृत्रिम हाथ लगाए थे.

पढे़ं- अजमेर : ब्यावर में पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति लगाने पर बवाल...जानें पूरा मामला

डेविड ने बताया कि एक कृत्रिम हाथ बनाने में करीब 7 हजार रूपए का खर्च आता है और जबकि एक हाथ बनाने में करीब 20 मिनट का समय लगता है. उन्होंने कहा कि यह हाथ हल्का और मजबूत होता है जिससे रोजमर्रा के कार्य व्यक्ति आसानी से कर सकता है. मेड ने कहा कि पूरे विश्व में इंडिया ऐसा देश है जहां कृत्रिम हाथ की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यहां आए दिन होने वाले हादसों में लोग अपने हाथ गंवा देते हैं. इसलिए उन्होंने भारत में कृत्रिम हाथ बनाकर लोगों को लगाने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि भारत में अब तक 16 हजार लोगों के वह कृत्रिम हाथ लगा चुके हैं.

रोटरी क्लब के राजकुमार भूतोरिया ने बताया कि जिन लोगों के हाथ कटे हुए हैं उनको कृत्रिम हाथ लगाने का फैसला लिया गया है. उसके तहत अलवर में कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि पहले शिविर में 300 लोगों ने कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए आवेदन किया है, जिसके तहत सभी को हाथ लगाए गए हैं. राजकुमार ने कहा कि हाथ लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए रोटरी क्लब ने साल भर इस कार्यक्रम को चलाने का फैसला लिया है.

पढ़ें- बीसलपुर बांध का गेट खुला, 3 हजार क्युसेक प्रति घंटा छोड़ा जा रहा पानी

वहीं जयपुर से कृत्रिम हाथ लगवाने अलवर पहुंची शिखा चौधरी ने बताया कि उनको जन्म से यह परेशानी है. उसने बताया कि एक हाथ नहीं होने के कारण उनको रोजमर्रा के कार्य करने में खासी परेशानी होती है. आज के दौर में सब कुछ संभव है इसलिए उनको उम्मीद थी कि एक दिन वो अपने दोनों हाथों से सभी काम कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाथ लगाने के बाद उनको अच्छा लगा है.

अलवर. जिले में 300 से अधिक लोगों को नया जीवन मिला है. बता दें कि अमेरिका की एक संस्था के साथ मिलकर रोटरी क्लब ने 300 दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगवाए हैं. बता दें कि आयरलैंड की लाइट बल्ब टीम्स कंपनी के मालिक डेविड मेड की संस्थान के साथ मिलकर रोटरी क्लब ग्रेटर की तरफ से रविवार को अलवर के शांति कुंज स्थित अलवर नर्सिंग होम में एक निशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर लगाया गया. इस शिविर में दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए. इसमें देशभर के दिव्यांगों ने हिस्सा लिया.

अलवर में कृत्रिमअंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन

संस्था संचालक डेविड मेड ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि उनका बेटा दिव्यांग था और उसके हाथ नहीं थे. ऐसे में उसको जीवन यापन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि वह रोजमर्रा का काम भी नहीं कर पाता था. ऐसे में बेटे को होने वाली परेशानी को देखते हुए उन्होंने इंजीनियरों औपृर डॉक्टरों से मिलकर उसके कृत्रिम हाथ बनवा कर लगवाया. उसके बाद उनके बेटे को नया जीवन मिला उसकी खुशी देखकर डेविड ने दिव्यांगों की मदद करने का फैसला लिया. डेविड ने बताया कि वह जीवन भर दिव्यांगों के नाम करते हुए कृत्रिम हाथ लगाने का प्रण लिया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल उसने एक हजार लोगों को कृत्रिम हाथ लगाए थे.

पढे़ं- अजमेर : ब्यावर में पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति लगाने पर बवाल...जानें पूरा मामला

डेविड ने बताया कि एक कृत्रिम हाथ बनाने में करीब 7 हजार रूपए का खर्च आता है और जबकि एक हाथ बनाने में करीब 20 मिनट का समय लगता है. उन्होंने कहा कि यह हाथ हल्का और मजबूत होता है जिससे रोजमर्रा के कार्य व्यक्ति आसानी से कर सकता है. मेड ने कहा कि पूरे विश्व में इंडिया ऐसा देश है जहां कृत्रिम हाथ की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यहां आए दिन होने वाले हादसों में लोग अपने हाथ गंवा देते हैं. इसलिए उन्होंने भारत में कृत्रिम हाथ बनाकर लोगों को लगाने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि भारत में अब तक 16 हजार लोगों के वह कृत्रिम हाथ लगा चुके हैं.

रोटरी क्लब के राजकुमार भूतोरिया ने बताया कि जिन लोगों के हाथ कटे हुए हैं उनको कृत्रिम हाथ लगाने का फैसला लिया गया है. उसके तहत अलवर में कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि पहले शिविर में 300 लोगों ने कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए आवेदन किया है, जिसके तहत सभी को हाथ लगाए गए हैं. राजकुमार ने कहा कि हाथ लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए रोटरी क्लब ने साल भर इस कार्यक्रम को चलाने का फैसला लिया है.

पढ़ें- बीसलपुर बांध का गेट खुला, 3 हजार क्युसेक प्रति घंटा छोड़ा जा रहा पानी

वहीं जयपुर से कृत्रिम हाथ लगवाने अलवर पहुंची शिखा चौधरी ने बताया कि उनको जन्म से यह परेशानी है. उसने बताया कि एक हाथ नहीं होने के कारण उनको रोजमर्रा के कार्य करने में खासी परेशानी होती है. आज के दौर में सब कुछ संभव है इसलिए उनको उम्मीद थी कि एक दिन वो अपने दोनों हाथों से सभी काम कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाथ लगाने के बाद उनको अच्छा लगा है.

Intro:अलवर।
अलवर में 300 से अधिक लोगों को नया जीवन है। दरअसल अमेरिका की एक संस्था के साथ मिलकर रोटरी क्लब ने 300 दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगवाए हैं। कृतिम हाथ लगवाने वाले लोगों में अलवर जयपुर दिल्ली गुड़गांव नोएडा फरीदाबाद गाजियाबाद ग्वालियर सहित देशभर के लोग शामिल है। तो वहीं लगातार कृतिम हाथ लगवाने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसलिए रोटरी क्लब ने यह कार्यक्रम साल भर आयोजित रखने का फैसला लिया है। सभी दिव्यांगों को यह हाथ निशुल्क लगाए गए है।


Body:आयरलैंड की लाइट बल्ब टीम्स कंपनी के मालिक डेविड मेड कि संस्थान के साथ मिलकर रोटरी क्लब ग्रेटर की तरफ से अलवर के शांति कुंज स्थित अलवर नर्सिंग होम में एक निशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर लगाया गया। इसमें दिव्यांगों को कृतिम हाथ लगाए गए। इसमें देशभर के दिव्यांगों ने हिस्सा लिया। हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश सहित देश भर से दिव्यांग अलवर पहुंचे। कृतिम हाथ लगने के बाद दिव्यांगों ने कहा कि उनको नया जीवन मिला है। डेविड मिलने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि उनके बेटा दिव्यांग था। उसके हाथ नहीं था ऐसे में उसको जीवन यापन करने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पाता था। ऐसे में बेटे को होने वाली परेशानी को देखते हुए उन्होंने इंजीनियरों व डॉक्टरों से मिलकर उसके कृतिम हाथ बनवा कर लगवाया। उसके बाद उनके बेटे को नया जीवन मिला उसकी खुशी देखकर डेविड ने दिव्यांगों की मदद करने का फैसला लिया। उन्होंने जीवन भर दिव्यांगों के नाम करते हुए कृत्रिम हाथ लगाने का प्रण लिया। डेविड ने बताया कि बीते साल उन्होंने एक हजार लोगों को कृतिम हाथ लगाए थे। एक कृतिम हाथ बनाने में करीब 7000 का खर्च आता है। जबकि एक हाथ बनाने में करीब 19 से 20 मिनट का समय लगता है। उन्होंने कहा कि यह हाथ हल्का व मजबूत है। इससे रोजमर्रा के कार्य व्यक्ति आसानी से कर सकता है।



Conclusion:डेविड ने कहा कि पूरे विश्व में इंडिया नंबर वन ऐसा देश है। जहां कृतिम हाथ की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। यहां आए दिन होने वाले हादसों में लोग अपने हाथ गवा देते हैं। इसलिए उन्होंने भारत में कृत्रिम हाथ बनाकर लोगों के लगाने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने रोटरी क्लब का सहयोग लिया। क्योंकि रोटरी क्लब गांव-गांव तक फैला हुआ है। उनकी मदद से जरूरतमंद तक पहुंचना आसान होता है व सभी लोग इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी संस्थान 19 देशों में काम कर रही है। लेकिन सबसे ज्यादा मेहनत भारत में की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत में अब तक 16 हजार लोगों के वह कृत्रिम हाथ लगा चुके हैं।

रोटरी क्लब के राजकुमार भूतोरिया ने बताया कि जिन लोगों के हाथ कटे हुए हैं। उनको कृत्रिम हाथ लगाने का फैसला लिया गया है। उसके तहत अलवर में कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया है। पहले शिविर में 300 लोगों ने कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए आवेदन किया है। जिसके तहत सभी को हाथ लगाए गए हैं। यह हाथ हल्का व मजबूत है। इससे व्यक्ति रोजमर्रा के सभी काम कर सकता है। शिविर में देश भर से लोगों ने हिस्सा लिया। तो वही लगातार हाथ लगाने वालों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए रोटरी क्लब ने साल भर इस कार्यक्रम को चलाने का फैसला लिया है।

जयपुर से कृतिम हाथ लगवाने अलवर पहुंची शिखा चौधरी ने बताया उनको जन्म से यह परेशानी है। एक हाथ नहीं होने के कारण उनको रोजमर्रा के कार्य करने में खासी परेशानी होती है। आज के दौर में सब कुछ संभव है इसलिए उनको उम्मीद थी कि एक दिन वो अपने दोनों हाथों से सभी काम कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि हाथ लगाने के बाद उनको अच्छा लगा है। इससे कितना फायदा मिलता है यह भी देखना होगा।

बाइट-डेविड मेड, एनजीओ संचालक
बाइट- राजकुमार, रोटरी क्लब
बाइट- शिखा चौधरी, दिव्यांग

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